
Uttarakhand News . मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि चाहे आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस कितना भी विकसित हो जाए, ज्ञान, समझ और विचारों की गहराई के लिए पुस्तकें आज भी सर्वोत्तम साधन हैं। वे वरिष्ठ पत्रकार और लेखक जय सिंह रावत की नई पुस्तक ‘उत्तराखंड का नवीन राजनीतिक इतिहास’ के विमोचन कार्यक्रम में बोल रहे थे। मुख्यमंत्री आवास में आयोजित इस कार्यक्रम में साहित्य, पत्रकारिता और राजनीति जगत की कई प्रतिष्ठित हस्तियाँ शामिल हुईं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी सहित सभी क्षेत्रीय भाषाओं का संरक्षण राज्य सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि तकनीक के इस दौर में डिजिटल माध्यमों का उपयोग कर मातृभाषाओं को और सशक्त बनाने की जरूरत है। उन्होंने घरों और विद्यालयों में स्थानीय बोलियों के अधिक प्रयोग की अपील करते हुए कहा कि इससे नई पीढ़ी अपनी सांस्कृतिक जड़ों से मजबूती से जुड़ी रहेगी।
सीएम धामी ने जय सिंह रावत की पुस्तक को उत्तराखंड की 25 वर्षों की राजनीतिक यात्रा का शोधपरक और प्रमाणिक दस्तावेज बताया। उन्होंने कहा कि राज्य निर्माण के बाद के राजनीतिक और प्रशासनिक परिवर्तनों को विस्तृत रूप से संजोना चुनौतीपूर्ण कार्य था, जिसे लेखक ने अत्यंत बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत किया है। यह पुस्तक शोधार्थियों, छात्रों और प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए बेहद उपयोगी मानी जा रही है।
बुके की जगह बुक भेंट करें
मुख्यमंत्री ने कहा कि इंटरनेट के युग में सूचना भले आसानी से उपलब्ध हो जाती है, लेकिन पुस्तकें ही ज्ञान को स्थायी रूप से संजोती हैं। उन्होंने जनता से अपील की कि किसी भी कार्यक्रम में बुके की जगह बुक भेंट करने की संस्कृति विकसित करें, इससे पढ़ने की आदत भी मजबूत होगी और लेखकों को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
उन्होंने कहा कि भाषा केवल संप्रेषण का माध्यम नहीं बल्कि पहचान, संस्कृति और विरासत की नींव होती है। सरकार स्थानीय भाषाओं के डिजिटलाइजेशन पर विशेष ध्यान दे रही है, ताकि सांस्कृतिक विरासत सुरक्षित रहे और डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से युवा पीढ़ी तक आसानी से पहुंच सके।
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कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री एवं महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, विधायक बृज भूषण गैरोल, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और कई बुद्धिजीवी उपस्थित रहे।



