कांग्रेस और केजरीवाल की तकरार से टूट जाएगा  इंडिया गठबंधन

आम आदमी पार्टी के तीनों वरिष्ठ नेता जेल में हैं। सत्येंद्र जैन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह को दिल्ली के कथित शराब घोटाला मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया हुआ है।  चार अक्टूबर को करीब दस घंटे की लंबी पूछताछ के बाद ईडी ने संजय सिंह को गिरफ्तार किया था । इससे पहले ‘अमर्यादित व्यवहार’ के आरोप में उनके साथ-साथ राघव चड्ढा को भी राज्यसभा से निलंबित किया गया था। शराब घोटाले में गिरफ्तार संजय सिंह के तीन करीबी लोगों से पूछताछ शुरू हो गई है। सर्वेश मिश्रा सेईडीपूछताछ कर रही है।ईडीका दावा है कि संजय सिंह सर्वेश मिश्रा, विवेक त्यागी और कंवरवीर सिंह के जरिए ही अपने काम करवाते थे। शराब घोटाले में सरकारी गवाह बन चुके दिनेश अरोड़ा ने बताया था कि संजय सिंह को दो करोड़ रूपए दो किश्तों में सर्वेश मिश्रा के जरिए दिए गए थे। इसलिए ईडीने सर्वेश मिश्रा को पूछताछ के लिए बुला लिया और करीब दस घंटे तक लगातार पूछताछ चली। सर्वेश के अलावाईडीने संजय सिंह के दो और सहयोगियों विवेक त्यागी और कंवरवीर सिंह को भी पूछताछ का समन जारी कर दिया है। हालांकि संजय सिंह के सहयोगियों से पहले भी पूछताछ हो चुकी है और इसका जिक्रईडीने संजय सिंह के रिमांड पेपर्स में किया है। चूंकिईडी का दावा है कि सर्वेश के जरिए ही दो करोड़ रूपए की डिलवरी की गई, इसलिए सर्वेश से पूछताछ के बाद संजय सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। जैसे जैसे संजय सिंह पर शिकंजा कस रहा है, वैसे वैसे इसका राजनीतिक असर भी दिखने लगा है। संजय सिंह की गिरफ्तारी के मुद्दे पर इंडिया एलायन्स में फूट दिखाई दे रही है।  अगला नंबर किस नेता का होगा? इसे लेकर पुख्ता तौर पर तो कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन जानकारों का मानना है कि संकट के बादल इतनी जल्दी छंटने वाले नहीं हैं।

जिन राज्यों मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ और राजस्थान में जल्द विधानसभा चुनाव की घोषणा होने वाली है और यहाँ हमेशा कांग्रेस व भाजपा के बीच वन टू वन मुकाबला होता आया है पर इस बार आप पार्टी ने इन तीनों राज्यों की सभी सीटों से अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा करदी है । कांग्रेस व आप पार्टी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है सो कांग्रेस को यह बात नागवार गुजर रही है ।

