Do not scold children: बच्चों को गलती से भी इन 3 समय पर न डांटें, पड़ सकता है गहरा असर – जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

Do not scold children: बचपन एक ऐसा दौर होता है जब इंसान की सोच, समझ और व्यवहार की नींव रखी जाती है। ऐसे में बच्चों के साथ कैसा व्यवहार किया जाए, यह तय करता है कि वह मानसिक और भावनात्मक रूप से कैसे विकसित होंगे। विशेषज्ञों की मानें तो बच्चों पर गुस्सा या डांट-फटकार का गलत समय पर पड़ने वाला असर उनके मन-मस्तिष्क पर लंबे समय तक रह सकता है।

आज के समय में जब बच्चे शैक्षणिक और सामाजिक प्रेशर से पहले ही जूझ रहे होते हैं, तब पेरेंट्स की भूमिका और भी ज्यादा अहम हो जाती है। बच्चों की परवरिश में प्यार, समझ और सही मार्गदर्शन जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी यह समझना भी है कि कब डांटना नुकसानदेह हो सकता है।

जानिए ऐसे तीन खास समय जब बच्चों को डांटना नहीं चाहिए, वरना उनके मानसिक विकास पर पड़ सकता है गहरा असर:

1. सुबह उठने के तुरंत बाद न डांटे

सुबह का वक्त पूरे दिन के मूड को तय करता है। जिस तरह बड़ों को सुबह ताजगी और शांत माहौल की जरूरत होती है, ठीक वैसे ही बच्चों को भी दिन की शुरुआत सुकून और प्यार से चाहिए। कई बार पेरेंट्स बच्चों को स्कूल के लिए उठाने के दौरान झल्ला जाते हैं, लेकिन यह आदत बच्चों को मानसिक रूप से परेशान कर सकती है। सुबह का गुस्सा बच्चों को दिनभर उदास या चिड़चिड़ा बना सकता है।

2. स्कूल से लौटने के बाद न करें सवालों की बौछार

बच्चे जब स्कूल से लौटते हैं तो शारीरिक और मानसिक रूप से थके हुए होते हैं। ऐसे में उन पर सवालों की बौछार करना या पढ़ाई को लेकर डांटना उनकी थकान को और बढ़ा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय बच्चों को आराम देना चाहिए, हल्का-फुल्का खाना और पानी देना चाहिए ताकि वे खुद को रिफ्रेश महसूस कर सकें। कुछ देर बाद आप उनसे प्यार से बातचीत कर सकते हैं।

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3. रात को सोते वक्त न डांटें

नींद बच्चों की ग्रोथ के लिए बेहद जरूरी होती है। लेकिन अगर बच्चा सोने से पहले डांट सुनता है या किसी बात को लेकर तनाव में रहता है, तो उसकी नींद डिस्टर्ब हो सकती है। बच्चों की नींद पर असर पड़ने का सीधा असर उनके मानसिक और शारीरिक विकास पर होता है। इसलिए सोने से पहले बच्चों के साथ शांतिपूर्ण और स्नेहभरी बातचीत करें।

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