गीता के सिद्धांतों पर चलकर सेनानियों ने दिलाई आज़ादी : राजेश कुमार सिंह

संजय द्विवेदी यूनाइटेड भारत

  • सेनानी बुद्धिसागर शुक्ल की 120 वीं जयंती
  • सेनानी परिजन भी हुए सम्मानित

सोनभद्र, स्वतंत्रता आंदोलन के समय सेनानी क्रान्ति के विचारों के साथ गीता का भी पाठ करते थे, जब भी निराशा या कोई अड़चन उनके सामने खड़ी होती तो भगवदगीता उन्हें संबल देती, यह कहना था घोरावल के उप जिलाधिकारी राजेश कुमार सिंह का जो मुख्य अतिथि के रूप में सभा को संबोधित कर रहे थे । उन्होंने बरगद के उस वृक्ष का भी जिक्र किया जिसमें सेनानी बुद्धिसागर शुक्ल को अंग्रेज बांध। कर प्रताड़ित करते थे ।


डोमखरी, घोरावल के सागर वाटिका में स्वतंत्रता सेनानी बुद्धिसागर शुक्ल की प्रतिमा पर अतिथियों द्वारा माल्यार्पण के बाद कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत हुई। मुख्य अतिथि द्वारा सेनानी परिजन अमरेश कहार, दीवा व अमरेश चंद्र दुबे, सलखन को अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया । विशिष्ट अतिथि विजय शंकर चतुर्वेदी ने बुद्धिसागर शुक्ला के कार्यों पर प्रकाश डालते हुए उन्हें एक सच्चा देशभक्त बताया . उन्होंने कहा कि पंच प्रण के तहत पूरे देश ने अपनी विरासत पर गर्व करने की शपथ ली है। सेनानियों के संघर्ष का इतिहास न सिर्फ गौरव का एहसास कराएगा बल्कि हम सब उससे प्रेरणा भी ग्रहण करेगा । वक्ता सनोज तिवारी ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कठिन परिस्थितियों को रेखांकित करते हुए सेनानियों के अमूल्य योगदान की चर्चा की, राकेश कुमार त्रिपाठी ने कहा सोनभद्र की माटी धन्य है जहां सौ से ज्यादा सेनानियों ने भारत माता के पैरों में पड़ी बेड़ियों को तोड़ने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया। सभाध्यक्ष परमेश्वर शुक्ल ने अतिथियों के प्रति आभार ज्ञापित किया ।
कार्यक्रम संयोजक अजीत कुमार शुक्ला ने अतिथियों को माल्यार्पण कर व ओबरा के दशरथ शुक्ल ने गांधी टोपी पहना कर अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर काफी संख्या में गणमान्य नागरिक और ग्रामीणजन उपस्थित थे।
अतिथियों ने उस बरगद के पास पहुंच कर भारत माता की जयकार लगाई जिस पेड़ में अंग्रेज सिपाही सेनानी बुद्धिसागर शुक्ल को बांध कर प्रताड़ित करते थे ।

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