वैसे आप पार्टी और कांग्रेस के बीच पंजाब व दिल्ली  को लेकर पहले से विवाद शुरू है और ऐसा लगता है कि अभी यह गठबंधन टूटने की कगार पर है पर किसी प्रकार गाड़ी आगे चल निकलती है । दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस और केजरीवाल की तकरार को समझने के लिए इसकी पृष्ठभूमि  को  समझना जरूरी है। अगर सिर्फ चुनाव नतीजों के लिहाज से देखा जाए तो दोनों राज्यों में केजरीवाल की पार्टी का वर्चस्व है। केजरीवाल ने जिस अंदाज में दिल्ली और पंजाब के विधानसभा चुनाव को जीते हैं, उसे आधार बनाया जाए तो कांग्रेस का इन दोनों राज्यों में लोकसभा की सीटों पर कोई क्लेम नहीं बनता। दिल्ली विधानसभा में तो कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी। पंजाब में कांग्रेस सिर्फ 18 सीटें जीतें पाई थी, इसीलिए केजरीवाल का ये दावा सही है कि दोनों राज्यों में सिर्फ वही मोदी को टक्कर दे सकते हैं। इसीलिए विरोधी दलों के मोर्चे में शामिल होने से केजरीवाल को इन दोनों राज्यों में कोई फायदा नहीं होगा। उल्टे दो चार सीटें देनी पड़ेंगी और नुकसान होगा। दूसरे राज्यों में जहां कांग्रेस मजबूत स्थिति में है, वहां वो आम आदमी पार्टी के लिए सीटों को छोड़ेगी इसकी उम्मीद कम है। लेकिन शरद पवार सबको यही समझा रहे हैं कि इस समय सीटों को लेकर आपस में नहीं लड़ना चाहिए और काफी हद तक मोदी विरोधी मोर्चे के नेता इस बात को समझते हैं क्योंकि सब ईडीऔर सी बी आई  के केसेज से परेशान हैं। जेल और बेल के चक्करों से हैरान हैं। लेकिन राजनीति के खेल में सब अपने अपने हिसाब से चाल चलेंगे। इसीलिए जब संजय सिंह के सवाल पर कांग्रेस ने समर्थन नहीं किया तो केजरीवाल ने भी कांग्रेस को आंख दिखाई। शुक्रवार को ही आम आदमी पार्टी ने हरियाणा की दस लोकसभा सीटों के लिए प्रभारियों के नामों की लिस्ट जारी कर दी। इसका संकेत ये है कि अगर कांग्रेस ने अपना रुख नहीं बदला, तो केजरीवाल उन राज्यों में भी लोकसभा चुनाव के दौरान अपने उम्मीदवार उतारेंगे जहां कांग्रेस और बीजेपी का सीधा मुकाबला है।

वहीँ पंजाब में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के एक और बड़े नेता ओ पी सैनी को भी गिरफ्तार किया है। पूर्व उपमुख्यमंत्री ओ पी सोनी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप हैं। इन दो बड़े नेताओं की गिरफ्तारी से कांग्रेस परेशान है। लेकिन केजरीवाल ने पिछले हफ्ते पंजाब में कहा कि कानून अपना काम करेगा, भ्रष्टाचार करने वाला, नौजवानों की जिंदगी खराब करने वाले, भ्रष्टाचार करने वाला कोई भी हो उसे बख्शा नहीं जाएगा। ये बात कांग्रेस को बुरी लगी। इसीलिए जब संजय सिंह की गिरफ्तारी हुई, तो कांग्रेस ने चुप्पी साध ली, केजरीवाल के साथ खड़ी नहीं हुई और बाद में  वेणुगोपाल ने इसकी वजह भी बता दी। केजरीवाल चाहते हैं कांग्रेस इस मुद्दे पर उन्हें समर्थन करे, मोदी के खिलाफ सब एकजुट रहें, लेकिन वो सीधे कह नहीं सकते। इसलिए शरद पवार के जरिए अपना संदेश कांग्रेस तक पहुंचाया। शुक्रवार को शरद पवार ने मल्लिकार्जुन खरगे के घर जाकर उनसे मुलाकात की। इस मीटिंग में राहुल गांधी और गुरदीप सप्पल भी मौजूद थे लेकिन क्या बात हुई, बात बनी या नहीं, इस पर तो मीटिंग के बाद किसी ने कुछ नहीं कहा, लेकिन गुरदीप सप्पल की बातों से साफ हो गया कि कांग्रेस का रुख केजरीवाल के लिए सख्त है। सप्पल ने केजरीवाल को वो सारे मौके याद दिला दिए जब कांग्रेस आम आदमी पार्टी के साथ खड़ी रही। सप्पल ने कहा कि कांग्रेस की नीयत तो साफ है, केजरीवाल की पार्टी पंजाब में क्या कर रही है, ये देखना भी जरूरी है। 

