MP NEWS:- भ्रष्टाचार का ढिंढोरा पीटते मोदी, शाह और नड्डा पैदा नहीं कर पाए एक भी कर्पुरी ठाकुर 

नरेंंद्र मोदी की केंद्र शासन में भ्रष्टाचारियों पर जो भी पकड़ रही हो वह तो स्पष्ट दिखाई दे रही है लेकिन भ्रष्टाचार का ढिंढोरा पीटते-पीटते मप्र में नरेंद्र मोदी भी कर्पुरी ठाकुर पैदा जैसा नेता नहीं बना पाए,

 MP NEWS:-जबसे केंद्र में भाजपा की सरकार बनी तबसे लेकर आज तक नरेंंद्र मोदी की केंद्र शासन में भ्रष्टाचारियों पर जो भी पकड़ रही हो वह तो स्पष्ट दिखाई दे रही है लेकिन भ्रष्टाचार का ढिंढोरा पीटते-पीटते मप्र में नरेंद्र मोदी भी कर्पुरी ठाकुर पैदा जैसा नेता नहीं बना पाए, इस प्रदेश की हालत यह है कि यह ढिंढोरा पीटने के लिए काफी है कि मप्र में शिवराज सरकार 18 सालों से सत्ता पर काबिज रही लेकिन शिवराज के 18 साल के शासनकाल में जमकर भ्रष्टाचार हुआ इसको लेकर भी विपक्ष द्वारा यह आरोप लगाये जाते हैं कि शिवराज के 228 महीनों के शासनकाल में 228 से ज्यादा भ्रष्टाचार के मामले सामने आए हैं, इसी मप्र में जिस सनातन धर्म को लेकर भाजपा विपक्ष को घेर रही है उसी सनातन धर्म के तमाम देवी देवताओं के नाम पर भी जमकर भ्रष्टाचार हुआ है चाहे वह 2004 का सिंहस्थ हो या 2016 का भ्रष्टाचार के नाम पर सिंहस्थ में भी जमकर खेल हुआ शिवराज की ही बात की जाये तो उनकी धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह के अपने पति के सत्ता पर काबिज होने के कुछ ही दिनों बाद अपनी पहचान छुपाकर डम्पर खरीदने का खेल खेलकर अपने पति के शासनकाल की भ्रष्ट नीतियों का संदेश इस प्रदेश की जनता को दे दिया और अंत में जब विधानसभा के चुनाव होने हैं उसके बाद इस प्रदेश के मतदाता इस भ्रष्ट सरकार को पुन: सत्ता पर काबिज करने के लिये भाजपा के पक्ष में मतदान करेगी कि नहीं यह तो चुनाव परिणाम बतायेंगे लेकिन इसके पूर्व साधना सिंह ने दूसरा खेल खेलकर राजधानी के 74 बंगले का नामोनिशान मिटाकर सरकारी खर्चे से 15 लाख रुपये में एक बंगला तुड़वाकर सरकारी खजाने से आलीशान बंगला बनाने की तैयारी कर रही हैं बाकी भ्रष्टाचार के सबूत तो राजधानी के बने आलीशान ताज होटल के मालीकाना हक होने की जो चर्चायें प्रदेश की राजधानी में लोगों में है उससे यह साफ हो जाता है कि जिन कांग्रेस के मुख्यमंत्री कांग्रेसी नेताओं के भ्रष्टाचार को लेकर भाजपाई ढिंढोरा पीटते हैं मगर अपने शासनकाल में भ्रष्टाचार की बात कतई नहीं करते। भ्रष्टाचार की यह स्थिति है कि जहां अपने पति के सत्ता पर काबिज होने के बाद श्रीमती साधना सिंह ने अपना जो खेल खेलना शुरु किया था वह आज भी बदस्तूर जारी है

