प्रयागराज। माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की हत्या के मामले में रविवार (16 अप्रैल) को कई बड़े खुलासे हुए है तो वहीं पुलिस ने अतीक और अशरफ की बॉडी पोस्टमार्टम के बाद परिजन को सौंप दी। जिसके बाद दोनों को सुपुर्द-ए-खाक किया गया। दोनों भाइयों की हत्या को लेकर विपक्षी दलों ने बीजेपी (BJP) पर जमकर निशाना भी साधा। इस बीच उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) सरकार ने इस हत्याकांड की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया है। जानिए इस घटनाक्रम से जुड़ी बड़ी बातें।
- अतीक और अशरफ के शवों को कसारी मसारी कब्रिस्तान में दफनाया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार अतीक अहमद को आठ और अशरफ को पांच गोलियां लगी हैं. पोस्टमार्टम चार डॉक्टरों के पैनल ने किया और पूरे पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी भी गई. अतीक को सिर, गर्दन, छाती और कमर में एक-एक गोली लगी जबकि अशरफ को गले, पीठ, कलाई, पेट और कमर में एक-एक गोली लगी. अशरफ के शरीर के अंदर तीन गोलियां मिली और दो आर पार हो गईं.
- अतीक अहमद और अशरफ की हत्या में लवलेश तिवारी (बांदा), मोहित उर्फ सनी (हमीरपुर) और अरुण मौर्य (कासगंज-एटा) को गिरफ्तार किया गया है. तीनों हमलवारों को 14 दिन की ज्यूडिशियल कास्टडी में भेज दिया गया है. अब तक की जांच में पता चला है कि ये तीनों आरोपी कॉन्ट्रैक्ट किलर हैं. ये तीनों एक दूसरे को पहले से नहीं जानते और तीनों ही अलग-अलग जिलों के रहने वाले हैं.
- यूपी पुलिस इन तीनों को एक साथ लाकर, रेकी करवाने, होटल में रुकवाने, विदेशी हथियार, मीडिया का फर्जी आईडी कार्ड और कैमरा देकर अतीक-अशरफ की हत्या के लिए भेजने वाले मास्टरमाइंड की पड़ताल करने में जुटी है.
- तीनों आरोपियों ने पूछताछ के दौरान पुलिस से कहा कि वे अतीक और अशरफ गिरोह का सफाया कर प्रदेश में अपनी पहचान बनाना चाहते थे. इस हत्याकांड के संबंध में दर्ज की गई प्राथमिकी में इस बात का जिक्र है. इस हमले के दौरान गोलीबारी में आरोपी लवलेश तिवारी को भी गोली लगी है और उसका अस्पताल में उपचार किया जा रहा है.
- प्राथमिकी के अनुसार, पूछताछ के दौरान तीनों आरोपियों ने कहा कि हम अतीक और अशरफ गिरोह का सफाया कर प्रदेश में अपने नाम की पहचान बनाना चाहते थे, जिसका लाभ भविष्य में निश्चित रूप से मिलता. हम पुलिस के घेरे का अनुमान नहीं लगा पाए और हत्या करने के बाद भागने में सफल नहीं हो पाए. पुलिस की तेजी से की गई कार्रवाई में हम लोग पकड़े गए.
- दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, आरोपियों ने कहा कि जब से हमें अतीक व अशरफ को पुलिस हिरासत में भेजे जाने की सूचना मिली थी, हम तभी से मीडियाकर्मी बनकर यहां की स्थानीय मीडिया की भीड़ में रहकर इन दोनों को मारने की फिराक में थे, लेकिन सही समय और मौका नहीं मिल पाया. शनिवार को मौका मिलने पर हमने घटना को अंजाम दिया.
- यूपी सरकार ने जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया है. आधिकारिक जानकारी के अनुसार इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश अरविन्द कुमार त्रिपाठी द्वितीय की अध्यक्षता में पूर्व पुलिस महानिदेशक सुबेश कुमार सिंह और सेवानिवृत्त जनपद न्यायाधीश बृजेश कुमार सोनी को बतौर सदस्य आयोग में शामिल करते हुए तीन सदस्यीय आयोग का गठन किया गया है.
- आयोग को मामले की जांच के बाद दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपनी होगी. राज्य के गृह विभाग ने जांच आयोग अधिनियम, 1952 के तहत आयोग का गठन किया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सनसनीखेज हत्याकांड में उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए थे. इसके साथ ही यह भी कहा था कि इसमें तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन कर मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए.
- इस हत्याकांड को लेकर विपक्षी नेताओं ने बीजेपी सरकार पर जोरदार हमला बोला है. एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे की मांग की. साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में मामले की जांच कराने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि आप देखिए किस तरह से हथियार चलाए गए. यह सोची-समझी साजिश के तहत की गई हत्या है और वे (हत्या में शामिल लोग) पेशेवर हैं. बीजेपी की उत्तर प्रदेश सरकार की भूमिका कितनी है और ये कौन लोग हैं, जिन्होंने पुलिस और मीडिया की मौजूदगी में सोची-समझी साजिश के तहत हत्या को अंजाम दिया.
- पश्चिम बंगाल की सीएम और टीएमसी चीफ ममता बनर्जी ने कहा कि मैं उत्तर प्रदेश में अराजकता और कानून-व्यवस्था के पूरी तरह चरमरा जाने से स्तब्ध हूं. अपराधी अब पुलिस और मीडिया की मौजूदगी से बेफिक्र होकर कानून अपने हाथ में ले रहे हैं, ये शर्मनाक है. इस तरह के गैरकानूनी कृत्यों का हमारे संवैधानिक लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है.