रांची। अवैध भूमि की बिक्री से जुड़े धन शोधन के मामले में झारखंड के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी छवि रंजन को ईडी ने बड़ा झटका दिया है। इस मामले में छवि रंजन को ईडी ने जांच में पूछताछ के लिए पेश होने के लिए और समय देने से इनकार कर दिया है।
आधिकारिक सूत्रों मुताबिक ईडी ने रंजन की 21 अप्रैल तक पेशी के उसके समन को स्थगित करने के अनुरोध वाली याचिका खारिज कर दी है। उन्होंने बताया कि राज्य की राजधानी रांची में 2011 बैच की आईएएस अधिकारी की ओर से संघीय जांच एजेंसी के समक्ष पेश हुए वकील ने पेशी के लिए समयसीमा करीब दो हफ्ते बढ़ाने जाने का अनुरोध किया लेकिन मामले के जांच अधिकारी ने याचिका खारिज कर दी और उनसे शुक्रवार शाम तय समय तक पेशी सुनिश्चित करने के लिए कहा। इस सप्ताह की शुरुआत में ईडी ने नौकरशाह से 21 अप्रैल को उसके समक्ष पेश होने के लिए कहा था।
सूत्रों ने बताया कि अगर रंजन शुक्रवार को रांची में ईडी के समक्ष पेश नहीं होते हैं तो एजेंसी उन्हें ताजा समन जारी कर सकती है। ईडी ने 13 अप्रैल को आईएएस अधिकारी से संक्षिप्त पूछताछ की थी जब इस मामले में झारखंड, बिहार तथा पश्चिम बंगाल में उनके तथा अन्य लोगों के परिसरों पर छापे मारे गए थे। एजेंसी ने इन छापों के बाद झारखंड सरकार के एक अधिकारी समेत कुल सात लोगों को गिरफ्तार किया था। छापेमारी की कार्रवाई धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत की गई और एजेंसी कथित रूप से रक्षा भूमि सहित अन्य जमीन को हड़पने के दर्जन भर से अधिक मामलों की जांच कर रही है।
आरोप है कि इन जमीन सौदों के तहत भू ‘माफिया’, बिचौलियों और नौकरशाहों के एक समूह ने कथित तौर पर ‘सांठगांठ’ की और 1932 और उसके बाद की अवधि में जमीन के जाली कागजात और दस्तावेज बनाए। ईडी के सूत्रों ने कहा था कि इस घोटाले के तहत गरीबों और वंचितों की जमीन को ‘हड़पा’ गया। जांच एजेंसी ने स्थानीय नगर निगम द्वारा कुछ व्यक्तिगत पहचान दस्तावेजों की जालसाजी के आरोप में दर्ज कराई गई एक प्राथमिकी को संज्ञान में लेते हुए मामले की पीएमएलए के तहत जांच शुरू की थी।
सूत्रों के मुताबिक, छापेमारी के दौरान ईडी ने कई फर्जी मुहर, जमीन दस्तावेज और रजिस्ट्री दस्तावेज बरामद किए। यह दूसरा ऐसा मामला है, जिसमें झारखंड काडर की आईएएस अधिकारी ईडी की जांच के दायरे में आयी हैं। पिछले साल, ईडी ने धन शोधन से जुड़े एक मामले में झारखंड काडर की आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल के ठिकानों पर छापे मारे थे और उन्हें गिरफ्तार किया था।