नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की अपील के बावजूद बुधवार को भारतीय मूल के एक शख्स को फांसी पर लटका दिया गया। भारतीय मूल के 46 वर्षीय तंगाराजू सुप्पैया को गांजे की तस्करी के मामले में दोषी माना गया था। समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक तंगाराजू को चांगी जेल परिसर में मृत्युदंड दिया गया।
जानकारी के मुताबिक गाराजू सुप्पैया को 2017 में ‘तस्करी की साजिश में शामिल होने के लिए उकसाने’ का दोषी ठहराया गया था। जिसके बाद उसे 2018 में मौत की सजा सुनाई गई थी और कोर्ट ऑफ अपील ने फैसले को बरकरार रखा था। वहीं, परिवार ने मुकदमे पर जोर देते हुए क्षमादान की गुहार लगाई थी। तंगाराजू पर 1 किलो से अधिक गांजे की तस्करी का आरोप लगाया गया था।
समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक सिंगापुर के गृह मामलों के मंत्रालय ने मंगलवार को कहा था कि तंगाराजू का अपराध जितना बताया गया उससे अधिक साबित हुआ है। उसके पास दो फोन नंबर थे, जिसका इस्तेमाल वह ड्रग डिलीवरी के दौरान करता था।
तंगाराजू की फांसी पर यूएन ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का उल्लंघन बताया। यूएन ने कहा कि मृत्युदंड विश्व स्तर पर एक प्रभावी निवारक साबित नहीं हुआ है। मृत्युदंड की अनुमति तभी होती है जब अपराधी बेहद गंभीर आरोपों से बंधा हो।
इससे पहले सोमवार को जेनेवा स्थित ग्लोबल कमीशन ऑन ड्रग पॉलिसी के सदस्य रिचर्ड ब्रैनसन ने अपने ब्लॉग पर लिखा कि गिरफ्तारी के समय तंगाराजू के पास ड्रग्स नहीं थी। मुझे लगता है कि सिंगापुर एक निर्दोष व्यक्ति को मौत के घाट उतारने वाला है। वहीं, सिंगापुर के गृह मामलों के मंत्रालय ने ब्रैनसन के ब्लॉग पोस्ट पर दावे को गलत बताया है।