Rajasthan BJP – हाल ही में जब राजस्थान के विधानसभा चुनाव की बयार चल रही थी तब विभिन्न प्रकार के सर्वे आ रहे थे जो चौंकाने वाले रहते थे । सबसे ज्यादा चौंकाया था मुख्यमंत्री की दौड़ में रहने वाले नामों ने । तब आजतक एक्सिस माय इंडिया एग्जिट पोल के सर्वे में मुख्यमंत्री पद के लिए एक ऐसा नाम भी सामने आया था , जिसने सभी को चौंका दिया था । आजतक एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल में जब लोगों से मुख्यमंत्री पद के लिए सवाल किया गया। तो पहली पसंद अशोक गहलोत रहे। सर्वे में जिन लोगों से बात हुई है, उनमें गहलोत को 32% लोग मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं। हालांकि, दूसरे नंबर पर इस लिस्ट में न तो वसुंधरा राजे का नाम था और न ही सचिन पायलट का। मुख्यमंत्री पद के लिए दूसरे नंबर पर लोगों की पसंद महंत बालकनाथ योगी रहे । बालकनाथ योगी को सर्वे में शामिल 10 फीसदी लोग मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं।
बात को आगे बढ़ावे उसके पहले महंत बालकनाथ योगी के बारे में बताना जरुरी है । महंत बालकनाथ योगी अलवर से सांसद थे । भाजपा ने उन्हें तिजारा विधानसभा से चुनाव मैदान में उतारा था । भाजपा के फायरब्रांड नेताओं में शामिल बाबा बालकनाथ का पहनावा योगी आदित्यनाथ की तरह रहता है। इसलिए उन्हें लोग राजस्थान का योगी भी कहते हैं साथ ही भाजपा के जीतने पर लोगों में उनके प्रति बहुत आशाए जग गई थी ।
बाबा बालकनाथ की अलवर और उसके आसपास के इलाकों में मजबूत पकड़ मानी जाती है। यही वजह है कि भाजपा ने विधानसभा चुनाव में भी उनपर भरोसा जताया था । वे भाजपा के हिंदुत्ववादी एजेंडे पर फिट बैठते हैं। यही वजह है कि चुनाव से पहले जब राजस्थान में भाजपा ने अपनी इकाई का ऐलान किया था, तब उन्हें उपाध्यक्ष बनाया गया।
महंत बालकनाथ योगी का जन्म 16 अप्रैल 1984 को राजस्थान के अलवर जिले के कोहराना गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम सुभाष यादव और मां का नाम उर्मिला देवी है। माता पिता की इकलौती संतान हैं और उनके परिवार में उनके दादा फूलचंद यादव और दादी मां संतरो देवी है । उनका परिवार बहुत लंबे समय से जनकल्याण और साधु संतों की सेवा करता रहा है।
उनके परिवार ने उन्हें मात्र 6 वर्ष की उम्र में अध्यात्म का अध्ययन करने के लिए महंत खेतानाथ के पास भेज दिया था। महंत खेतानाथ ने ही उन्हें बचपन में गुरुमख नाम दिया था। महंत खेतानाथ से अपनी शिक्षा दीक्षा को लेने के बाद वो महंत चांद नाथ के पास आ गए। महंत चांद नाथ ने उनकी बालक के समान प्रवृत्तियों को देखकर उन्हें बालकनाथ कहना शुरू किया था। महंत चांद नाथ ने उन्हें 29 जुलाई 2016 को अपना उत्तराधिकारी चुना था। महंत बालक नाथ योगी हिंदू धर्म के नाथ संप्रदाय के आठवें संत है। बालक नाथ योगी बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय के चांसलर भी है।
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उत्तरप्रदेश के योगी आदित्यनाथ की तरह भगवा कपड़ों में दिखने वाले बाबा बालकनाथ अकसर अपने आक्रामक तेवरों की वजह से चर्चा में बने रहते हैं। बाबा बालक नाथ ने 2019 में पहला लोकसभा चुनाव जीता। उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह को 3 लाख से ज्यादा वोटों से मात दी थी।
बाबा बालकनाथ उसी नाथ संप्रदाय के महंत हैं, जिससे योगी आदित्यनाथ जुड़े हैं। बालकनाथ रोहतक स्थित बाबा मस्तनाथ मठ के महंत हैं। नाथ संप्रदाय की परंपरा के मुताबिक, योगी आदित्यनाथ राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, तो रोहतक की गद्दी को उपाध्यक्ष की पदवी हासिल है। ऐसे में वे मुख्यमंत्री योगी के भी करीबी माने जाते हैं।
बाबा बालकनाथ ओबीसी कैटेगरी से आते हैं। बालकनाथ ने चुनाव आयोग में अपना नामांकन दाखिल किया। इसके मुताबिक, उनकी उम्र 39 साल है। उनके पास नकदी 45 हजार रुपए है। भारतीय स्टेट बैक शाखा पार्लियामेंट हाउस संसद भवन नई दिल्ली में 13 लाख 29 हजार पांच सौ अठावन रुपए (13,29558 ) जमा है। इसके अलावा एसबीआई तिजारा शाखा में एक अन्य बैंक खाते में 5 हजार की राशि जमा है। इस हिसाब से बैंक में कुल जमा राशि 13, 79,558 की राशि जमा है। उन्होंने 12वी तक पढ़ाई कर रखी है।
गौरतलब है कि भाजपा ने राठौड़, देवजी पटेल, नरेंद्र खीचड़, भगीरथ चौधरी और बाबा बालकनाथ समेत कुल सात सांसदों को चुनाव मैदान में उतारा था। इनमें राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा का नाम भी शामिल था।
दरअसल बाबा बालकनाथ भी उसी नाथ संप्रदाय से आते हैं, जिससे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आते है । बाबा बालकनाथ की लोकप्रियता का ग्राफ इतनी तेजी से चढ़ा कि वह दो बार की पूर्व की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भी पीछे छोड़ते हुए भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री के लिए सबसे लोकप्रिय चेहरा बन गए।
भाजपा द्वारा राजस्थान का चुनाव जीतने के बात बाबा बालकनाथ को राजस्थान का मुख्यमंत्री के लिए दावा मजबूत बताया जाने लगा था लेकिन जब मुख्यमंत्री फेस से पर्दा उठा तब भजनलाल शर्मा सब पर भारी पड़ गए। सूबे की सत्ता के शीर्ष पर भजन की ताजपोशी के बाद ये चर्चा शुरू हो गई कि बालकनाथ को नए मंत्रिमंडल में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। लेकिन बड़ी जिम्मेदारी की कौन कहे, मुख्यमंत्री के लिए भाजपा का सबसे लोकप्रिय चेहरा रहे बालकनाथ को भजन कैबिनेट में जगह तक नहीं मिल सकी।
अब सवाल ये उठ रहे हैं कि आखिर कौन से फैक्टर्स हैं जो बालकनाथ के मंत्री बनने की राह में बाधा बन गए? वह भी तब, जब चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे चार सांसदों में से तीन को पार्टी ने सरकार में एडजस्ट कर दिया लेकिन बालकनाथ कैसे छूट गए या छोड़ दिए गए? दीया कुमारी को पहले ही भजन सरकार में डिप्टी मुख्यमंत्री बना दिया गया था। बाकी बचे सांसद रहे तीन में से दो राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और डॉक्टर किरोड़ीलाल मीणा भी भजन कैबिनेट में जगह पा गए। असली वजह तो भाजपा नेतृत्व ही जाने लेकिन चर्चा जातिगत समीकरणों से लेकर संत समाज के गणित तक, कई फैक्टर्स की हो रही है।
महंत बालकनाथ को मंत्री नहीं बनाए जाने को लेकर बात जातिगत समीकरणों की भी हो रही है। महंत बालकनाथ यादव जाति से आते हैं। राजस्थान में यादव जाति के मतदाता करीब दो दर्जन सीटों पर जीत-हार तय करने में अहम रोल निभाते हैं लेकिन इनका प्रभाव करीब आधा दर्ज सीटों पर ही अधिक है। भाजपा का आधार इस जाति में कमजोर माना जाता रहा है। पार्टी ने मध्य प्रदेश में सरकार की कमान मोहन यादव को सौंपकर पहले ही यादव कार्ड खेल दिया था। बालकनाथ की पहचान एक महंत के रूप में अधिक है। ऐसे में उनके नाम के सहारे यादव समाज तक मैसेज ठीक-ठीक पहुंचेगा, इसे लेकर शायद पार्टी के नेता आश्वस्त नहीं थे।
बालकनाथ के मंत्री बनने की राह में एक बाधा संत-महंत फैक्टर को भी बताया जा रहा है। राजस्थान के चुनाव में इसबार भाजपा के टिकट पर तीन संत-महंत विधानसभा पहुंचे हैं। पोखरण से महंत प्रतापपुरी और हवामहल से बालमुकुंद आचार्य भी विधायक हैं। ऐसे में तिजारा विधायक बालकनाथ को मंत्री बनाए जाने से संत समाज से ही आने वाले दो विधायकों को भी एडजस्ट करने की चुनौती भाजपा के सामने खड़ी हो सकती थी।
सूत्रों की मानें तो राजस्थान में 200 विधानसभा सीटें हैं। जिनके आधार पर भाजपा 30 मंत्री बना सकती है। अभी भाजपा के मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री समेत कुल 25 मंत्री है। ऐसे में भाजपा अब पांच मंत्री और बना सकती है। सियासत में लोकसभा चुनाव के चलते सभी समाज को साधने के प्रयास के कारण बालक नाथ का मंत्रिमंडल में से नाम कट होना माना जा रहा है। लेकिन राजनीतिक जानकार सम्भावनाएं जता रहे हैं कि 6 माह तक नए मंत्रियों की परफॉर्मेंस देखने के बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल भी किया जा सकता है। ऐसे में सम्भावना है कि अगले फेज में बाबा बालक नाथ का नंबर आ जाए। लेकिन यह सब लोकसभा चुनाव के बाद ही होने की संभावना है।