OM Birla -लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदस्यों के लिए सदन में आचरण के उच्चतम मापदंड स्थापित करना आवश्यक बताते हुए कहा है कि लोकतंत्र में नीतियों और मुद्दों पर मतभेद हो सकते हैं लेकिन ऐसी असहमति सदन की गरिमा और मर्यादा के दायरे में रहकर व्यक्त की जानी चाहिए।
बिरला मंगलवार को यहां विधानसभा में राजस्थान की सोलहवीं विधानसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने जोर देकर कहा कि राष्ट्रपति और राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान सदन में कोई व्यवधान नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह अभिभाषण हमारी संसदीय व्यवस्था में महत्वपूर्ण मौका होता है जिसका सभी को सम्मान करना चाहिए।
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उन्होंने कहा कि प्रत्येक सदस्य का यह दायित्व है कि वह सदन के माध्यम से लोकतंत्र को सुदृढ़ करने में अपना योगदान दे। इसके साथ ही उन्होंने सदस्यों से आग्रह किया कि वे सदन में अपना पूरा समय दें और वरिष्ठ नेताओं और सदस्यों के भाषण सुनें और उनसे सीखें। उन्होंने कहा कि सदस्य जितना अधिक समय सदन में बैठेगा, उसे उतना अधिक अनुभव प्राप्त होगा और वह पूरे राज्य की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों से अवगत होगा। उन्होंने कहा कि दूसरों से सीखने से उनका दृष्टिकोण व्यापक होगा और वे अपनी बात अधिक प्रभावी ढंग से रख पाएंगे। बिरला ने सदस्यों को कानूनों और बजट पर पुराने वाद-विवाद, कानूनों और नियमों को पढऩे का सुझाव भी दिया, जिससे उन्हें बेहतर विधायक बनने में मदद मिलेगी। बिरला ने आगे कहा कि सदस्य जितना अधिक अध्ययन करेगा, उसकी चर्चा उतनी ही सारगर्भित होगी और उतने ही बेहतर कानून बनेंगे।