
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि किसी भी राष्ट्र की वास्तविक शक्ति उसकी संस्कृति में निहित होती है। जिस प्रकार मनुष्य की आत्मा शरीर से अलग हो जाए तो शरीर निस्तेज हो जाता है, उसी प्रकार यदि किसी राष्ट्र को उसकी संस्कृति से अलग कर दिया जाए तो वह अपनी पहचान खो देता है। मुख्यमंत्री गुरुवार को भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष समारोह के शुभारंभ अवसर पर संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अवसर केवल एक संस्थान की सौ वर्ष की यात्रा का उत्सव नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति, कला और संगीत की निरंतरता का प्रतीक है। भारत की कला, स्वर और लय ने विषम परिस्थितियों में भी अपनी पहचान बनाए रखी और उसी के कारण हमारी सनातन संस्कृति आज विश्व पटल पर प्रतिष्ठित है। उन्होंने कलाकार की कला को ईश्वरीय गुण बताते हुए कहा कि कलाकार किसी भी विधा से जुड़ा हो, उसे सम्मान और प्रोत्साहन मिलना चाहिए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय को बधाई देते हुए कहा कि इस संस्थान ने बीते 100 वर्षों में भारतीय संगीत, नृत्य, नाट्य और ललित कलाओं को संरक्षित ही नहीं किया, बल्कि आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़कर उन्हें नई पहचान दी। उन्होंने कहा कि संस्कृति कर्मी भी राष्ट्र निर्माण में उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जितनी अन्य क्षेत्रों के लोग।
सीएम ने कुलपति प्रो. माण्डवी सिंह की सराहना की
मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 1940 में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने इस संस्थान को विश्वविद्यालय के रूप में संबोधित किया था। हालांकि औपचारिक रूप से वर्ष 2022 में इसे विश्वविद्यालय का दर्जा मिला, जो उत्तर प्रदेश का पहला संस्कृति विश्वविद्यालय है। उन्होंने कुलपति प्रो. माण्डवी सिंह की सराहना करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय का कुलगीत और लोगो ‘नादाधीनं जगत्’ थीम पर आधारित है, जो जीवन और सृष्टि की मूल भावना को दर्शाता है।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि सृष्टि का पहला स्वर ‘ओंकार’ है और नाद योग इसकी पुष्टि करता है। संगीत की विभिन्न विधाओं के माध्यम से इसी नाद की खोज साधना का विषय है। उन्होंने विश्वविद्यालय से जुड़े पूर्व छात्रों को सम्मानित किए जाने को प्रेरणादायी बताया और कहा कि ये कलाकार उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक स्तर पर स्थापित कर रहे हैं।
उन्होंने पंडित विष्णु नारायण भातखण्डे के योगदान को स्मरण करते हुए कहा कि औपनिवेशिक काल में जब कला और अभिव्यक्ति के अवसर सीमित थे, तब उन्होंने भारतीय संगीत को वैज्ञानिक आधार दिया। राग-ताल का वर्गीकरण, सुव्यवस्थित पाठ्यक्रम और गुरु-शिष्य परंपरा को आधुनिक शिक्षा से जोड़ना उनका ऐतिहासिक योगदान था।
देश अपनी सांस्कृतिक विरासत को पुनः खोज रहा
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में देश अपनी सांस्कृतिक विरासत को पुनः खोज रहा है। महाकुंभ 2025 में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की सहभागिता इस बात का प्रमाण है कि युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार कलाकारों को सुरक्षित, सम्मानित और सशक्त वातावरण देने के लिए प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय में गायन, वादन, नृत्य, नाट्य और चित्रकला की समन्वित शिक्षा व्यवस्था की जानकारी दी और बताया कि लखनऊ में लगभग छह एकड़ भूमि पर आधुनिक सुविधाओं से युक्त नया परिसर विकसित किया जाएगा। पुराने परिसर को कला और संगीत संग्रहालय के रूप में विकसित किया जाएगा।
यह भी पढ़ें – Soraon News-बाइक रोकी, ठंड से कंपकपाया और निकल गई जान
कार्यक्रम में शताब्दी यात्रा पर आधारित कॉफी टेबल बुक ‘ए लिगेसी ऑफ एक्सीलेंस’ का विमोचन, विशेष डाक आवरण जारी किया गया तथा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन और प्रदर्शनी का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर पद्म विभूषण डॉ. सोनल मानसिंह सहित अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।



