सीताहरण की लीला देखकर भाव विभोर हुए दर्शक

धुआं देखि खरदूषन केरा जाइ सुपनखाँ रावन प्रेरा॥ बोली बचन क्रोध करि भारी। देस कोस कै सुरति बिसारी।। खर-दूषण का विध्वंस देखकर शूर्पणखा ने जाकर रावण को भड़काया। वह बड़ा क्रोध करके वचन बोली- तूने देश और खजाने की सुधि ही भुला दी,और पंचवटी में श्री राम लक्ष्मण,सीता का प्रसंग रावण को सुनाया।

मंचन में दिखाया गया कि पंचवटी में शूर्पणखा राम लक्ष्मण को लुभाने आती है, जब वो अपनी हद पार करती है तो लक्ष्मण द्वारा क्रोधित होकर उसकी नाक काट दी जाती है। शूर्पणखा अपने भाइयों खर, दूषण के पास जाती है, खर और दूषण राम को ललकारते हैं लेकिन युद्ध में मारे जाते हैं। शूर्पणखा फिर रावण को अपनी व्यथा सुनाती है और उसे सीता का हरण करने के लिए उकसाती है। सीता परम रुचिर मृग देखा। अंग अंग सुमनोहर बेषा॥ सुनहु देव रघुबीर कृपाला। एहि मृग कर अति सुंदर छाला।।सीताजी ने उस परम सुंदर हिरन को देखा, जिसके अंग-अंग की छटा अत्यन्त मनोहर थी। (वे कहने लगीं-) हे देव! हे कृपालु रघुवीर! सुनिए। इस मृग की छाल बहुत ही सुंदर है॥ रावण मारीच की मदद से षड्यंत्र रचता है और सीता का हरण कर लेता है।

रास्ते में जटायु उसे रोकता है लेकिन रावण उसे घायल कर लंका की ओर आगे बढ़ जाता है। रामलीला मंचन में सीता हरण,सबरी आश्रम,राम – सुग्रीव मित्रता,और बाली वध का मंचन किया गया। राम जी का अभिनय अनुज मिश्रा, लक्ष्मण जी राहुल त्रिपाठी, सीता जी अमरदीप, रावण पप्पू चतुर्वेदी, हनुमान जी पंचम नगायच, सुग्रीव मनोज मिश्रा, सबरी पिंटू मिश्रा, तारा शिवानी, बाली का अभिनय एवं मंच संचालन सुमंत शर्मा द्वारा किया गया। व्यासपीठ पर योगेन्द्र शास्त्री जी और तबला वादन मुकेश सिंह द्वारा किया गया। रामलीला न्यास के सचिव मनोज तिवारी ने बताया की 24 अक्टूबर दशहरा के दिन रावण के विशाल पुतले का दहन किया जाएगा एवं 25 अक्टूबर को श्री राम राज्याभिषेक की झांकी की शोभायात्रा का नगर में भ्रमण होगा। इस अवसर पर रामलीला न्यास के वीरेंद्र मोहन तिवारी, संजीव तिवारी, मुकेश गुप्ता, राघव तिवारी, सुनील मिश्रा वीरेंद्र त्रिपाठी, हरिशरण सक्सेना, नमन सोनी, सुभाष तिवारी कोषाध्यक्ष अबोध सोनी, शरद अनुरागी,  सुमेंद्र कुमार, विनीत सैन,जीतेंद्र चौरसिया प्रवक्ता श्री रामलीला न्यास सहित भारी संख्या में जनसमूह उपस्थित रहा।

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