World Stroke Day 2025: हर साल 29 अक्टूबर को विश्व स्ट्रोक दिवस मनाया जाता है, ताकि लोगों को इस जानलेवा स्थिति के प्रति जागरूक किया जा सके। इस वर्ष की थीम — “हर सेकंड की कीमत है जान” — इस बात पर जोर देती है कि स्ट्रोक के लक्षणों को समय पर पहचानना और तत्काल चिकित्सा सहायता प्राप्त करना जीवन बचाने में निर्णायक हो सकता है।
चौंकाने वाले आंकड़े
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर चार में से एक व्यक्ति अपने जीवनकाल में स्ट्रोक का शिकार होता है। भारत में यह स्थिति और भी गंभीर है, जहां स्ट्रोक मृत्यु और स्थायी विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक बन चुका है। कानपुर स्थित अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. ज़ुबैर सरकार के मुताबिक, “हर दिन हमारे अस्पताल में 10–12 स्ट्रोक के मरीज पहुंचते हैं। इनमें से कई मरीज देर से आते हैं, जिससे इलाज में जटिलताएं बढ़ जाती हैं।”
स्ट्रोक क्या है?
स्ट्रोक एक आपातकालीन चिकित्सीय स्थिति है, जिसमें मस्तिष्क को रक्त और ऑक्सीजन की आपूर्ति अचानक बाधित हो जाती है। इसके दो मुख्य प्रकार हैं:
- इस्चेमिक स्ट्रोक: जब किसी धमनी में थक्का बनकर रक्त प्रवाह रोक देता है।
- हेमरेजिक स्ट्रोक: जब मस्तिष्क की रक्त वाहिका फट जाती है और रक्तस्राव होता है।
दोनों ही स्थितियाँ अत्यंत गंभीर होती हैं और तत्काल इलाज की मांग करती हैं।
स्ट्रोक के प्रमुख लक्षण
- चेहरे, हाथ या पैर में अचानक कमजोरी या सुन्नपन
- बोलने में कठिनाई या जुबान लड़खड़ाना
- दृष्टि में धुंधलापन या संतुलन बिगड़ना
- अचानक और तीव्र सिरदर्द
यदि इन लक्षणों में से कोई भी दिखाई दे, तो तुरंत चिकित्सकीय सहायता लेना अनिवार्य है।
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विशेषज्ञों की सलाह
डॉ. ज़ुबैर सरकार का कहना है, “हर मिनट मायने रखता है। जितनी जल्दी इलाज शुरू होगा, मस्तिष्क को उतना ही कम नुकसान होगा।” उन्होंने स्ट्रोक से बचाव के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए:
- हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़ पर नियंत्रण
- संतुलित आहार और नियमित व्यायाम
- सर्दियों में शरीर को गर्म रखना
- लक्षणों को नजरअंदाज न करना



