
White Collar Terror Module : लाल किला विस्फोट मामले की जांच में अब एक चौंकाने वाला मोड़ सामने आया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए मुख्य आरोपी डॉ. आदिल अहमद राठेर के विवाह समारोह ने आतंकियों की गुप्त बैठक का रूप ले लिया था। इसी सूत्र के आधार पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने बुधवार को सहारनपुर से दो डॉक्टरों को हिरासत में लिया है, जो कथित रूप से इस आतंकी मॉड्यूल से जुड़े हुए हैं।
सूत्रों के अनुसार, 31 वर्षीय डॉ. आदिल, जो जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के काजीगुंड निवासी है, आंतरिक चिकित्सा के विशेषज्ञ हैं और सहारनपुर के एक अस्पताल में कार्यरत थे। 4 अक्टूबर को श्रीनगर में हुई उनकी शादी में कई डॉक्टरों और सहयोगियों ने हिस्सा लिया था, जिनमें डॉ. असलम जैदी और डॉ. बिलाल अहमद शामिल है। जांच एजेंसियों का दावा है कि यह शादी एक “गुप्त सभा” के तौर पर इस्तेमाल की गई, जहाँ मॉड्यूल के सदस्य अपनी योजनाओं पर चर्चा कर रहे थे।
लाल किला विस्फोट से जुड़ा नेटवर्क उजागर
10 नवंबर को हुए लाल किला विस्फोट के बाद जब जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सहारनपुर से डॉ. आदिल को गिरफ्तार किया, तो जांच की दिशा तेजी से आगे बढ़ी। पूछताछ में सामने आया कि यह मॉड्यूल डॉक्टरों और मेडिकल पेशेवरों की आड़ में सक्रिय था, जो आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन, हथियार और लॉजिस्टिक सपोर्ट मुहैया कराता था।
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उत्तर प्रदेश पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जांच में पता चला है कि आदिल की शादी में कई डॉक्टर शामिल हुए थे, जो बाद में संगठन की गतिविधियों में शामिल हो गए। हम यह भी जांच कर रहे हैं कि क्या लखनऊ के डॉ. परवेज़ अंसारी और उनकी बहन डॉ. शाहीन शाहिद भी उसी विवाह समारोह में मौजूद थे।
फरीदाबाद में मिला विस्फोटक जखीरा
डॉ. आदिल की निशानदेही पर पुलिस ने 9 नवंबर को फरीदाबाद में छापा मारकर एक गोदाम से 350 किलो अमोनियम नाइट्रेट, दो AK-47 राइफलें, 200 राउंड कारतूस, 20 इलेक्ट्रॉनिक टाइमर और IED उपकरण बरामद किए। यह गोदाम डॉ. मुज़म्मिल शकील गनई के नाम पर किराए पर लिया गया था, जो इस नेटवर्क का सक्रिय सदस्य बताया जा रहा है।
मॉड्यूल में सक्रिय ‘मेडिकल नेटवर्क’
जांच में सामने आया है कि डॉ. शाहीन शाहिद, जो इलाहाबाद मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और कानपुर मेडिकल कॉलेज में सहायक प्रोफेसर रह चुकी हैं, 2021 से लापता थीं। वह बाद में डॉ. मुज़म्मिल के संपर्क में आईं और आतंक मॉड्यूल में शामिल हो गईं। शाहीन को फरीदाबाद से गिरफ्तार किया गया, जबकि उनके भाई डॉ. परवेज़ अंसारी को लखनऊ से यूपी एटीएस ने हिरासत में लिया।
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पुलिस का दावा है कि डॉ. आदिल की आय और संपर्कों का इस्तेमाल संगठन के वित्तीय लेन-देन और भर्ती नेटवर्क के लिए किया जा रहा था। वह 5 लाख रुपए मासिक वेतन पाते थे, लेकिन साधारण जीवन जीते थे – जिससे संदिग्ध फंडिंग की आशंका और गहरी हुई है।
पोस्टर और पाकिस्तानी कनेक्शन से खुली पोल
अधिकारियों के अनुसार, इस मॉड्यूल का पहला सुराग 19 अक्टूबर को मिला, जब श्रीनगर के नौगाम इलाके में जैश-ए-मोहम्मद के प्रतीक चिन्ह वाले पोस्टर चिपकाए गए। सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल सर्विलांस के जरिए पुलिस ने डॉ. आदिल की पहचान की, जो कथित तौर पर पाकिस्तानी हैंडलर्स से संपर्क में था।
अब जांच एजेंसियाँ इस पूरे नेटवर्क के फंडिंग चैनल, ट्रेनिंग मॉड्यूल और अन्य राज्यों में सक्रिय सेल्स की पड़ताल में जुटी हैं।



