
New Delhi- यह कहानी एक ऐसे बुज़ुर्ग की है, जिन्होंने 48 साल तक जेल में अपना समय बिताया और अब 104 साल की उम्र में इज़्ज़त और सम्मान के साथ समाज में अपनी पहचान बना चुके हैं।
चंदरमोहन शर्मा की प्रेरणादायक यात्रा
यह बुज़ुर्ग व्यक्ति हैं चंदरमोहन शर्मा, जिन्हें 1977 में एक मामले में दोषी ठहराया गया था। जेल में बिताए गए लंबे समय ने उनके जीवन को पूरी तरह बदल दिया। चंदरमोहन ने न सिर्फ अपनी ग़लतियों से सीखा, बल्कि अपने संघर्षों से एक नई दिशा भी पाई।
जेल से रिहाई तक का सफर
48 साल बाद, उन्हें जेल से रिहाई मिली। चंदरमोहन ने अपनी सजा पूरी करने के बाद समाज में अपनी इज़्ज़त और सम्मान हासिल किया। उनका कहना है, “जेल ने मुझे मजबूत बनाया और मैं अपनी जिंदगी को नये तरीके से जीने लगा।”
सीख और प्रेरणा
चंदरमोहन शर्मा की यह कहानी यह सिखाती है कि जीवन में चाहे जितनी भी कठिनाइयाँ आएं, अगर इंसान आत्मविश्वास और धैर्य से अपने रास्ते पर चलता है, तो वह सम्मान और इज़्ज़त पा सकता है।उनकी यात्रा हमें यह प्रेरणा देती है कि कभी हार नहीं माननी चाहिए, क्योंकि ज़िंदगी की सच्ची जीत मेहनत और सब्र में है।