कांग्रेस के महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा कि विरोधियों के खिलाफ जिस तरह का रवैया केन्द्र सरकार है, उसी तरह का रवैया पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार का विरोधियों के साथ है। अगर संजय सिंह की गिरफ्तारी गलत है, तो फिर पंजाब में कांग्रेस के नेता सुखपाल सिंह खैरा की गिरफ्तारी को भी जायज़ नहीं ठहराया जा सकता। कांग्रेस के इस व्यवहार से केजरीवाल खफा हैं। अब इस मामले में शरद पवार मध्यस्थता कर रहे हैं, लेकिन कोई रास्ता निकलता नहीं दिखाई दे रहा है। असल में संजय सिंह की गिरफ्तारी को लेकर इंडिया एलान्यस में शामिल ज्यादातर पार्टियां खुलकर केजरीवाल के साथ खड़ी हैं लेकिन कांग्रेस ने इस मामले में गोलमोल रूख दिखाया है। कांग्रेस का कोई नेता संजय सिंह के पक्ष में खुलकर नहीं बोला। शुक्रवार को उस वक्त बात और बिगड़ गई जब राहुल गांधी के करीबी और कांग्रेस के महासचिव के सी वेणुगोपाल ने साफ बता दिया कि इस मामले में कांग्रेस केजरीवाल के साथ क्यों नहीं हैं। के सी वेणुगोपाल ने ट्विटर पर लिखा कि संजय सिंह कोईडीने जिस तरह अरेस्ट किया है, वो सियासी बदले की कार्रवाई को एक अलग लेवल पर लेकर जाती है। जांच एजेंसियों के सहारे राजनीतिक बदला लेने की इस प्रवृति का कांग्रेस विरोध करती है और इसीलिए पंजाब में जिस तरह ऑल इंडिया किसान सभा के चेयरपर्सन सुखपाल सिंह खैरा और फॉर्मर डिप्टी सीएम ओपी सोनी को गिरफ्तार किया गया है।।कांग्रेस उसका भी विरोध करती है। लोकतंत्र में सबसे फेयर ट्रायल का मौका मिलना चाहिए और जांच एजेंसियों को संविधान के दायरे में काम करना चाहिए। इसके बाद के सी वेणुगोपाल ने एक लाइन और लिखी जो केजरीवाल को सबसे ज्यादा बुरी लगी होगी। वेणुगोपाल ने लिखा कि अगर हम वही बन जाते हैं जिसका हम विरोध करते हैं तो ये सही नहीं है। 

वेणुगोपाल के कहने का मतलब ये है कि आम आदमी पार्टी दिल्ली में तो अपने नेताओं के खिलाफ जांच एजेंसियों के एक्शन को गलत बता रही है लेकिन पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार जांच एजेंसियों का दुरूपयोग करके कांग्रेस के नेताओं को गिरफ्तार कर रही है। के सी वेणुगोपाल के बयान का मतलब है, कांग्रेस हाईकमान का बयान, इसीलिए केजरीवाल संकेत तो समझ गए, लेकिन बोले कुछ नहीं। जब उनसे पूछा गया कि संजय सिंह की गिरफ्तारी के मुद्दे पर कांग्रेस तो आपके साथ नहीं हैं तो केजरीवाल ने कहा कि जिसे साथ आना हो आए, जिसे न आना हो, न आए, क्या फर्क पड़ता है, लेकिन शराब घोटाला फर्जी है, ये तो सबको पता है। केजरीवाल संजय सिंह को बेगुनाह बता रहे हैं और कांग्रेस सुखपाल सिंह खैरा को। केजरीवाल बीजेपी पर एजेंसियों का वक्त बर्बाद करने का इल्जाम लगा रहे हैं और सुखपाल सिंह की खैरा की गिरफ्तारी को लेकर कांग्रेस यही बात केजरीवाल को याद दि ला रही है। सुखपाल सिंह खैरा पंजाब के पूर्व शिक्षामंत्री सुखजिंदर सिंह खैरा के बेटे हैं। सुखजिंदर सिंह खैरा अकाली नेता थे लेकिन सुखपाल सिंह खैरा ने कांग्रेस से सियासत शुरू की। पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता रह चुके हैं। तीसरी बार विधानसभा का चुनाव जीते हैं। बीच में कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे लेकिन केजरीवाल से बनी नहीं और कांग्रेस में लौट आए। कांग्रेस ने उन्हें भारतीय किसान कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया। कुछ दिन पहले भगवंत मान की सरकार ने खैरा को नशीले पदार्थ की तस्करी  के केस में गिरफ्तार कर लिया। ये जो कुछ भी संगठन का विवाद आपस में हो रहा है वह संगठन की दृष्टि से ठीक नहीं है सो अब आने वाला समय बताएगा कि संगठन का ऊंट किस करवट बैठता है ।

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