Lucknow-अभाविप ने की ‘पूर्वोत्तर अध्ययन यात्रा’ आयोजित करने की घोषणा 

'अखिल भारतीय पदाधिकारी बैठक' में अभाविप ने पूर्वोत्तर भारत से शेष भारत के युवाओं को परिचित कराने हेतु 'पूर्वोत्तर अध्ययन यात्रा' को आयोजित कराने की घोषणा की है।

Lucknow-अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की एक-दो अक्टूबर को शिलांग में आयोजित हो रही ‘अखिल भारतीय पदाधिकारी बैठक’ में अभाविप ने पूर्वोत्तर भारत से शेष भारत के युवाओं को परिचित कराने हेतु ‘पूर्वोत्तर अध्ययन यात्रा’ को आयोजित कराने की घोषणा की है। इस यात्रा की घोषणा पूर्वोत्तर भारत की समृद्ध विरासत व संस्कृति से विद्यार्थियों को परिचय कराने के उद्देश्य से की गई है।

उल्लेखनीय हो कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अंतर-राज्य छात्र जीवन दर्शन (SEIL) यात्रा की सन् 1966 में शुरुवात हुई थी, जिसे हर वर्ष अभाविप द्वारा आयोजित किया जाता है। इस यात्रा के निमित्त पूर्वोत्तर के विभिन्न जनजातियों से आने वाले विद्यार्थियों को विभिन्न  प्रदेशों को भ्रमण करने का अवसर मिलता है, वहां उन्हें देश की सांस्कृतिक एकता, भाषाई विविधता तथा शैक्षणिक परिवेश को देखने और समझने का अवसर प्राप्त होता है। इस वर्ष नवंबर माह में प्रस्तावित अभाविप की ‘पूर्वोत्तर अध्ययन यात्रा’ के माध्यम से अब भारत के अलग-अलग राज्यों से 75 छात्र-छात्राओं को पूर्वोत्तर भारत के अलग-अलग राज्यों में जाकर  परंपरा, लोक व्यवहार तथा प्राकृतिक समृद्धि को जानने का अवसर मिलेगा। यात्रा के दौरान विद्यार्थी पूर्वोत्तर भारत की अलग-अलग जनजातियों, परंपराओं तथा ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण करेंगे।

अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा कि,” पूर्वोत्तर भारत के राज्य शिक्षा के प्रमुख केन्द्र के तौर पर विकसित हो रहे हैं, यह अत्यंत शुभ संकेत है। देश का शिक्षा क्षेत्र अनेक परिवर्तनों से गुजर रहा है, पूर्वोत्तर भारत के राज्य अनेक दृष्टियों से सकारात्मक परिवर्तन में प्रमुख भागीदारी कर रहे हैं। पूर्वोत्तर भारत के राज्य प्राकृतिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध हैं, विविध दृष्टियों से पूर्वोत्तर भारत का विकास शीघ्रता से हो रहा है,यह अत्यंत शुभ संकेत है।”

याज्ञवल्क्य शुक्ल ने आगे कहा कि,” पूर्वोत्तर भारत के छात्र-छात्राओं की पढ़ाई तथा अन्य उद्देश्यों से भारत के विभिन्न राज्यों में जाने की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। पूर्वोत्तर की समृद्ध विरासत को समझने के लिए अनेक प्रयास होने चाहिए, जिससे  ‘विविधता में एकता’ की भावना को देश के विद्यार्थी मूर्त रूप से समझ सकें।”

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