आगरा। तुलसीपीठ के संस्थापक, पद्मविभूषण, मानस मर्मज्ञ जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने सोमवार को कहा कि वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों में मोदी सरकार एक बार फिर सत्ता में आएगी और सभी संत मिलकर रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कराएंगे।
सभी संत जन मिलकर सरकार पर दबाव बनाएंगे कि वह इस प्रस्ताव को संसद में पारित कराए। शाहगंज स्थित कोठी मीना बाजार में आज से शुरू हुयी रामकथा में उन्होने सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार भी किए और लोगों को सत्संग के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।
गौरतलब है कि पद्मविभूषण रामभद्राचार्य वही संत हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में रामलला के पक्ष में वेद पुराण के हवाले से गवाही दी थी। श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में वे वादी के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने ऋग्वेद की जैमिनीय संहिता से उद्धरण देना शुरू किया जिसमें सरयू नदी के स्थान विशेष से दिशा और दूरी का बिल्कुल सटीक ब्यौरा देते हुए श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई।
कोर्ट के आदेश से जैमिनीय संहिता मंगाई गई। उसमें जगदगुरु द्वारा निर्दिष्ट संख्या को खोलकर देखा गया और समस्त विवरण सही पाए गए। जिस स्थान पर श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई गई है, विवादित स्थल ठीक उसी स्थान पर है। जगद्गुरु के वक्तव्य ने फैसले को एक आधार प्रदान किया।
मात्र दो माह की उम्र में आंखों की रोशनी चले जाने के बावजूद वह 22 भाषाओं के ज्ञाता और 80 ग्रंथों के रचनाकार है। वह एक ऐसे संन्यासी हैं जो अपनी दिव्यांगता को हराकर जगद्गुरु बने। रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक हैं और आजीवन कुलाधिपति हैं।