प्रयागराज। अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को शनिवार रात को प्रयागराज में अस्पताल के बाहर तीन लोगों ने गोलियों से छलनी कर दिया। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। अतीक अहमद कोई मामूली अपराधी नहीं था। वह एक बार सांसद और पांच बार विधायक रह चुका था। इतना ही नहीं उसके आतंक का दबदबा लगभग 44 साल से यूपी में था। उस आतंक किस कदर था यह इस बात से समझा जा सकता है कि वह लंबे समय तक यूपी की जेल में बंद था इसके बावजूद फोन करके रंगदारी वसूलता था।
फरमान न मानने वाले लोगों को वह उठवाकर जेल में बुलवाता था और वहीं उसकी पिटाई भी करता था। उसने अपनी छवि अल्पसंख्यक वर्ग के मसीहा के तौर पर प्रचारित की लेकिन असलियत यह है कि उसके जुल्म के शिकार अल्पसंख्यक वर्ग के लोग ज्यादा हुए हैं। इनमें सबसे भयावह कांड था प्रयागराज के एक मदरसे में पढ़ने वाली दो नाबालिग छात्राओं के साथ गैंगरेप का।
पुलिस का कहना है कि अतीक और अशरफ दोनों भाइयों के खिलाफ 20 बडे़ आपराधिक मामलों में से 13 में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग ही शिकार बने। इनमें सबसे घिनौना अपराध था प्रयागराज में स्थित एक मदरसे से दो नाबालिग मुस्लिम छात्राओं को अगवा करके रात भर उनके साथ गैंगरेप करने का।
पीड़ित छात्राओं को अगली सुबह मदरसे के गेट पर गंभीर हालत में फेंक दिया गया। लेकिन अतीक और अशरफ के सियासी रसूख की वजह से पुलिस इस कुकृत्य के दोषियों तक पहुंच ही नहीं सकी। बताया जाता है कि इस वारदात की वजह से अतीक और अशरफ की अपने ही समाज में छवि इतनी खराब हुई कि इसके बाद अतीक, अशरफ के परिवार से कोई शख्स चुनाव नहीं जीता।
17 जनवरी 2007 की काली रात
यह घटना 17 जनवरी 2007 की थी। प्रयागराज के करेली के बाहर महमूदाबाद इलाके में मदरसा था। इसमें शहर और दूरदाज के निर्धन अल्पसंख्यक परिवारों की लड़कियां तालीम हासिल करती थीं। ये लड़कियां यहीं मदरसे में रहती भी थीं। 17 जनवरी को देर रात मदरसे को दरवाजे को धमकी देकर जबरन खुलवा लिया गया। तीन बंदूकधारी अंदर घुसे और सीधे वहां पहुंचे जिस हॉल में लड़कियां सो रही थीं। उन्होंने लड़कियों को जबरन जगाया और कहा कि अपने नकाब खोल दें। इसके बाद दो लड़कियों को उठाकर अपने साथ ले जाने लगे।
दरिंदों को दया नहीं आई
लड़कियां रोईं, गिड़गिड़ाईं लेकिन उन्हें रहम नहीं आया। बताया जाता है कि उन तीनों के साथ दो लोग और शामिल हो गए। इन पांचों लोगों ने रात भर कई बार रेप किया। दोनों को नाबालिग छात्राओं को सुबह जख्मी हालत में मदरसे के दरवाजे पर फेंक कर भाग गए।
अतीक और अशरफ का दबदबा था
सपा की सरकार थी। अतीक और अशरफ का रसूख था इसलिए मामले को रफादफा करने की कोशिश की गई। बताया जाता था कि इस कांड में अशरफ के गुर्गे सीधे तौर पर शामिल थे। शुरू में पुलिस ने मामूली छेड़छाड़ की रिपोर्ट लिखी। लेकिन जब जन आक्रोश उठा तो मजबूरन गैंगरेप समेत दूसरी गंभीर धाराएं लगानी पड़ीं। हालांकि, इनका भी कोई फायदा नहीं हुआ। आरोपी कानून की पहुंच से बाहर रहे।
मायावती ने किया था सीबीआई जांच का वादा
इस बीच मायावती ने खुलेआम कह दिया कि इस कांड में सपा से जुडे़ नेता और उनके गुर्गे शामिल हैं। मायावती ने वादा किया कि अगर उनकी सरकार आई तो मामले की सीबीआई जांच होगी। मामला राजनीतिक होते ही धरने प्रदर्शन, जुलूस निकाले जाने लगे। जन आक्रोश की आंच इतनी तेज हुई मुलायम सिंह यादव की सरकार के कहने पर पुलिस ने पांच लोगों को अरेस्ट कर लिया। बाद में ये जेल से छूट गए। पांचों ने कहा कि पुलिस ने दबाव डालकर उनसे इस अपराध में शामिल होने का बयान लिया था।
आज तक नहीं मिला इंसाफ
13 मई 2007 को मायावती की सरकार भी आई। उन्होंने सीबीआई जांच की सिफारिश की। सीबीआई टीम आई पूरे सबूत ले गई लेकिन जांच करने से यह कहकर इनकार कर दिया कि यह वारदात सीबीआई के स्तर की नहीं है। बाद में मामला सीबीसीआईडी को सौंप दिया। आज तक इस वारदात के असली गुनाहगार कानून की पहुंच से बाहर हैं।