New Delhi: मिडिल ईस्ट के तनाव के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव की आशंकाओं की वजह से दुनिया भर के निवेशकों ने बुलियन मार्केट में निवेश बढ़ा दिया है, जिसके कारण सोना ऑल टाइम हाई के करीब पहुंच कर कारोबार कर रहा है। सोने के साथ ही चांदी की कीमत में भी जोरदार उछाल दर्ज की गई है। ये चमकीली धातु 97 हजार रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर तक भी पहुंच चुकी है। माना जा रहा है की दिवाली तक इसकी कीमत एक लाख रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर को पार कर सकती है।
घरेलू सर्राफा बाजार में चांदी की कीमत में हाल के दिनों में आए उछाल की मुख्य वजह इंटरनेशनल मार्केट में आई तेजी और घरेलू मांग में हुई बढ़ोतरी को माना जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी की कीमत में पिछले 9 महीने के दौरान 9 डॉलर प्रति ऑन्स से अधिक की तेजी आ चुकी है। इस साल 1 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी 23.19 डॉलर प्रति ऑन्स के स्तर पर कारोबार कर रही थी। 9 महीने में ही चांदी की कीमत 32.20 डॉलर प्रति ऑन्स के स्तर पर पहुंच गई।
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर मिडिल ईस्ट के तनाव में और बढ़ोतरी हुई, तो चांदी की कीमत 38 से 40 डॉलर प्रति ऑन्स तक पहुंच सकती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी आने का सीधा असर भारत के सर्राफा बाजार पर भी पड़ेगा, क्योंकि सोने की तरह चांदी के लिए भी भारतीय बाजार काफी हद तक अंतरराष्ट्रीय बाजार से होने वाले आयात पर ही निर्भर करता है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में अगर चांदी की कीमत में उछाल आया, तो भारतीय सर्राफा बाजार में भी चांदी की कीमत तेज हो जाएगी।
भारतीय सर्राफा बाजार में चांदी की कीमत में तेजी आने की एक वजह घरेलू डिमांड में बढ़ोतरी होना भी है। 2023-24 में भारत में इंटरनेशनल मार्केट से 11 हजार करोड़ रुपये की चांदी का आयात हुआ, जबकि इसके पहले वाले साल 2022-23 सिर्फ 1,300 करोड़ रुपये की चांदी मंगाई गई थी। चांदी की मांग में आई तेजी की सबसे बड़ी वजह इंडस्ट्रियल सेक्टर में इसकी मांग में बढ़ोतरी होना है। विशेष रूप कर सोलर एनर्जी सेक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री में चांदी की मांग में काफी तेजी आई है। चांदी की मांग में बढ़ोतरी होने के कारण भी घरेलू बाजार में इस चमकीली धातु की कीमत लगातार तेज हो रही है।
बुलियन मार्केट एक्सपर्ट मयंक मोहन के अनुसार पिछले चार सालों के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी की मांग में लगातार तेजी आई है, लेकिन मांग की तुलना में चांदी की सप्लाई में अधिक बढ़ोतरी नहीं हुई है। माना जा रहा है कि इस साल अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी की मांग रिकॉर्ड 1.21 अरब ऑन्स तक पहुंच सकती है, जबकि इसकी सप्लाई 1.15 अरब ऑन्स तक हो सकती है। डिमांड और सप्लाई के इस गैप की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी की कीमत में और तेजी आने की संभावना जताई जा रही है।
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मयंक मोहन का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में आई तेजी और करेंसी मार्केट की अस्थिरता की वजह से घरेलू निवेशकों का रुझान भी चांदी की ओर बढ़ा है। ऐसी स्थिति में अगर स्थितियों में अधिक बदलाव नहीं हुआ, तो शॉर्ट टर्म में चांदी 1 लाख से 1,05,000 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर तक उछल सकती है। वहीं लॉन्ग टर्म में यानी 2025 की दिवाली तक इसकी कीमत 1.20 लाख रुपये के स्तर को पार कर सकती है।