Prayaraj- हमारी शिक्षा हिन्दुत्वनिष्ठ एवं राष्ट्रभक्ति से ओत प्रोत होनी चाहिए। हमारा देश लगभग 1200 वर्षों तक गुलामी की दासता से जूझता रहा। गुलाम होने पर व्यक्ति, व्यक्ति नहीं रहता है। बल्कि वह वस्तु के समान हो जाता है। भारत की परतंत्रता का सबसे बड़ा कारण था व्यक्ति का आत्म केन्द्रित न होना तथा चेतना शून्य हो जाना। इस स्थिति में व्यक्ति का राष्ट्रीय चरित्र नष्ट हो जाता है।
उक्त विचार विद्या भारती के क्षेत्रीय सह संगठन मंत्री डॉ. राम मनोहर ने सिविल लाइन्स स्थित ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कॉलेज में नवचयनित आचार्य प्रशिक्षण वर्ग के चौथे दिन व्यक्त किया। उन्होंने गुरुवार को आचार्यों को सम्बोधित करते हुए आगे कहा कि इन परिस्थितियों से निपटने के लिए भारतीय मनीषी डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने सन् 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना कर हिन्दू समाज को एकत्रित कर भारत की अस्मिता एवं गौरव को वापस पाने का आन्दोलन प्रारम्भ किया।
डॉ. राम मनोहर ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना का मुख्य उद्देश्य हिन्दू समाज को मजबूत कर भारतीयों के अन्दर हिन्दूत्व एवं राष्ट्रप्रेम की भावना को जागृत करना था। यह राष्ट्रप्रेम की भावना सम्पूर्ण देश जन-जन में विकसित हो, इसके लिए 1952 में सरस्वती शिशु मन्दिर की पक्कीबाग गोरखपुर में स्थापना की गई। जहां भैया-बहनों को राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत शिक्षा प्रदान कर उनका सर्वांगीण विकास किया जाता है। सरस्वती विद्या मन्दिर से पढ़ लिखकर निकले भैया बहन आज देश के श्रेष्ठ पदों पर रहकर अपनी राष्ट्रभक्ति, कर्तव्यनिष्ठा एवं राष्ट्रगौरव का परचम लहरा रहे हैं।
मुख्य वक्ता का स्वागत विद्यालय के प्रधानाचार्य विक्रम बहादुर सिंह परिहार ने स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्रम तथा श्रीफल देकर किया। प्रधानाचार्य ने बताया कि दस दिनों तक चलने वाले इस नवचयनित आचार्य प्रशिक्षण वर्ग में प्रतिदिन वैचारिक सत्र, शैक्षिक सत्र, क्रियात्मक सत्र, चर्चात्मक सत्र में आचार्य-आचार्यों को विभिन्न विद्वज्जनों द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया जायेगा।