एक साल भी नहीं टिक पाईं ‘सीताकुंड नाला बंधी’ की दिवारें, सुरंगनुमा दरारों से बढ़ी बेचैनी

राकेश सिंह

युनाइटेड भारत सोनभद्र। सोनभद्र,कोदई क्लस्टर के 5 ग्राम पंचायतों में 1100 करोड़ के प्रोजेक्ट के तहत, चिरुई ग्राम पंचायत में सिंचाई सुविधा और भूजल संरक्षण की दृष्टि से 1.24 करोड़ की लागत वाली सीताकुंड नाला बंधी का निर्माण कराया गया था। अफसरों और ठेकेदारों की हमजोली से सरकारी योजनाओं में लूट का किस तरह से
माध्यम बनती हैं, इसका नजारा देखना हो तो आपको सोनभद्र के कोदई क्लस्टर आना होगा। कोदई क्लस्टर के 5 ग्राम पंचायतों में 1100 करोड़ के प्रोजेक्ट के तहत, चिरुई ग्राम पंचायत में सिंचाई सुविधा और भूजल संरक्षण की दृष्टि से 1.24 करोड़ की लागत वाली सीताकुंड नाला बंधी का निर्माण कराया गया था। जनजातीय दिवस पर पिछले वर्ष पर सोनभद्र आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन के तहत निर्मित इस बंधी का लोकार्पण भी किया था लेकिन महज एक साल के भीतर सामने आई सुरंगनुमा दरारों ने कार्य के गुणवत्ता की पोल एक साल भी नहीं
टिक पाईं ‘सीताकुंड नाला बंधी’ की दिवारें, सुरंगनुमा दरारों से बढ़ी बेचैनी कोदई क्लस्टर के 5 ग्राम पंचायतों में 1100 करोड़ के प्रोजेक्ट के तहत, चिरुई ग्राम पंचायत में सिंचाई सुविधा और भूजल संरक्षण की दृष्टि से 1.24 करोड़ की लागत वाली सीताकुंड नाला बंधी का निर्माण कराया गया था।

सीएम ने दी थी योजनाओं की सौगात

बताते चलें कि कोदई क्लस्टर के पांच ग्राम पंचायतों में, विभिन्न कार्यों को लेकर 1100 करोड़ का जो प्रोजेक्ट तैयार किया गया था उसमें चिरुई गांव में सीताकुंड नामक नाले पर एक करोड़ 24 लाख की लागत से बंधी निर्माण की योजना बनाई गई थी। कार्य की जिम्मेदारी सिंचाई निर्माण खंड रॉबर्ट्सगंज को सौंपी गई थी। 6 जनवरी 2020 को कार्य शुरू कर हुए मार्च 2023 कार्य पूर्ण होने की समय सीमा तय की गई थी। पिछले वर्ष 15 नवंबर को सोनभद्र आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिले के लोगों को 400 करोड़ से अधिक के विकास परियोजनाओं की सौगात दी थी।
उसी दौरान सीताकुंड नाले पर निर्मित बंधी का निर्माण कार्य पूर्ण बताते हुए, मुख्यमंत्री के हाथों इसका लोकार्पण भी कराया गया था लेकिन ठीक एक साल बाद 15 नवंबर 2023 को बंधी की स्थिति जांची गई तो पता चला कि बंधी की दीवारों में कई जगह सुरंगनुमा दरारें पड़ गई हैं। किसी राजेश पांडेय नामक अधिकारी के देखरेख में बंधी का निर्माण होने का दावा करते हुए ग्रामीण बताते हैं कि बंधी में बोल्डर पीचिंग का कार्य अधूरा छोड़ दिया गया है। महज एक साल में ही बंधी की दिवारें कई जगह से फट गई हैं।

कई बार अधिकारियों का आकृष्ट कराया जा चुका है ध्यान : ग्राम प्रधान

चिरुई ग्राम पंचायत के प्रधान राजेश ने बताया कि उनकी चिरुई ग्राम पंचायत के प्रधान राजेश ने बताया कि उनकी ग्राम पंचायत में श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन के तहत कराए गए कार्यों में गड़बड़ी के बाबत कई बार अधिकारियों को अवगत कराया गया लेकिन कमियों को दुरुस्त करने के बाबत कोई पहल अभी तक सामने नहीं आई। वहीं, ग्रामीणों का दावा है कि कागज पर काम पूर्ण कर संबंधितों भुगतान भी पा लिया है। ऐसे में यह बंधी ग्रामीणों के लिए कितनी उपयोगी रह पाएगी ? सवाल उठने लगे हैं। इस बारे में मिशन के नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी संभालने वाले ग्राम्य विकास अभिकरण के परियोजना निदेशक रामशिरोमणि मौर्य से उनके सेलफोन पर संपर्क साधा गया लेकिन वह उपलब्ध नहीं हुए।

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