कांग्रेस और भाजपा के रणनीतिकार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बहु चर्चित और महत्वाकांक्षी लाड़ली बहना योजना के असर के आंकलन में जुटे हैं। मध्य प्रेश की सभी 230 विधानसभा क्षेत्र में 35 से लेकर 55 हजार तक लाड़ली बहनाओं के वोट हैं। महिलाओं का मतदान पुरुषों से जरूर कम है लेकिन इतना कम नहीं कि परिणामों पर असर डाल सकें। मुख्यमंत्री ने फरवरी में इस घोषणा का ऐलान किया था और 15 मार्च को पहली किश्त डाली गई थी।
जुलाई में इसे विस्तारित किया गया। मतदान के ठीक पहले भी महिलाओं को इसकी किश्त के रूप में 1250 रुपए मिले थे। इस योजना का लाभ प्रदेश के लगभग एक करोड़ 31 लाख महिलाओं को मिल रहा है।https://eksandesh.org/news_id/34304 इस योजना ने कांग्रेस की नारी सम्मान योजना को पलीता लगा दिया। लाड़ली बहना योजना और मुख्यमंत्री की अन्य योजनाओं का असर यह हुआ कि कमलनाथ ने अपनी गारंटी योजनाओं को आचार संहिता लगने तक सामने लाना बंद कर दिया। अंतिम चरण में तो यह स्थिति हुई कि कमलनाथ गारंटी योजनाओं की बजाय भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अधिक बोलते थे।
कुल मिलाकर लाड़ली बहना योजना ने गेम चेंजर का काम किया। कांग्रसी भी मानते हैं कि यदि यह योजना लान्च नहीं हुई होती तो प्रदेश में तीन दिसम्बर को कमलनाथ के नेतृत्व में दो तिहाई बुहमत के साथ कांग्रेस सरकार बनाती। इस योजना ने भाजपा 100 सीटें मिलना भी मुश्किल हो होता लेकिन अब ऐसा नहीं है। भाजपा हर हालत में 100 प्लस सीटें जीतने की स्थिति में है। खास तौर पर भाजपा को उन सीटों पर लाभ होगा जो कड़े संघर्ष में फंस गई हैं। लाड़ली बहना योजना ने कमलनाथ की रणनीति को पूरी तरह से उलझा दिया। खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्र में इसका असर देखा गया। महिलाएं परिवार की धुरी होती हैं। उनको अपनी तरफ करने का मतलब है कि मुख्यमंत्री ने एक बड़ा वोट बैंक भाजपा की तरफ मोड़ लिया था। मुख्यमंत्री ने 2007 में लाड़ली लक्ष्मी योजना लागू की थी। यह योजना गेम चेंजर साबित हुई। इसके बल पर भाजपा ने 2008 और 2013 में बहुमत प्रापत किया था। इस योजना की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो जब भी महिलाओं के किसी कार्यक्रम में जाते हैं तो इस योजना का उल्लेख जरूर करते हैं। लाड़ली लक्ष्मी योजना के बाद मुख्यमंत्री ने लाड़ली बहना योजना और लाड़ली लक्ष्मी का दूसरा वर्जन भी लागू किया। इन योजनाओं की देशभर में मॉडल माना गया है। सििति यह है कि सभी राजनीतिक दलों ने महिला कल्याण की इन योजनाओं को नाम बदलकर अपने घोषणापत्र में जरूर शामिल किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लाभार्थी वोट बैंक की तर्ज पर मध्य प्रदेश में महिला लाभार्थी वोट बैंक तैयार किया है।