![Akhilesh Yadav, Arvind Kejriwal, and 36 parties were prominent in tying the alliance in which opposition parties were somehow being tried.](https://unitedbharat.net/wp-content/uploads/2023/10/india-280424-16x9-1-780x470.webp)
लोकसभा चुनाव के लिए सभी विपक्षी दलों को जैसे-तैसे जिस गांठ में बांधने को कोशिश की जा रही थी उस गठबंधन जोड़ने में प्रमुख थे कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे, नीतिशकुमार, अखिलेश यादव ,अरविन्द केजरीवाल , व 36 दल । उस गठबंधन की गांठ हाल फिलहाल में हो रहे मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में ही खुलती दिखाई दे रही है। अब इंडिया गठबंधन की एकता पर संदेह इसलिए हो चला है क्योंकि जिस तरह पहले समाजवादी पार्टी ने मध्य प्रदेश चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारकर कांग्रेस को तेवर दिखाए थे, उसी तरह अब नीतीश की जेडीयू ने भी मध्यप्रदेश चुनाव में अपने 5 कैंडिडेट की लिस्ट जारी कर दी है।
दरअसल, जनता दल (यूनाइटेड) ने मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार को अपने पांच उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी। जद (यू) की सहयोगी कांग्रेस मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी से सत्ता छीनने की कोशिश कर रही है। जद (यू) के राष्ट्रीय महासचिव अफाक अहमद खान के एक बयान के अनुसार, मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए यह पार्टी की ओर से जारी पहली सूची है। मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को सभी 230 सीट के लिए मतदान होगा। अब इस चुनाव में कांग्रेस की ही गठबंधन साथी जे डी यू के उम्मीदवार कांग्रेस के ही कैंडिडेट के वोट काटेंगे।
राजधानी लखनऊ में बसों की हालत बेहद गंभीर
— Ek Sandesh (@EkSandesh236986) October 25, 2023
उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसों का हाल खराब
सड़कों पर प्रदूषण फैला रहीं खराब रोडवेज बसें
यूपी परिवहन निगम बसों की नहीं करते मेंटेनेंस#Lucknow @UPSRTCHQ #UPSRTC #CMYogi @kpmaurya1 #YogiAdityanath pic.twitter.com/ZmwakcIHJo
गौरतलब है कि जनता दल यूनाइटेड ने अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट भी जारी कर दी है। मंगलवार को जनता दल यूनाइटेड के महासचिव और बिहार विधान परिषद के सदस्य आफाक अहमद खान की तरफ से जारी की गई सूची के अनुसार जनता दल यूनाइटेड मध्य प्रदेश के पिछोर, राजनगर, विजय राघवगढ़, थांदला और पेटलावद विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने वाली है। वहीं, जेडीयू की भी इस घोषणा के बाद से विपक्ष की ‘इंडिया’ गठबंधन के एकजुटता पर भी सवाल उठने लगे हैं। जेडीयू ने राजनगर से रामकुंवर (रानी) रैकवार, पिछोर सीट से चंद्रपाल यादव, विजय राघवगढ़ से शिवनारायण सोनी, पेटलावद सीट से रामेश्वर सिंघार और थांदला से तोल सिंह भूरिया को टिकट दिया है। वहीं, इस जदयू के इस घोषणा के बाद ‘इंडिया’ गठबंधन को लेकर भी अब चर्चा तेज हो गई है।
बताया जा रहा है कि जेडीयू इसके अलावा और भी प्रत्याशियों को मध्यप्रदेश चुनाव में उतार सकती है। अगर ऐसा हुआ तो इंडिया गठबंधन के लिए विधानसभा चुनावों का दौर काफी मुश्किल होगा। क्योंकि अखिलेश यादव पहले ही नाराजगी जता चुके हैं और उन्हें भी कांग्रेस के सामने प्रत्याशी उतारने पड़े। हालांकि दोनों का पैटर्न अलग रहा क्योंकि सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने साफ कहा कि कांग्रेस ने उन्हें धोखा दिया और उन्होंने इंतजार किया लेकिन कांग्रेस ने उन सीटों पर प्रत्याशी उतारे जहां सपा या तो जीती थी या मजबूत थी। लेकिन नीतीश कुमार ने तो गजब कर दिया। नीतीश की पार्टी जेडीयू का जनाधार मध्य प्रदेश में उतना नहीं है जितना सपा का है। इसके बाद भी प्रत्याशी उतार दिए गए। इससे दो चीजें साफ हो रही हैं कि या तो इंडिया गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनावों के लिए बना है या फिर जेडीयू जैसी पार्टियां सिर्फ खानापूर्ति के लिए विपक्षी एकता के साथ दिखती नजर आई हैं।
इसी मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने 230 सीटों में से 228 पर प्रत्याशी उतारे हैं। यदि उसे इंडिया गठबंधन के अन्य दलों को साथ लेकर चलना होता तो समाजवादी पार्टी को भी साथ लेकर चलती लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। और अब तो नीतीश कुमार भी उसी रास्ते पर हैं। ये वही नीतीश कुमार हैं जिन्होंने भाजपा और मोदी के विरोध के लिए देश भर के विपक्षी नेताओं को एकजुट करने का जिम्मा उठाया था और सबसे मुलाक़ात भी की थी लेकिन इंडिया गठबंधन की दूसरी बैठक का समय आते-आते उनका जोश ठंडा पड़ता गया और आरोप लगा कि कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन को हाईजैक कर लिया। फिलहाल अब विपक्षी पार्टियों का अगला मूव क्या होगा यह तो वही जानें लेकिन यह तय है कि इन विधानसभा चुनावों में इंडिया गठबंधन देश की जनता को जो मैसेज दे सकता था, वह देता नहीं दिख रहा है।
बता दें कि मध्य प्रदेश में सीट बंटवारे को लेकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की कांग्रेस से नाराजगी सामने पहले ही आ चुकी है। मध्यप्रदेश में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस पर धोखेबाजी करने का आरोप तक लगा दिया था। अखिलेश यादव ने इस मामले में मीडिया से बात करते हुए कहा था कि- ” जब गठबंधन नहीं करना था तो हमें बुलाया ही क्यों था। हमें पहले बता देते कि प्रदेश स्तर पर नहीं लोकसभा चुनाव के समय गठबंधन होगा। सपा मुखिया ने इसके साथ ही कहा कि कांग्रेस के लोग मुझे बोल दें कि सपा के साथ उन्हें गठबंधन नहीं करना है, हमसे साजिश और षड्यंत्र न करें।
इसके पहले मध्य प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच सीट बंटवारे को लेकर बात नहीं बन पाई थी । इस कारण दोनों दलों के बीच अब कटुता की खबरें भी आने लगी । ऐसे में कहा जा सकता है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस-सपा के बीच गठबंधन की संभावना काफी कम हो गई है। दोनों दल कई निर्वाचन क्षेत्रों में अपने-अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करने लगे हैं।
सबसे पहले कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट में उन सात सीटों में से चार पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी, जहां अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी पहले ही लिस्ट में उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी थी। कांग्रेस की इस लिस्ट ने न सिर्फ मध्यप्रदेश में कांग्रेस-सपा गठबंधन के अफवाहों पर फुलस्टाप लगा दिया बल्कि समाजवादी पार्टी के नेताओं को भी नाराज कर दिया है। 15 अक्टूबर को ही अखिलेश यादव के करीबी माने जाने वाले एक वरिष्ठ नेता ने कांग्रेस को लेकर अपनी नाराजगी जताई थी।समाजवादी नेता ने कांग्रेस पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस चाहती ही नहीं की भाजपा हारे। उन्होंने एक रिपोर्ट में ये भी बताया, ‘सपा ने कांग्रेस पार्टी को बताया था कि उनकी पार्टी मध्य प्रदेश में 10 सीटें चाहती है। लेकिन कांग्रेस ने कम सीटों की पेशकश की थी। फिर अचानक ही इतने सारे उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया गया।’ इन्ही कारणों से मध्यप्रदेश में कांग्रेस औरसमाजवादी के बीच तलवार खिंची हुई हैं। अब तक 19 सीटों पर दोनों दलों के उम्मीदवार आमने-सामने हैं। मध्यप्रदेश में समाजवादी के पिछले चुनावी प्रदर्शनों को देखते हुए कांग्रेस ने उसके सीटों के दावों को भाव नहीं दिया है और राह अलग कर ली है। ऐसे में नजरें इस पर टिक गई हैं कि समाजवादी की अलग दावेदारी कांग्रेस पर क्या असर डालेगी?
