नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की सोमवार (3 अप्रैल) से मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) की बैठक शुरू हो गई है, जोकि 6 अप्रैल तक चलने वाली है। इस बैठक में कई बड़े फैसले लिए जा सकते हैं। जिसमें आरबीआई रेपो रेट यानी इंटरेस्ट रेट में 25 बेसिस पॉइंट (0.25%) की बढ़ोतरी कर सकती है। जिससे लगातार 7वीं बार रेपो रेट में बढ़ोतरी होगी।
बढ़ेगा लोन की ईएमआई का बोझ
गौरतलब है कि आरबीआई की ओर से महंगाई को कम करने के लिए 2022 मई के बाद से अब तक रेपो रेट में टोटल 250 बेसिस पॉइंट्स यानी 2.50% की बढ़ोतरी की जा चुकी है। वहीं, माना जा रहा है कि मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी मीटिंग में इस बार होने वाली रेट हाइक आखिरी होगी। हालांकि अगर नए वित्त वर्ष में भी रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है, जिसकी संभावना अधिक है तो सभी तरह के लोन पर बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेंगे। इसके चलते होम-कार लोन समेत सभी तरह की लोन की ईएमआई बढ़ सकती है।
रेपो रेट में बढ़ोतरी करने से बिल्डरों और ग्राहकों के लिए कर्ज महंगा हो जाएगा, जिससे आवास ऋण की दरों में वृद्धि से बिक्री प्रभावित होगी। बीते एक साल में, आरबीआई द्वारा रेपो दरों में वृद्धि करने से निर्माण लागत बहुत तेजी से बढ़ी है, इससे संघर्ष कर रहे निर्माताओं की परेशानी बढ़ गई है। रेपो दरों में और वृद्धि करने से कुछ परियोजनाएं पूरी करना वित्तीय रूप से कठिन हो जाएगा और आवास की ऋण दरें सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंचने से घर खरीदार भी पीछे हट जाएंगे। रेपो रेट में बढ़ोतरी से होम लोन की ब्याज दर 10 प्रतिशत के पार चली जाएगी जो खरीदारों की भावनाओं को प्रभावित करेगा।