
US Dollar vs Indian Rupee: भारतीय रुपये ने बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले एक नया ऐतिहासिक निचला स्तर छू लिया। शुरुआती कारोबार में रुपया पहली बार 90 के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गया और गिरकर 90.14 प्रति डॉलर तक पहुँच गया। यह रिकॉर्ड गिरावट मंगलवार को देखे गए 89.9475 के पिछले निम्न स्तर से भी अधिक है। रुपया डॉलर के मुकाबले 10 पैसे की गिरावट के साथ 89.97 पर खुला था, जबकि पिछले सत्र में यह 89.87 पर बंद हुआ था।
डॉलर की मजबूती और पूंजी निकासी
रुपये की इस तीव्र कमजोरी के पीछे कई घरेलू और वैश्विक कारक जिम्मेदार हैं:
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अमेरिकी मुद्रा की व्यापक मजबूती: विदेशी बाजारों में अमेरिकी डॉलर (US Dollar) अन्य वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले मजबूत हो रहा है, जिससे रुपये पर दबाव बढ़ रहा है।
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विदेशी पूंजी की लगातार निकासी: विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) द्वारा भारतीय बाजारों से पूंजी की निरंतर निकासी एक बड़ा कारण है। निवेशक वैश्विक अनिश्चितता के बीच सुरक्षित माने जाने वाले डॉलर की ओर रुख कर रहे हैं।
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डॉलर की मजबूत मांग: जानकारों के अनुसार, घरेलू कंपनियां, आयातक और विदेशी निवेशक डॉलर की मजबूत मांग कर रहे हैं, जो रुपये की विनिमय दर पर भारी दबाव डाल रहा है।
ट्रेड डील पर रुकावट और निवेशकों का रुख
गिरावट का एक अन्य महत्वपूर्ण कारण भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील (व्यापार समझौते) पर बातचीत का रुक जाना भी है।जानकारों का कहना है कि ट्रेड डील को लेकर अनिश्चितता और विदेशी निवेशकों की भारत से निकासी जारी रहने के कारण, डॉलर इंडेक्स में कमजोरी होने के बावजूद भी रुपये में गिरावट आ रही है।
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आरबीआई की एमपीसी बैठक और वैश्विक घोषणाओं पर नज़र
बाजार की निगाहें अब भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और अमेरिका के फेडरल रिज़र्व (Fed Reserve) की आगामी महत्वपूर्ण घोषणाओं पर टिकी हैं:
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आरबीआई की एमपीसी बैठक: RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक आज से शुरू हो रही है। फैसलों की घोषणा 5 दिसंबर को की जाएगी।
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चुनौती: यदि MPC रेट कट (ब्याज दर में कटौती) पर फैसला करती है, तो इससे विदेशी निवेशकों की बिकवाली और बढ़ सकती है। रुपये की यह कमजोरी MPC के लिए दरों पर फैसला लेना मुश्किल बना रही है।
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फेड रिजर्व की घोषणा: अमेरिका का फेडरल रिजर्व भी 10 दिसंबर को अहम घोषणा कर सकता है, जिसका वैश्विक पूंजी प्रवाह और डॉलर की दिशा पर सीधा असर पड़ेगा।



