प्रयागराज। शनिवार को रात के साढ़े दस बजे थे। प्रयागराज के कॉल्विन हास्पिटल गेट से अंदर घुसने के बाद पुलिस जीप से उतरने के बाद मीडियाकर्मियों से घिरा माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ से एक के बाद एक सवाल दागे जा रहे थे। पहले दोनों चुप रहे। इसी बीच एक सवाल आया कि अतीक बेटे असद के जनाजे में क्यों नहीं गए? अतीक ने कहा कि नहीं ले गए तो नहीं गए। अतीक चुप हुआ तो अशरफ ने बोला- ‘मेन बात यह है कि गुड्डू मुस्लिम…’ इसी दौरान अतीक अहमद को पहले शूटर ने प्वाइंट ब्लैंक रेंज से सिर पर गोली मार दी। फिर अगले 12 सेकेंड में जो हुआ वह दुनिया ने देखा। अतीक और अशरफ की मौत के सा साथ ही वह मेन बात एक पहेली बनकर रह गई कि आखिर अशरफ गुड्डू मुस्लिम से जुड़ा क्या बताने जा रहा था ? वो कौन सी बात थी अब इसकी भी तफ्तीश हो रही है।
माफिया अतीक अहमद और उसके भाई ने खोले थे कई राज़-
दरअसल उमेश पाल हत्याकांड में चार दिन की रिमांड पर लिए गए अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ से पूछताछ चल रही थी। रिमांड का दूसरा दिन खत्म होने वाला था तभी दोनों की हत्या हो गई। जिसके बाद चर्चाएं तेज हैं कि दो दिन के दौरान दोनों भाइयों ने पुलिस के सामने कई राज खोले हैं। ये राज उनके आपराधिक साम्राज्य के, उनके आर्थिक व सियासी मददगारों और कई सौ करोड़ के बेनामी संपत्तियों से जुड़े हुए हैं। माना यह भी जा रहा है कि पूछताछ में दोनों ने फरार शूटर गुड्डू मुस्लिम, साबिर, अरमान और शाइस्ता के बारे में भी जानकारियां दी हैं। यह भी बताया है कि यह सब किस लोकेशन पर मिलेंगे?
क्या अतीक और अशरफ के राजनेताओं से भी थे रिश्ते?
प्रयागराज की सियासत और वहां के राजनीतिज्ञों से अतीक की नजदीकियों के काफी चर्चे रहे हैं। हर दल में उसके चाहने वाले थे। चाहे कीमती जमीनों में निवेश की बात हो या फिर ठेके-पट्टों से जुड़ा मामला। हर जगह अतीक और उसके गैंग का खासा दखल था। खासतौर पर प्रापर्टी के धंधे पर उसकी पूरी पकड़ थी। इसमें प्रयागराज और लखनऊ के कई बड़े सफेदपोश भी अतीक के साथ जुड़े थे। ये सफेदपोश अतीक के काले धन को सफेद करने का काम तो कर ही रहे थे साथ ही विवादित जमीनों को हथियाने में भी अतीक की मदद लिया करते थे। कयास लग रहे हैं कि इन सफेशपोश लोगों ने नाम भी अतीक ने खोले हैं। वह भी उसके दुश्नमन बन गए थे।
योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद पुलिस प्रशासन तो अतीक की अवैध संपत्तियों के खिलाफ कार्रवाई कर ही रहा था। लेकिन 12 अप्रैल को ईडी द्वारा की गई छापेमारी में अतीक और उसके सफेदपोश मददगारों से जुड़े कई अहम राज सामने आए हैं। ईडी ने कई सौ करोड़ की 100 से ज्यादा ऐसी बेनामी संपत्तियों को ट्रैक किया है जो अतीक और उसके सफेदपोश साथियों ने प्रयागराज और लखनऊ के पाश इलाकों में बनाई हैं। इसके साथ ही करोड़ों के लेन-देन के भी साक्ष्य मिले हैं जिनकी कड़ियां कुछ बड़ों तक पहुंच रही थीं। चर्चा है कि क्या इन राज और सफेदपोशों के नाम बाहर आ सकते थे इसलिए अतीक और अशरफ को ठिकाने लगा दिया गया?
ISI , पाकिस्तान में रिश्तों की पड़ताल
वहीं पड़ताल इस बात की भी हो रही है कि विदेशी हथियारों के पंजाब और बार्डर पार पाकिस्तान और आईएसआई कनेक्शन की कड़ियां खुलने का डर था इसलिए उस नेटवर्क से जुड़े लोगों ने इस वारदात को अंजाम दे दिया। हालांकि यह सब सिर्फ कयास ही हैं। क्योंकि मारने वाले शूटर्स का प्रोफाइल, उनकी पारिवारिक स्थिति और आपराधिक इतिहास से लग रहा है कि वे काफी लो प्रोफाइल होकर काम करने वाले हैं। उन्हें किसी ने वारदात के लिए हायर किया या वे सिर्फ उन लोगों ने नाम कमाने के इरादे से वारदात की, पुलिस दोनों ही सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश कर रही है।
फिलहाल पुलिस ने अतीक और अशरफ को मौत की नींद सुलाने वाले 18 वर्ष के अरुण मौर्य, 22 वर्ष के लवलेश तिवारी और 23 वर्ष के सनी सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। एफआईआर में भले ही हत्या की वजह तीनों ने अपराध की दुनिया में नाम बनाना बताया है लेकिन जैसे-जैसे पड़ताल आगे बढ़ेगी वैसे वैसे अशरफ की गुड्डू मुस्लिम से जुड़ी मेन बात जो वह बताना चाहता था और इस पूरे हत्याकांड की असली कहानी सामने आ पाएगी।