New Delhi -हमें केवल चीन से ही नहीं चीनी मांझे से भी दूर रहना है । 15 जनवरी को मकर संक्राति है । मकर संक्रांति तिल गुड़ की मिठास के साथ पतंगबाजी के उत्साह से भरा पर्व है। इस पर्व पर पतंग उड़ाने की परंपरा है ।पूरा बाजार पतंगों से पटता जा रहा है। ऐसे में आप भी पतंग उड़ाने की पूरी तैयारी कर चुके होंगे। ये आप भी जानते हैं कि कैसे देश वासियों में पतंग उड़ाने का जुनूनी शौक है। देश में कैसे मकर संक्राति के मौके पर पूरा आसमान विभिन्न आकारों की रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है, महाराष्ट्र में तो अभी से लेकर जनवरी तक यह शौक फ़रमाया जाता है । ये किसी भी छिपी नहीं है। पतंगबाजी का यह शौक आज इसलिए खतरनाक होता जा रहा है क्योंकि पतंगबाज चीनी मांझा का इस्तेमाल कर रहे हैं और यह मांझा न सिर्फ पतंग बल्कि लोगों की जिंदगी भी डोर भी काट रहा है।
New Delhi – दो दिन पहले ही घर आने-जाने के दौरान मुंबई के डिंडोशी पुलिस में तैनात एक पुलिसकर्मी का गला मांझे से कट गया, जिससे उसकी मौत हो गई इन शिकायतो के बाद ही पिछले दो दिनों में शहर के कम से कम पांच पुलिस स्टेशनों ने चीनी मांझा बेचते, स्टॉक करते या उपयोग करते हुए पकड़े गए व्यक्तियों के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं। गौरतलब हो कि रविवार को खेरवाड़ी पुलिस के अधिकार क्षेत्र में कांस्टेबल समीर जाधव की जान भी चली गई थी जब वकोला फ्लाईओवर से लटके चीनी मांझे से उनका गला कट गया। जवाब में खेरवाड़ी पुलिस ने आईपीसी की धारा 304-ए के तहत एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया। इस दुखद घटना के बाद पुलिस ने चीनी मांझा की बिक्री और खरीद में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के अपने प्रयास तेज कर दिए हैं। लोगों का कहना है कि यह त्वरित कार्यवाई हुई है जबकि चीनी मांजा तो वर्षों से बाज़ार में बिक रहा है । नायलॉन की डोर से पतंग उड़ाते हुए पकड़े गए दो भाइयों को खेरवाड़ी पुलिस ने पकड़ लिया और उन्हें डोर बेचने वाले दुकानदार को भी गिरफ्तार कर लिया है । बांगुर नगर पुलिस ने 56 वर्षीय एक महिला को बेचने के इरादे से मांझा जमा करने के आरोप में हिरासत में लिया। इसके अतिरिक्त डिंडोशी पुलिस ने 19 वर्षीय व्यक्ति पर मामला दर्ज किया मालवणी पुलिस ने 36 वर्षीय व्यक्ति पर मामला दर्ज किया, और सहार पुलिस ने मांजा बेचने के लिए 70 वर्षीय व्यक्ति पर मामला दर्ज किया। सभी आरोपी व्यक्तियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 336 के तहत आरोप लगाए गए हैं।कुछ समय पूर्व चीनी मांझे की चपेट में आने से अभिनव नाम का एक लड़का बुरी तरह घायल हो गया, जिसके बाद उसे आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया। यह लड़का अभी भी अस्पताल में भर्ती है जहां उनकी हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है।
