MP ELECTION:- मप्र में Congress को नुकसान पहुंचाने के लिए सपा तैयार; बसपा व जीजीपी भी करेगी वोटों का बंटवारा

MP ELECTION:- लोकसभा चुनाव से पहले हो रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में इंडिया गठबंधन के दलों के बीच मनमुटाव या कहें कि टकराव सामने आया है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के साथ सीटों की साझेदारी न होने पर सपा ने खुलकर नाराजगी जताई है। इतना ही नहीं, सपा ने मध्य प्रदेश में कई सीटों पर अपने उम्मीदवार भी उतार दिए हैं।

पिछले चुनाव में जीत-हार का रिकॉर्ड देखें तो कई जगहों पर सपा और बसपा के उम्मीदवार काफी कम मार्जिन से हारे थे। अगर इस बार उन्होंने उस अंतर को पूरा कर लिया तो मध्य प्रदेश में सरकार बनाने का कांग्रेस का सपना टूट सकता है। राजनीतिक जानकर कहते हैं कि मध्य प्रदेश के चुनावी रण में सपा भाजपा के साथ कांग्रेस को भी पटखनी देने की योजना पर काम कर रही है। कांग्रेस के साथ गठबंधन न होने पर 230 सीटों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए अब तक 33 प्रत्याशी सपा घोषित कर चुकी है। अगर 2018 के चुनावी आंकड़ों को देखें तो सपा के चुनावी मैदान में होने से कांग्रेस को कई सीटों पर नुकसान उठाना पड़ा था। इस बार भी सपा अकेले लड़ रही है। कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन में बसपा को शामिल करने की हसरत पाल रखी है। लेकिन मध्य प्रदेश में बसपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी आपस में मिलकर चुनाव मैदान में है।

बसपा 178 और जीजीपी 52 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार रही है। बसपा ने 2018 में यहां दो सीटें जीती थी। एक भाजपा में शामिल हो गया था। पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा ने भिंड और मुरैना के रास्ते मध्य प्रदेश में प्रवेश किया था। इन दोनों जिलों में इसका प्रभाव भी अच्छा खासा रहा है। पिछले 30 वर्षों में मप्र विधानसभा चुनाव में भिंड और मुरैना की तीन-सीटों, शिवपुरी में एक, ग्वालियर में दो, व दतिया में इसे सफलता भी मिल चुकी है। वर्ष 2018 में पोहरी में करीब 32 फीसद वोटों के साथ बसपा प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे थे। वहीं, करैरा में बसपा तीसरे स्थान पर रही थी।राजनीतिक जानकर कहते हैं कि बसपा बागी नेताओं की पहली पसंद होती है, क्योंकि इसका सॉलिड वोट बैंक है। मध्यप्रदेश बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल कहते हैं कि बसपा इस बार एमपी में 178 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इस बार बगैर बसपा के यहां सरकार नहीं बनेगी।

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