MP NEWS-मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव कितना अहम है इस बात का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं किभाजपा ने चुनाव के ऐलान से पहले ही अपने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट भी जारी कर दी है। इस लिस्ट में एक नहीं, दो नहीं, तीन-तीन केंद्रीय मंत्री का नाम है। मतलब केंद्र सरकार में मंत्री अब राज्य में विधायक बनेंगे। यही नहीं इस चुनाव की अहमियत इससे भी लगा सकते हैं कि 4-4 सांसदों को भी मैदान में उतारा गया है। मतलब दूसरी लिस्ट में कुल 7 सांसद हैं, जो विधायकी का चुनाव लड़ेंगे।
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकरभाजपा की दूसरी लिस्ट में 39 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया गया है। ऐसे में समझते हैं किभाजपा को केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को उतारने की जरूरत क्यों पड़ी और बड़े चेहरों से क्या हासिल करना चाह रही है?
तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसदों को मैदान में उतरने के पीछे कहा यहा भी जा रहा है किभाजपा किसी भी तरह से कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। इन सात नेताओं में अधिकतर को जीत की गारंटी माना जाता है और मध्य प्रदेश की राजनीति में इनकी गिनती भी दिग्गजों में होती रही है। यही वजह है किभाजपा इन नेताओं के जरिए कांग्रेस के किले में सेधमारी के साथ-साथ जीत की गारंटी के हिसाब से आगे बढ़ रही है।
इससे कुछ दिनों पहले भी भाजपा ने 39 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी। इस सूची की खास बात यह देखी गई थी कि पहली बार में भाजपा ने जो सूची जारी की थी वो उन जगहों की थी जहां पार्टी को 2018 में हार का सामना करना पड़ा था। इस सूची में कई पुराने चेहरों के साथ नए लोगों को मौका दिया गया।
भाजपा की ओर से जारी लिस्ट के मुताबिक, केंद्रीय कृषी मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को दिमनी सीट से मैदान में उतारा गया है। दिमनी सीट मुरैना जिले की छह विधानसभा सीटों में से एक है। 2018 के विधानसभा चुनाव और 2020 में हुए उपचुनाव में इस सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी। ऐसे में अब भाजपा ने सीट पर अपनी मजबूत दावेदारी पेश करने के लिए नरेंद्र सिंह तोमर को मैदान में उतार दिया है। जिन तीन केंद्रीय मंत्रियों और चार सांसदों को पार्टी ने मध्य प्रदेश के चुनावी समर में उतारा हैं, उसके पीछे कई कारण हैं। अव्वल तो ये कि ये सभी नेता अपने-अपने क्षेत्रों में मजबूत जमीनी पकड़ रखते हैं। जैसे नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर, गुना और मुरैना में प्रभावी हैं। गणेश सिंह सतना, राकेश सिंह अपने क्षेत्र जबलपुर, उदय प्रताप सिंह होशंगाबाद, रीति पाठक सीधी क्षेत्र में प्रभावशाली नेता हैं। जो अपनी विधानसभा के अलावा आसपास की कई विधानसभा सीटो को प्रभावित कर पार्टी की झोली में सीटो की संख्या को बढ़ा सकती हैं।
दूसरी लिस्ट में कई ऐसे नाम हैं जिनका जिक्र मुख्यमंत्री बनने की रेस में आता रहा है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, इंदौर से कैलाश विजयवर्गीय को भी टिकट दिया गया है। वही राकेश सिंह जबलपुर से सांसद है। 2018 का विधानसभा चुनाव और 2019 का लोकसभा चुनाव इन्ही के नेतृत्व में लड़ा गया था। ये उस समयभाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे, फिलहाल लगातार चार बार सेभाजपा के सांसद है।
बीजेपी ने इन नामों पर इसलिए भी दाव खेला है क्योंकि पार्टी को लगता है जब नेता मुख्यमंत्री की रेस में होंगे तो जमकर मेहनत करेंगे। यही कारण है नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर चंबल में, प्रहलाद पटेल महाकौशल में तो कैलाश विजयवर्गीय मालवा निमाड़ में ताकत झोकेंगे। यानी इन नेताओं के चुनाव लड़ने करीब 60-70 सीटों पर असर पडे़गा।
अपने बेटों के लिए टिकट की चाह रखने वाले कई नेताओं में विजयवर्गीय, तोमर, गोपाल भार्गव, गौरी शंकर बिसेन, नरोत्तम मिश्रा और यहां तक कि मुख्यमंत्री चौहान भी शामिल हैं। राज्य के एक वरिष्ठभाजपा नेता के अनुसार वरिष्ठ नेतृत्व को मैदान में उतारने से यह भी सुनिश्चित होगा कि उनके बेटों के लिए टिकट की कोई लड़ाई न हो।
दिलचस्प बात यह है किभाजपा ने सीधी से मौजूदा विधायक केदारनाथ शुक्ला को टिकट नहीं दिया है, जहां से उनकी जगह रीति पाठक को मैदान में उतारा गया है। पाठक सिंगरौली से मौजूदा सांसद हैं।केदारनाथ शुक्ला का संबंध प्रवेश शुक्ला से था, जिन्हें जुलाई में आदिवासी व्यक्ति दशमत रावत पर पेशाब करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इस घटना से क्षेत्र के आदिवासी मतदाताओं में असंतोष फैल गया था, जिसके बादभाजपा एक व्यापक आउटरीच कार्यक्रम के माध्यम से आदिवासियों का दिल जीतने के लिए काम कर रही है।
यह पहली बार है कि पार्टी ने चुनाव से महीनों पहले और चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की तारीखों की घोषणा से भी पहले उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है। अन्य दलों ने अभी तक अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी नहीं की है।
