कांग्रेस में खलबली मच गई है, तो उनके रणनीतिकार तोड़ निकालने में जुट गए

दिग्गजों को मैदान में उतारकर भाजपा ने जहां भितरघात और अपनों की नाराजगी पर विराम लगा दिया है, तो वरिष्ठ नेताओं की वजह से आस पास की सीटों पर भी भाजपा को लाभ मिल सकता है।

भाजपा की 39 विधानसभा सीटों पर दिग्गिज नेताओं को चुनावी मैदान में उतारकर मास्टर स्ट्रोक मारा है, इससे जहां कांग्रेस में खलबली मच गई है, तो उनके रणनीतिकार इसका तोड़ निकालने में जुट गए हैं। जानकारों का कहना है कि दिग्गजों को मैदान में उतारकर भाजपा ने जहां भितरघात और अपनों की नाराजगी पर विराम लगा दिया है, तो वरिष्ठ नेताओं की वजह से आस पास की सीटों पर भी भाजपा को लाभ मिल सकता है। गौरतलब है कि भाजपा की 39 नामों की सूची में तीन केंद्रीय मंत्री, चार सांसद, एक भाजपा महासचिव का नाम है।

इनमें सबसे बड़ा और अप्रत्याशित नाम चुनाव समिति के संयोजक नरेन्द्र सिंह तोमर का है, जो पिछले कुछ महीने से मध्यप्रदेश में चुनाव कमान संभालते प्रदेश भर में सक्रिय हैं। तोमर 2003 में ग्वालियर से विधायक निर्वाचित हुए थे और उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज कैबिनेट के सदस्य भी रहे। कहा जा रहा है कि दिमनी को लेकर भाजपा के रणनीतिकारों के साथ कोई तोड़ नहीं निकाल पा रहा था, क्योंकि दिमनी में एक उपचुनाव सहित तीन बार से भाजपा पराजित हो रही है। 2013 में भाजपा तीसरे नंबर पर रही थी।

भाजपा ने यह सीट कांग्रेस से छीनने के लिए दांव खेला और केन्द्रीय मंत्री तोमर अब प्रत्याशी के रूप मेें यहां मैदान में रहेंगे। जानकार मान रहे हैं इसका लाभ दूसरी विधानसभा क्षेत्रों में मिलेगा, क्योंकि एक रणनीति के तहत तोमर को अगले मुख्यमंत्री के रूप में उनके समर्थक प्रचारित करेंगे, जिससे भाजपा से नाराज लोग भी तोमर की जिताने के लिए जुट जाएंगे। इतना ही नहीं उनके मैदान में उन्हें से टिकट की मांग कर रहे दूसरे नेता भी खामोश होकर तोमर को जिताने के लिए काम करेंगे।

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