सिंधिया ट्रस्ट को कोर्ट से लगा बड़ा झटका: जमीन की बिक्री और निर्माण कार्य पर लगाई रोक, जानें क्या है पूरा मामला

ग्वालियर के जिला एवं सत्र न्यायालय से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से जुड़े गजराराजे ट्रस्ट को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने कहा कि माधवी राजे सिंधिया, ज्योतिरादित्य सिंधिया व चित्रांगदा सिंह ने बिना अधिकार के नारायण बिल्डर को सर्वे क्रमांक 1211/1 की 0.763 हेक्टेयर (तीन बीघा) भूमि बेच दी है। जबकि यह भूमि यशवंतराव राणे के मालिकाना हक की थी। इसलिए जमीन पर निर्माण किया जाएगा। न जमीन का किसी भी तरह से विक्रय।
सिंधिया ने जमीन की रजिस्ट्री की थी,रजिस्ट्री भी शून्य मानी जाएंगी। दरअसल जमीन चेतकपुरी गेट पर स्थित बंधन गार्डन के पास है। बहु मंजिला इमारत बनाई जा रही है। यशवंत राव राणे ने अतिरिक्त सत्र न्यायालय में न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती दी थी। उनकी ओर से तर्क दिया गया कि ललितपुर मौजे की सर्वे क्रमांक 1211/1, 1211/2, 1211/3, की 6 बीघा 4 बिस्वा भूमि उनके मालिकाना हक की थी। इस जमीन पर उनके पिता खेती करते थे। जमीन उनके पिता के नाम दर्ज थी, लेकिन इस जमीन के खसरा के खाना नंबर 12 में माधवराव सिंधिया का नाम दर्ज किया गया। नाम दर्ज करने से पहले न उनको नोटिस दिया गया और न सूचना दी।

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उन्होंने गलत तरीके से जमीन के दस्तावेजों में हेराफेरी की। जमीन का हिस्सा नारायण बिल्डर को बेच दिया। कोर्ट ने कलेक्टर, नगर निगम, सिंधिया, नारायण बिल्डर्स एंड डेवलपर्स से जवाब मांगा, लेकिन सिंधिया की ओर से जवाब नहीं दिया गया, जिसके चलते कोर्ट ने सिंधिया को एक पक्षीय घोषित कर दिया।
मामले पर कोर्ट ने क्या कहा ?
-सर्वे क्रमांक 1211/1 की 3 बीघा जमीन के खाना नंबर 12 में माधवराव सिंधिया का नाम कैसे आया। यह साबित करने का दायित्व माधवी राजे सिंधिया, ज्योतिरादित्य सिंधिया व चित्रांगदा सिंह का था, लेकिन उन्होंने कोई मौखिक व दस्तावेजी साक्ष्य पेश नहीं किए।
किस सक्षम प्राधिकारी ने कॉलम नंबर 12 में माधवराव सिंधिया का नाम दर्ज किया। यह भी स्पष्ट नहीं किया।
प्रतिवादीगण का दायित्व था कि उनके नाम जमीन का नामांतरण किसने किया। नारायण बिल्डर भी यह बताने में असफल रहा। विवादित भूमि माधवीराजे सिंधिया, ज्योतिरादित्य सिंधिया व चित्रांगदा सिंह ने बेची है। सभी दस्तावेजों की विधिवत रूप से संपत्ति अंतरण अधिनियम के तहत जांच हो।

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