MP ELECTION:- कहीं विरोध से डर तो नहीं गई भाजपा  

MP ELECTION:- मिशन 2023 के लिए भाजपा ने मप्र चुनाव के लिए दो सीट छोड़कर अपनी सभी सीटों पर प्रत्याशी की तस्वीर साफ कर दी, लेकिन इस सूची को लेकर निर्णयकर्ताओं की जिस तरह की भागदौड़ रही, सूची वैसी प्रतीत नहीं हो रही है। विधानसभा चुनाव की आहट होते ही राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरु हो गई थी कि भाजपा सूबे की सत्ता पाँचवीं बार हासिल करने गुजरात फार्मूले पर टिकट बांटेगी। यानि सर्वे में जहां पार्टी कमजोर होगी, वहां नए चेहरे उतारे जाएंगे। फिर चाहे वे सीटें मंंत्रियों या वरिष्ठ विधायकों की ही क्यों न हों। इस आधार पर उम्मीदवारों के चेहरे चयन करने पार्टी ने पूरी प्रक्रिया दिल्ली में बैठे शीर्ष नेतृत्व की गाइडलाइन परशुरु की। दूसरी सूची में इसकी झलक देखने को मिली, लेकिन चौथी और पाँचवीं सूची में भाजपा वह हिम्मत नहीं दिखा पाई जो दूसरी सूची में देखने को मिली थी।

दरअसल पाँचवीं सूची में जिस तरह से कई ऐसे विधायकों को फिर से टिकट दिए गए हैं, िजनके बारे में पार्टी को मिली रिपोर्ट सकारात्मक नहीं थी। इनमें से सतना जिले के विधायक नागेन्द्र सिंह स्वयं पब्लिक मीटिंग में अगला चुनाव नहीं लडऩे का यह कहते हुए एलान किया था कि अब युवा तरुणाई को मौका दिया जाए। पूर्व मंत्री और संासद रह चुके नागेन्द्र सिंह 81 साल के हो चुके हैं। इसी तरह रीवा के गुढ़ विधायक नागेन्द्र सिंह की उम्र भी 76 साल बताई जा रही है, जिनके द्वारा खुद अपने भतीजे प्रणव प्रताप सिंह को चुनाव लड़ाने का संकेत देते रहे हैं। इन दोनों क्षेत्रों में विधायकों के उत्तराधिकारी को लेकर आम सहमति नहीं बन सकी। विशेषकर विधायक उन नामों पर सहमत नहीं हुए, जिन्हें पार्टी प्रत्याशी बनाना चाहती थी। सबसे अहम बात यह है कि पार्टी ने खराब परफार्मेंस व अन्य वजहों से जिन आठ विधायकों को टिकट होल्ड किए थे, उनमें से पार्टी मात्र दो के ही टिकट काट पाई।

इनमें से एक मंत्री के स्थान पर उनकी पुत्री को उम्मीदवार बनाया है। जानकार मान रहे हैं कि पार्टी इन मंत्रियों को फिर से टिकट देने के पक्ष में नहीं थी, किन्तु वरिष्ठ नेताओं के दबाव के सामने उनकी नहीं चली। समर्थकों के विरोध का डर भी रहा कारण – सूत्रों का मानना है कि जिन मंत्रियों और विधायकों को लालघेरे में रखा गया था, उनके टिकट नहीं काटे गए, क्योंकि पार्टी की पहली दो सूचियों में जिस तरह का टिकट कटने वाले नेताओं के समर्थकों का विरोध झेलना पड़ा, उससे पार्टी किसी बड़े नुकसान का डर सताने लगा। बताया जा रहा है कि पार्टी ने सूची जारी होने के बाद संबंधित क्षेत्रों में अपने स्तर पर सर्वे कराया, तो उसमें इस तरह के विरोध से नुकसान होने की बात कही गई। पार्टी ने होल्ड में रखे गए मंत्रियों के यहां भी फीडबैक दिया कि उनके टिकट कटने से समर्थक पार्टी को नुकसान उठाने के पक्ष में नहीं रही और मंत्रियों सहित जहां नुकसान हो सकता था, वहां पुराने चेहरे दोहराए गए।  

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