कांग्रेस की इस लिस्ट के बाद ये तो तय हो गया है कि मध्य प्रदेश के चुनाव मैदान में दोनों ही पार्टियां अकेले उतरेगीं। लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या इसका असर लोकसभा चुनाव के लिए होने वाले सीट बंटवारे पर पड़ेगा, आखिर ‘इंडिया’ गठबंधन में एकता क्यों नहीं बन पा रही है?15 अक्टूबर को कांग्रेस के उम्मीदवारों की लिस्ट के बाद समाजवादी और कांग्रेस में सब ठीक नहीं है ये तो जगजाहिर हो ही चुका है। लेकिन इस रार का असर लोकसभा चुनाव की सीटों पर भी असर डालना शुरू कर चुका है। दरअसल मंगलवार यानी 17 अक्टूबर को समाजवादी प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय कानपुर पहुंचे थे। वहां अखिलेश यादव एक बयान देते हुए सबको चौंका दिया है। उन्होंने कहा कि समाजवादी अपने दम पर चुनाव लड़ेगी, गठबंधन पर कांग्रेस निर्णय ले। अखिलेश यादव ने ये भी कहा कि अगर प्रदेश स्तर पर गठबंधन नहीं होगा तो देश स्तर पर भी नहीं हो सकता है। उत्तरप्रदेश की लोकसभा सीटों पर गठबंधन कर मैदान में उतरने के सवाल पर अखिलेश कहते हैं कि गठबंधन की बातें और खबरें चली है, लेकिन खबरों में क्या चलता है इससे हमें फर्क नहीं पड़ता।समाजवादी पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक को साथ लेकर 80 सीटों पर भाजपा को हराने की रणनीति तैयार करेगी।
अखिलेश यादव के बयान के तुरंत बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि उनकी पार्टी (कांग्रेस) अखिलेश यादव की शर्तों पर नहीं, अपने संकल्पों पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस की तैयारी उत्तर प्रदेश के सभी 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की है। सीटों के बंटवारे और गठबंधन का फैसला हाईकमान लेगा।
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव चाहते हैं कि अब उत्तर प्रदेश से बाहर भी पार्टी का विस्तार किया जाए और समाजवादी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर की पार्टी में बदला जाए। पिछले काफी समय से वो इसकी कोशिशें भी करते आ रहे हैं। 2024 से पहले समाजवादी पार्टी अब विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन का हिस्सा भी बन गई । ऐसे में वो दूसरे राज्यों में भी अपनी ताकत को दिखाकर 20 24 में कुछ ज्यादा सीटें हासिल करना चाहेगी।
इसके आलावा आम आदमी पार्टी के मध्य प्रदेश प्रभारी बीएस जून कह चुके है कि उनकी पार्टी मध्य प्रदेश में चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। चुनाव के लिए जल्द ही प्रत्याशियों के नामों की सूची जारी कर रही है । उन्होंने कहा था कि मध्य प्रदेश में आम आदमी पार्टी पूरी मुस्तैदी से चुनाव की तैयारी में जुटी है। प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर हम चुनाव लड़ेंगे और चुनाव जीतेंगे। प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया जारी है। जल्द ही प्रत्याशियों के नामों की सूची भी जारी कर दी जाएगी।उन्होंने कहा कि प्रत्याशी चयन में सिर्फ सर्वेक्षण ही टिकट देने का मापदंड होगा। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के हर जिले में हम ‘परिवर्तन यात्रा’ निकाल रहे हैं। जिसका समापन चार अगस्त को होगा। जून ने दावा किया कि ‘परिवर्तन यात्रा’ के दौरान लोगों का आम आदमी पार्टी के प्रति एक जुड़ाव दिख रहा है और हमें अपार जनसमर्थन मिल रहा है।
इसमे कोई शक नहीं है कि गठबंधन के दलों का यही हाल रहा तो 2024 तक ‘इंडिया’ गठबंधन लोकसभा चुनाव आते-आते बिखर जाएगा।