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ऐसा नहीं है इस तरह की ये पहली घटनाए है। कई सालों से इस तरह की कई दर्दनाक घटनाएं हो चुकी है। पिछले वर्ष भी बाइक पर सवार एक व्यक्ति चीनी मांझा से उस समय घायल हो गया जब वह फ्लाईओवर से गुजर रहा था। बाइक चलाते समय मांझा उसके गले में लिपट गया। मांझा की चपेट में आने से उसके गले में करीब 2 इंच गहरा घाव हो गया। इस मामले में गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया। चाइनीज मांझा से हुआ यह पहला हादसा नहीं था । चाइनीज मांझा न सिर्फ इंसानों के लिए बल्कि पशु-पक्षियों के लिए भी बहुत खतरनाक है और हर साल सैकड़ों पक्षी इसमें फंसकर अपनी जान गंवा देते हैं। दरअसल पतंगबाजी का मजा लेने वाले बच्चे व बड़े आपस में पतंग को लड़ाकर उसका मजा लेते हैं। पतंग लड़ाने के लिए लोग डोर को कटने से बचाने के लिए मजबूत धागे के लिए चाइनीज मांझे का इस्तेमाल करते हैं। यह मांझा सादे धागे के मुकाबले सस्ता और मजबूत होता है। इस कारण इसकी मांग ज्यादा रहती है। डिमांड के कारण दुकानदार प्रतिबंध के बावजूद भी चोरी छिपे बेचते हैं।
आज भारत समेत दुनिया के कई देशों में पतंगबाजी की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, लेकिन पतंगबाजी का सबसे पुराना प्रमाण चीन में मिलता है। हान राजवंश के शासनकाल में पतंगों का सैन्य उपयोग भी होता था। वहां के सैन्य कमांडरों ने दुश्मन सेना की स्थिति और दूरी का पता लगाने के लिए पतंगों का भी इस्तेमाल किया। कहा जाता है कि पतंगबाजी भी चीन के रास्ते भारत पहुंची है।
New Delhi – अब आपके मन में भी यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर यह मांझा इतना खतरनाक क्यों है और एक पतला धागा लोगों की जान कैसे ले सकता है? इसका कारण यह है कि पतंगबाजी के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला सामान्य मांझा कपास का बना होता है, लेकिन चीनी मांझा नायलॉन और अन्य सिंथेटिक सामग्री से बना होता है। यह मांजा कांच, लोहे के पाउडर और कई अन्य रसायनों के साथ लेपित है। इस वजह से मांझा और भी तीखा और जानलेवा हो जाता है। चाइनीज मांझा साधारण मांझा की जगह स्ट्रेचेबल होता है यानी टूटने की बजाय खिंचता रहता है। इतना ही नहीं चीनी मांझा में धातु के चूर्ण के प्रयोग से यह विद्युत का सुचालक होता है, अर्थात इसमें से करंट प्रवाहित हो सकता है और इसलिए बिजली के झटके का खतरा रहता है, लेकिन इसके खतरों से वाकिफ होने के बावजूद आज बाजार में इसकी काफी मांग है, क्योंकि जब लोग पतंग उड़ाते हैं तो चाहते हैं कि उनकी पतंग न कट जाए और वे दूसरों की ज्यादा से ज्यादा पतंगें काट सकें।
साल 2017 में NGT यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस मांझा पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी। पर्यावरण विभाग के तहत 10 जनवरी 2017 को एक अधिसूचना जारी की गई थी, जिसके अनुसार पतंगबाजी के लिए नायलॉन, प्लास्टिक और किसी भी तरह की सिंथेटिक सामग्री पर पूर्ण प्रतिबंध है। इसके अलावा कांच, धातु या अन्य नुकीली चीजों से बने धागों पर भी पतंग उड़ाने पर रोक लगा दी गई है। नियम के मुताबिक, सूती धागे से बने धागों से पतंग उड़ाई जा सकती है, लेकिन इनमें भी किसी न किसी तरह का धागा होता है, तेज वस्तुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इन नियमों का उल्लंघन कड़ी सजा के साथ दंडनीय है। अगर कोई ऐसा करते पाया जाता है तो उसे 5 साल तक की कैद और एक लाख रुपये तक के जुर्माने से भी दंडित किया जा सकता है।
