
Sonbhadra: गुरमा वन्य जीव रेंज के करगरा गांव के शिव मंदिर के पास नदी वन क्षेत्र में प्रतिबंधित मशीनों से बालू की खोदायी कराए जाने का मामला एक बार फिर तूल पकड़ने लगा है। क्षेत्रीय लोगों का आरोप है कि गुरमा रेंज के अधिकारियों के संरक्षण में यह गोरखधंधा अमरबेर की तरह तेजी से पनफ रहा है। कहा जा रहा है कि मामले की यदि शासन स्तर पर किसी स्वतंत्र एजेंसी से उच्च स्तरीय जांच करा दी जाए तो न केवल इस काले कारोबार में लिप्त पट्टाधारक बल्कि इसके लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार गुरमा वन्य जीव रेंज के अधिकारियों पर कार्रवाई की गांज गिर सकती है।
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क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि अगोरी खास सोन नदी में न्यू इंडिया मिनरल्स बेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से आवंटित खनन पट्टा के आड में लीज एरिया से हटकर करगरा गांव के पथरिया शिव मंदिर के समीप सोन नदी का जलधारा बांधकर नदी वन क्षेत्र में बड़ी-बड़ी प्रतिबंधित मशीनों से 24 घंटे अवैध खनन कराकर पट्टाधारक मोटी कमाई कर रहे हैं। गुरमा कैमूर वन्य जीव रेंज में वन अधिकारियों एवं कर्मियों की लंबी-चैड़ी फौज होने के बावजूद बालू खनन के लिए नदी में उतारी गईं बड़ी-बड़ी प्रतिबंधित मशीनें खुले आसमान के नीचे दिन-रात गरज रहीं है। बकायदे दर्जनों लिफ्टिंग मशीन (नाव) से नदी के गर्भ से बालू की खोदायी करायी जा रही है।एनजीटी के सख्त आदेशों को ताक पर रखकर नदी में चल रहे इस काले कारोबार को कोई भी आसानी से देख सकता है, बावजूद इसके रेंज के अधिकारी मूकदर्शक बने हुए है। उधर इस बावत प्रभागीय वनाधिकारी कैमूर वन्य जीव प्रभाग मिर्जापुर को फोन कर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने काल रीसिव नहीं किया। लिहाजा उनका पक्ष नहीं लिया जा सका। बाद गुरमा रेंज के रेंजर के सेलफोन पर काल किया गया, तो उन्होंने कहा कि जो खनन हो रहा है, वह कैमूर वन्य जीव रेंज से बाहर हैं । जबकि वही स्थानीय लोगों का दावा है कि करगरा गांव के पास सोन नदी में जिस स्थान पर खनन हो रहा है, वह नदी वन क्षेत्र है। यदि इसकी सार्वजनिक नापी करा दी जाएं तो सच्चाई खुद उजागर हो सकती है।