तो वहीं पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा पर भी प्रदेश की खदानों के साथ जो खेल खेला जा रहा है उसका उदाहरण अकेले पन्ना जिले में ही नहीं राजधानी के समीप के जिलों में भी दिखाई दे रहा है जहां वीडी शर्मा से जुड़े लोग खदाने चला रहे हैं, तो वहीं शिवराज मंत्रीमण्डल में ऐसे मंत्रियों को लेकर भ्रष्टाचार की चर्चायें गर्म हैं जिन्होंने भ्रष्टाचार के चलते सिमी के कार्यकर्ता को जेल से रिहा तक करवाया, जबकि आतंकियों के खिलाफ भाजपा सरकार ने दिखावे की एक मुहिम चला रखी है लेकिन मप्र के जिन मंत्री ने रुपयों का खेल खेलकर सिमी के कार्यकर्ता को रिहा करने का काम किया था उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, यही नहीं राजधानी के जिन नरेला विधानसभा के बारे में पूर्व सीएम स्व. बाबूलाल गौर ने विधानसभा में जुआ सट्ट और अवैध गोरखधंधे पनपने को लेकर विधानसभा में आरोप लगाये थे वही विधानसभा आतंकवादियों के गढ़ के लिये समाचार पत्रों में सुर्खियों में रही यही नहीं उसी विस क्षेत्र में आतंकवादियों के ट्रेनिंग कैम्प की भी चर्चा सुर्खियों में रहने के साथ-साथ जिस कोरोना काल में भाजपा की योजनाओं का मुख्मयंत्री ढिंढोरा पीटते हैं उसी हमीदिया के सुरक्षित स्टोर रूम में से कोरोना काल में लोगों की जीवनदायिनी दवा का चोरी हो जाना और उसकी जांच के परिणाम अभी तक नहीं आना भाजपा के भ्रष्टाचार की याद दिलाती है, ऐसे एक नहीं अनेकों मामले हैं

जिनमें आज भाजपा सत्ता की खातिर एक-एक मतदाता को मनाने और बहनों और आदिवासियों के पैर छूने का नाटक मुख्यमंत्री कर रहे हैं उन्हीं मतदाताओं की जहरीली शराब से 14 मौतों के बाद मरे का माल खाने की भी जो भाजपा में प्रथा है इसी मप्र की राजधानी में यूनियन कार्बाइड से गैर रिसन हुआ था तो जब हजारों लोग मौत के घाट उतरे थे उसी कम्पनी से चैक से दान लेने की खबरें भी भाजपा के स्व. अरुण जेटली के नाम पर सुर्खियों में रही हैं। आज उन्हीं भ्रष्ट मंत्रियों को जिसकी बदौलत इस सहकारिता की इस प्रदेश में बाट लगी और प्रदेश के कई सहकारी बैंक बंद हो गए रीवा जिले के गुढ़ का बैंक भी शामिल है उन्हीं का इस चुनाव में उतारकर क्या भला होने वाला है यह तो भविष्य बतायेगा, लेकिन इन सब घटनाओं से यह सिद्ध हो जाता है कि भाजपा का भ्रष्टाचार के खिलाफ ढिंढोरा पीटना एक बहाना है और लोगों का समस्याओं से ध्यान हटाना ही मात्र गोरखधंधा है लेकिन यह भाजपाई नेता डॉ. राममनोहर लोहिया की समाजवादी पार्टी के बिहार के दो बार के मुख्यमंत्री रहे कर्पुरी ठाकुर जैसा नेता आज भी पैदा नहीं कर पाये, ठाकुर के निधन के बाद उनकी कुल जमा संपत्ति एक टूटी झोंपड़ी मात्र थी, यह आरोप नहीं है बल्कि एक इतिहास है जो बिहार में देखा जा सकता है, इस मप्र में अब भ्रष्टाचार का वह इतिहास दोहराया जा रहा है जिसमें कभी यही भाजपाई कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. अर्जुन सिंह के शासनकाल में अलीबाबा और 40 चोर का आरोप लगाते थे वही आरोप अब भाजपा  के 19 साल के शासन पर लगाया जा सकता है, सत्ता की खातिर मोदी, शाह और नड्डा अब इन्हीं भाजपा नेताओं और विधायकों पर जिन पर भ्रष्टाचार के तमाम आरोप सुर्खियों में रहे उन्हीं को विजयी बनाने की अपील करेंगे?   

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