वाराणसी।भारत के युवा भीषण बेरोजगारी की समस्या से परेशान होकर गरीबी के समूल नाश के लिए रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने हेतु एक वोट एक रोजगार आन्दोलन की शुरूआत की। आंदोलन के संयोजक प्रवीण काशी ने बताया कि “एक वोट एक रोजगार” की बात भारत रोजगार यात्रा के रूप में 15 जनवरी, मकर संक्रांति के दिन बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय के गेट से प्रारम्भ होगी, जिसमें बड़ी संख्या में बेरोगजार, छात्र, नौजवान, बुजुर्ग, मजदूर, किसान, छोटे व्यापारी और संविदाकर्मी शामिल होंगे। यह यात्रा बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से बाबा विश्वनाथ और संकट मोचन मन्दिर में दर्शन कर बनारस के सभी घाटों, कॉलेज, बाजार और गाँवों से होते हुए पूरे भारत वर्ष में जाएगी। भारत रोजगार यात्रा तब तक नहीं रूकेगी जब तक रोजगार को मौलिक अधिकार नहीं बना दिया जाता।
सह संयोजक रितेश कुमार जो सिविल सर्विसेज के अभ्यर्थी हैं उन्होंने बताया कि करोड़ों की संख्या में पढ़े-लिखे युवा बेरोजगार है, हम युवा अपनी जिंदगी इज्जत और सम्मान से जीना चाहते है। हम अपने देश की अर्थव्यवस्था पर बोझ नहीं बनना चाहते, बल्कि इसकी सकल घरेलु उत्पाद (जी०डी०पी०) में योगदान देना चाहते हैं। वर्तमान समय में 80 करोड़ लोग अनाज पर निर्भर है जो भारत की अर्थव्यवस्था के लिए कहीं से भी ठीक नहीं।
सह संयोजक सोमेश समाधिया ने कहा कि भीषण बेरोजगारी के कारण नौजवान बड़ी संख्या में डिप्रेशन में है तथा नशा, अपराध और आत्महत्या के रास्ते पर चलने को विवश है। सरकार को जिम्मेदारी के साथ अपने नागरिकों के लिए सकारात्मक कदम उठाने की जरूरत है।
संयोजक प्रवीण काशी ने भारत की नई परिभाषा भारतीय रोजगार तंत्र (भा.र.त.) के रूप में दी तथा भारतीय रोजगार तंत्र का आर्थिक मॉडल कार्यपालिका के अध्यक्ष प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को सौंपने की बात कही उनका कहना है कि रामराज्य, रोजगार को मौलिक अधिकार बनाए बिना संभव नहीं होगा।
भारत रोजगार यात्रा इस नारे के साथ –
एक वोट पर एक रोजगार, रोजगार बने मौलिक अधिकार ।