मध्यप्रदेश एकमात्र राज्य नहीं है जहां पार्टी ने सांसदों को मैदान में उतारने की रणनीति अपनाई है। पिछले महीने,भाजपा ने घोषणा की थी कि वह दुर्ग (छत्तीसगढ़) से लोकसभा सांसद विजय बघेल को छत्तीसगढ़ के पाटन निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारेगी, ताकि संभावित रूप से राज्य के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल, जो वहां के मौजूदा विधायक हैं, के खिलाफ चुनाव लड़ सकें। विजय बघेल मुख्यमंत्री के भतीजे हैं। खबर तो है किभाजपा राजस्थान में भी इसी फॉर्मूले के तहत केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बना सकती है। इससे पहलेभाजपा ने बंगाल और त्रिपुरा में केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़ाने का प्रयोग किया था। बंगाल में केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो, सांसद लॉकेट चटर्जी, सांसद निशित प्रामाणिक, सांसद जगन्नाथ सरकार, राज्यसभा सांसद स्वप्न दास गुप्ता को विधानसभा चुनाव लड़वाया था। त्रिपुरा में केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक विधानसभा चुनाव के मैदान में उतारा था। वहीं तेलंगाना में भी प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी और तीनों सांसदों संजय बंदी, अरविंद धर्मपुरिया, सोयम बाबू राव समेत राजेंद्र इटेला को भी विधानसभा चुनाव में दो-दो हाथ करने को मैदान में उतारा जा सकता है।
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गौरतलब है कि गत 2018 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में,भाजपा 109 सीटें जीतकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जो 230 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस की 114 सीटों से कुछ ही कम थी। हालांकि, वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों के एक समूह के दलबदल के बाद,भाजपा ने 2020 में सरकार बनाई।इमरती देवी, जो सिंधिया के साथभाजपा में शामिल होने के लिए कांग्रेस छोड़ दी थीं, को डबरा से मैदान में उतारा गया है, जो एससी उम्मीदवार के लिए आरक्षित है।
भाजपा की यह लिस्ट ऐसे समय में आई है जब प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को ही भोपाल में एक जनसभा को संबोधित किया। इस सभा में प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस की जहां-जहां सरकार बनी, वहां इन्होंने सिर्फ लूटा है। राज्यों को बर्बाद कर दिया। अगर आपने मध्यप्रदेश में इन्हें मौका दिया। तो ये (कांग्रेस) यही हाल मध्यप्रदेश में भी करेंगे ।
लेकिन इस लिस्ट के सामने आने के बाद कांग्रेस को भी बोलने का मौका मिल गया । उसने भाजपा के खिलाफ विवादित ट्वीट किया। मध्य प्रदेश कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से लिखा गया, हार को सामने देख कर रावण ने कुंभकर्ण, अहिरावण, मेघनाद सबको मैदान में उतार दिया था…बस यही दूसरी लिस्ट में हुआ है।
इस दूसरी लिस्ट के सामने आने के बाद यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा इन मंत्रियों और सांसदों को अब केंद्रीय कैबिनेट में रखने के मूड में नहीं है। इसके अलावा चुनाव नजदीक देख सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता लगातार मध्य रदेश के दौरे कर रहे हैं।भाजपा जन आशीर्वाद यात्रा, आशीर्वाद सभाओं के जरिए मतदाताओं को अपने पाले में करने की कोशिशों में जुटी है। इसे लेकर भी कहा जा रहा है कि राज्य में भाजपा की स्थिति कुछ खास ठीक नहीं है।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले, भाजपा ‘अबकी बार 150 पार’ (150 से अधिक सीटों पर जीत) का नारा लेकर आई है। इस लिस्ट सोमवार कोभाजपा कार्यकर्ताओं की मेगा मीटिंग से पहले भोपाल मोदी के बड़े-बड़े कट-आउट से पट गया था । जगह-जगहभाजपा के वरिष्ठ नेताओं के पोस्टर भी लगाए गए । केंद्रीय मंत्री और भाजपा के मध्य प्रदेश चुनाव प्रभारी भूपेन्द्र यादव, केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक नरेंद्र तोमर, राज्य भाजपा प्रमुख वीडी शर्मा और अन्य शीर्ष नेताओं ने भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ व्यस्त रोशनपुरा चौक को सजाया और उस स्थान पर पार्टी के झंडे लगाए।
रविवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ केंद्रीय मंत्रियों और अन्य नेताओं ने मैदान में जाकर तैयारियों की समीक्षा की थी । जन आशीर्वाद (लोगों का आशीर्वाद) यात्रा के साथ, भाजपा ने चौहान सरकार के तहत विकास और कल्याणकारी योजनाओं पर प्रकाश डाला गया था । जैसे-जैसे आगामी चुनावों के लिए नैरेटिव सेट करने की लड़ाई तेज होती जा रही है, कांग्रेस भी भाजपा सरकार की “विफलताओं” पर निशाना साधने के लिए ‘जन आक्रोश यात्रा’ कर रही है। 2018 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा सत्ता में नहीं आ सकी थी, क्योंकि कांग्रेस ने 230 में से 114 सीटें जीत लीं, जबकिभाजपा 109 पर सिमट गई थी।
एमपी में फिलहालभाजपा की सरकार है और कांग्रेस विपक्ष में बैठी हुई है। इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव मेंभाजपा और कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी भी मैदान में हैं। अभी तक मध्यप्रदेश में कुल 78 सीटों पर भाजपा ने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है। प्रदेश में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं ।