Himachal News: हिमाचल प्रदेश में दक्षिण-पश्चिमी मानसून की बुधवार को विदाई हो गई। मौसम विभाग की तरफ से पूरे हिमाचल से मानसून की विदाई की आधिकारिक घोषणा कर दी गई। प्रदेश में मानसून के विदा होने की सामान्य तिथि 25 सितंबर मानी जाती है। इस बार मानसून एक हफ्ता देरी से विदा हुआ है। पिछले वर्ष मानसून की विदाई छह अक्टूबर को हुई थी।
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक कुलदीप श्रीवास्तव ने मानसून के विदा होने की पुष्टि करते हुए बताया कि इस मानसून सीजन में सामान्य से 18 फीसदी कम बारिश हुई है। जून, जुलाई और अगस्त के महीने में मानसून की सामान्य से कम, जबकि सितंबर के महीने में सामान्य से ज्यादा वर्षा दर्ज की गई। मानसून ने 27 जून को राज्य में दस्तक दी थी। इस तरह मानसून तीन माह चार दिन तक सक्रिय रहा।
उन्होंने बताया कि मानसून के दौरान राज्य में 600.9 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जबकि 734.4 मिमी वर्षा को सामान्य माना गया है। जून में सामान्य से 54 फीसदी कम बरसात रही। इसी तरह जुलाई में सामान्य से 29 फीसदी और अगस्त में सामान्य से पांच फीसदी कम बारिश हुई। सितंबर महीने में मानसून मेहरबान रहा और सामान्य से चार फीसदी ज्यादा बारिश हुई। उन्होंने बताया कि पूरे मानसून सीजन के दौरान धर्मशाला में छह जुलाई, पालमपुर में पहली अगस्त और धौलाकुआं में 26 सितम्बर को अत्यधिक वर्षा दर्ज की गई।
छह जिलों में सामान्य से कम बारिश
उन्होंने बताया कि छह जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई। इनमें लाहौल-स्पीति, किन्नौर, हमीरपुर, ऊना, सोलन और चम्बा जिले शामिल हैं। लाहौल स्पीति में सामान्य से 70 फीसदी कम बारिश रही। शिमला, सिरमौर, मंडी, कुल्लू, कांगड़ा और बिलासपुर जिलों में मानसून की सामान्य बारिश हुई।
पहाड़ी इलाकों में पांच अक्टूबर से बिगड़ेगा मौसम
मानसून की विदाई के बाद भी राज्य में बारिश के आसार बन रहे हैं। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला द्वारा जारी पूर्वानुमान के मुताबिक मैदानी इलाकों में आगामी आठ अक्टूबर तक मौसम साफ रहेगा। इसी तरह पहाड़ी इलाकों में चार अक्टूबर तक धूप खिलेगी। पांच से आठ अक्टूबर तक पहाड़ी इलाकों में बारिश होने की सम्भावना है। इससे राज्य में लोगों को हल्की ठंड का सामना करना पड़ेगा।
मानसून सीजन में गई 342 लोगों की जान, 203 घर ध्वस्त, 1360 करोड़ का नुकसान
हिमाचल प्रदेश में मानसून ने इस बार भी कहर बरपाया और जगह-जगह तबाही नजर आईं। बादल फटने, बाढ़ आने व भूस्खलन की 100 से ज्यादा घटनाओं ने कई लोगों को काल के आगोश में समा दिया। मानसून सीजन में 203 घर, 67 दुकानें और 537 पशुशालाएं पूर्ण रूप से ध्वस्त हुईं। 574 घरों को आंशिक तौर पर नुकसान हुआ। वर्षा से जुड़े हादसों में 342 लोगों की जान गई। इनमें सड़क हादसों में 150 लोग मारे गए। बादल फटने, बाढ़ व भूस्खलन की 101 घटनाओं में 37 लोगों की मौत हुई और 33 अभी तक लापता हैं।
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राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक मानसून से राज्य में 1360 करोड़ का नुकसान पहुंचा है। लोकनिर्माण विभाग को सबसे ज्यादा 633 करोड़ का नुकसान हुआ। जलशक्ति विभाग को 540 करोड़ का नुकसान आंका गया है। 31 जुलाई की रात्रि श्रीखण्ड की पहाड़ी पर बादल फटने के बाद आई बाढ़ ने शिमला, मंडी और कुल्लू जिले में तबाही मचाई। शिमला जिला के रामपुर का समेज गांव का नामोनिशान मिट गया। गांव के करीब 22 लोग मारे गए, जबकि 14 लोग अभी भी लापता हैं।