‘हम सब जगह पहुंचेंगे’, ज्ञानवापी-शाही ईदगाह सवाल पर योगी की दो टूक

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ज्ञानवापी और शाही ईदगाह समेत सांस्कृतिक मुद्दों पर बीजेपी हर जगह पहुँच रही है। कार्यक्रम में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों, यूपी के बदलाव और राम मंदिर निर्माण को बड़ी उपलब्धि बताया।

नई दिल्ली। बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी के मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक कार्यक्रम में बड़ा बयान देते हुए कहा कि “हम सब जगह पहुंच चुके हैं। अखबार के कार्यक्रम में जब उनसे पूछा गया कि आगे बीजेपी का फोकस क्या रहेगा और क्या ज्ञानवापी तथा शाही ईदगाह भी आगामी मुद्दों में शामिल होंगे, तो सीएम योगी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हम सभी जगह पहुंचेंगे और पहुंच चुके हैं।

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि किसी भी समाज को अपनी संस्कृति और विरासत पर गर्व होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सांस्कृतिक पुनरुत्थान और सभ्यता से जुड़े मुद्दों पर देश तेजी से आगे बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उल्लेख करते हुए कहा कि सर्वोच्च अदालत ने तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर ऐतिहासिक निर्णय दिए हैं, जिन्हें देश ने लोकतांत्रिक तरीके से स्वीकार किया। उन्होंने इसे भारतीय लोकतंत्र की बड़ी मजबूती बताया।

कार्यक्रम के दौरान जब योगी के आठ वर्षों के कार्यकाल पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश को सेवा करने का अवसर उनके लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि बीते आठ वर्षों में प्रदेश में तेज गति से बदलाव आया है और वह इस परिवर्तन के साक्षी बनकर सम्मानित महसूस करते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी एक काम को चुनना मुश्किल है, लेकिन अयोध्या में राम मंदिर निर्माण उनके राजनीतिक जीवन का ऐतिहासिक पड़ाव है और यह करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र भी है।

जिंदगी के आखिरी सफर तक हमारी पहचान भारतीय के तौर पर होनी चाहिए : योगी

डॉ. भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बाबा साहेब ने हर भारतीय को प्रेरित किया कि पहचान जाति, परिवार या क्षेत्र से नहीं, बल्कि भारतीय होने से होनी चाहिए।

होमगार्ड के 63वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में योगी ने कहा कि आंबेडकर ने संविधान के जरिए देश को मजबूत आधार दिया और उनका जीवन प्रत्येक नागरिक को एकता, समानता और राष्ट्रभावना की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि जन्म से लेकर अंतिम यात्रा तक हर भारतीय की पहचान “एक भारतीय” के रूप में ही होनी चाहिए।

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