Gorakhpur News-दशहरा बीत चुका है और दीपावली का समय धीरे-धीरे पास आ रहा है। इस बीच लोग अपने घरों की साफ सफाई करते हैं। घरों में होने वाली इस पारम्परिक सफाई के दौरान अगर घर के प्रत्येक ऐसे छोटे जलस्रोत को साफ कर दें, जहां साफ पानी इकट्ठा हो सकता है, तो डेंगू का प्रसार नहीं होगा। डेंगू का वाहक मच्छर सिर्फ छोटे जलस्रोत के साफ पानी में ही पनपता है। साथ ही अगर किसी को बुखार हो तो वह बिना चिकित्सक को दिखाए दवा न खाएं। ऐसा करने से कई बार डेंगू की पहचान नहीं हो पाती है और यह जानलेवा हो जाता है। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे का।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि घर की छतों पर फेंके हुए गमले, टायर, पशु पक्षियों के भोजन के पात्र, नारियल की खोल, फ्रीज ट्रे, कूलर, ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं के नाद आदि छोटे जलस्रोतों में बरसात का जो पानी जमा है उसे सड़क पर बहा देना चाहिए। ऐसा करने से लार्वा नष्ट हो जाएंगे। इस बार जब घरों की साफ सफाई की जाए तो छोटे जलस्रोतों को अवश्य साफ कर लें।
डॉ दूबे ने बताया कि डेंगू में बुखार के साथ शरीर में तीव्र दर्द होता है और खासतौर से आंखों के पीछे असहनीय दर्द होता है। कई बार लोग अप्रशिक्षित व्यक्ति की सलाह पर और कई बार खुद दवा का सेवन कर अपने नियमित दौड़ भाग का कार्य जारी रखते हैं। सामान्य बुखार होने पर तो ऐसे लोगों को बहुत ज्यादा दिक्कत नहीं होती, लेकिन अगर वह डेंगू बुखार से पीड़ित हैं तो जटिलताएं बढ़ जाती हैं और कई बार क्रिटिकल स्थिति हो जाती है। साथ ही अगर बिना परामर्श के दर्द निवारक खून पतला करने वाली दवाएं खा ली जाती हैं तो मरीज की स्थिति खराब होने की आशंका होती है। यही वजह है कि चिकित्सकीय परामर्श और जांच के बाद ही बुखार की दवा खानी चाहिए। सभी सरकारी अस्पतालों पर जांच और इलाज की मुकम्मल व्यवस्था उपलब्ध है।
सक्रिय है डोमेस्टिक ब्रीड चेकर्स
read also-UP News-किसान संगठन ने तहसीलदार अमेठी के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर साैंपा ज्ञापन
जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने बताया कि 40 डोमेस्टिक ब्रीड चेकर्स अगस्त माह से शहरी क्षेत्र के घरों पर जाकर मच्छरों के स्रोत नष्ट करवा रहे हैं। अब तक 2.22 लाख पात्रों को जलमुक्त किया जा चुका है। यह लोग 44509 घरों का भ्रमण कर पम्पलेट और लीफलेट्स के माध्यम से लोगों को जागरूक भी कर चुके हैं। दस्तक अभियान के दौरान आशा कार्यकर्ता भी घर घर जाकर लोगों को जागरूक कर रही हैं और डेंगू के नये मरीज खोज रही हैं। इन सबके बावजूद सामुदायिक भागीदारी हो और लोग खुद मच्छरों का स्रोत नष्ट करें तो डेंगू पर नियंत्रण और भी आसान होगा।
ग्रामीण क्षेत्रों से अधिक मरीज
सीएमओ डॉ दूबे ने बताया कि इस बार 18 अक्टूबर तक डेंगू के 94 कंफर्म मरीज मिले हैं जिनमें से 55 मरीज ग्रामीण क्षेत्रों के हैं। कुल 39 मरीज शहरी क्षेत्रों के हैं। गांव के लोगों को भी छोटे जलस्रोतों की साफ सफाई, दिन में पूरे बांह के कपड़ने पहनने और बुखार होने पर चिकित्सक की सलाह पर ही दवा लेने का व्यवहार अपनाना होगा।
आठ वर्षों में 916 मरीज, दो की मृत्यु
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2017 से इस वर्ष 18 अक्टूबर तक डेंगू के कुल 916 कंफर्म मरीज स्वास्थ्य विभाग को मिले। वर्ष 2019 और 2020 में इस बीमारी से एक एक मरीज की मृत्यु भी हुई । बीपी, शुगर, ह्रदयरोग, गर्भावस्था, कुपोषण आदि की स्थिति में यह बीमारी होने पर अतिरिक्त सतर्कता की आवश्यकता होती है। यह एक सामान्य बुखार है जो दवा और बेडरेस्ट से घर पर ठीक हो सकता है। जटिलताएं सिर्फ मनमाना दवा सेवन, दौड़भाग और सहरूग्णता के कारण बढ़ती हैं।