इतने सख्त नियम होने के बावजूद आज देश भर में में चीनी मांझा का कारोबार फलफूल रहा है। व्यवसायी कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं और इन घातक मांझा को लोगों को बेच रहे हैं, और खरीदने वालों की कोई कमी नहीं है। मांझा के व्यापारी पुलिस को चकमा देने के लिए हाईटेक तरीके अपना रहे हैं और इसके लिए फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह मांजा इतना खतरनाक होता है कि अगर तेज रफ्तार से चलने वाला व्यक्ति इसकी चपेट में आ जाए तो यह न केवल त्वचा या नसों को बल्कि उसकी मांसपेशियों को भी काटकर हड्डियों तक पहुंच सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि प्रतिबंध के बावजूद चीनी मांझे के पीड़ितों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
कई राज्यों में राज्य सरकारों ने चाइनीज मांझे पर बैन लगा चुकी है और प्रशासन को कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। हर साल पंतग के सीजन के दौरान चाइनीज मांझे का जिक्र होता है पर बाद में लोग व शासन इसे भूल जाता है । कई लोगों का मानना है कि यह मांझा चीन से आता है और अब चीनी सामानों का बहिष्कार किया जा रहा है, इसलिए इस पर बैन लगाया गया है।
New Delhi – जानकारों की मानें तो अब मांझा चीन से नहीं बल्कि तेज धार के साथ इंडिया में भी बन रहा है। सूत्रों का कहना है कि मुंबई में मांझे की फैक्ट्रियां नहीं हैं। मुंबई में बाहर से चोरी चुपके लाया जाता है। यह मांझा प्लास्टिक का बना होता है। काफी मजबूत है। चाइनीज मांझे को मेटलिक कोटिंग से तैयार किया जाता है। चाइनीज मांझे की कई वैरायटी बन रही हैं। इसे बनाने में अधिकतर केमिकल और अन्य धातुओं का इस्तेमाल हो रहा है। इनमें शीशा, वज्रम गोंद, मैदा, एल्युमीनियम ऑक्साइड और जिरकोनिया ऑक्साइड शामिल है। इन सभी चीजों के मिक्स होने पर तेज धार वाला चाइनीज मांझा तैयार होता है। यह आसानी से टूटता नहीं है। इसमें ब्लेड जैसी धार होती है। वैसे बाजार में मिलने वाले सभी मांझे घातक होते हैं, लेकिन इनमें चाइनीज मांझा सबसे खतरनाक साबित है ।
पुलिस हर साल समय समय पर मांझे को लेकर नोटिफिकेशन जारी करती है। जहां भी बिक्री होती है, पुलिस एक्शन लेती है। चूंकि पतंग कटने के बाद हवा में उड़ता हुआ मांझा हादसे की वजह बनता है। ऐसे में पुलिस के सामने पतंग उड़ाने वाले का पता करना बड़ी चुनौती होती है। आखिर यह पतंग कहां से कटकर आई है। कौन उड़ा रहा था। अगर किसी को चाइनीज मांझे की बिक्री के बारे में पता चले तो फौरन पुलिस को सूचना देना चाहिए । हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि राज्य सरकार ने चाइनीज मांझे से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए यह बैन लगाया है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल भी राज्य सरकार ने चाइनीज मांझे की बिक्री पर बैन लगा दिया था। मकर सक्रांति के अवसर पर राज्य के कई जिलों में लोगों की मौत की खबरें भी सामने आई थीं। इसके बाद राज्य सरकार ने चाइनीज मांझे की बिक्री और खरीद पर रोक लगा दी थी। इस बार भी राज्य सरकार ने मकर सक्रांति के अवसर पर चाइनीज मांझे की बिक्री पर रोक लगा दी है पर पतंगबाज़ नहीं सुधर रहे और न ही बेचने वाले ।