UPSC Student Murder Case : दिल्ली की फॉरेंसिक छात्रा ने रची थी ‘परफेक्ट मर्डर’ की योजना, लेकिन ऐसे खुली पोल

UPSC Student Murder Case : राजधानी दिल्ली में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां फॉरेंसिक साइंस की छात्रा ने अपने ही लिव-इन पार्टनर की हत्या को “परफेक्ट मर्डर” की शक्ल देने की कोशिश की। अपराध को वैज्ञानिक ढंग से छिपाने की कोशिश करने वाली यह छात्रा खुद उन्हीं फॉरेंसिक सबूतों में फंस गई, जिन्हें मिटाने की योजना उसने बनाई थी। पुलिस के मुताबिक, 21 वर्षीय अमृता चौहान नॉर्थ दिल्ली में अपने लिव-इन पार्टनर रामकेश मीणा के साथ रहती थी। रामकेश यूपीएससी की तैयारी कर रहा था। दोनों के बीच रिश्ते बिगड़ने के बाद विवाद इस कदर बढ़ा कि अमृता ने उसकी हत्या की योजना बना डाली।

जांच में सामने आया कि रामकेश के पास अमृता की कुछ निजी वीडियो और तस्वीरें थीं, जिन्हें वह हटाने को तैयार नहीं था। इसी बात को लेकर दोनों में झगड़ा हुआ और अमृता ने अपने पूर्व प्रेमी सुमित कश्यप और उसके दोस्त संदीप कुमार की मदद से हत्या का प्लान तैयार किया। पुलिस ने बताया कि तीनों ने 5-6 अक्टूबर की रात गांधी विहार स्थित फ्लैट में रामकेश की हत्या कर दी। इसके बाद शरीर पर तेल, घी और शराब डालकर आग लगा दी गई ताकि यह हादसा लगे। गैस सिलेंडर भी खोल दिया गया ताकि मामला विस्फोट जैसा प्रतीत हो।

लेकिन “परफेक्ट मर्डर” का सपना कुछ ही घंटों में चकनाचूर हो गया। सीसीटीवी फुटेज, फोन लोकेशन, कॉल रिकॉर्ड और बर्न पैटर्न जैसे सबूतों ने पुलिस को सच्चाई तक पहुँचा दिया। सीसीटीवी फुटेज में दो मास्क पहने लोग फ्लैट में आते-जाते नजर आए। मोबाइल की लोकेशन से अमृता की मौजूदगी घटना स्थल के पास पाई गई। पुलिस ने जब कमरे की फॉरेंसिक जांच की, तो जलने के पैटर्न और घटनास्थल से मिले अवशेषों से साफ हो गया कि आग खुद नहीं लगी थी, बल्कि जानबूझकर लगाई गई थी।आरोपियों के पास से हार्ड डिस्क, मोबाइल फोन और डिलीट किया गया डेटा भी बरामद हुआ, जिसमें कई अन्य महिलाओं की निजी सामग्री पाई गई।

इस केस ने सोशल मीडिया पर सनसनी मचा दी है। वजह यह है कि अमृता खुद फॉरेंसिक साइंस की छात्रा थी और उसने अपराध के सबूत मिटाने के लिए वही तकनीकें अपनाईं, जिनका अध्ययन वह कर रही थी। लेकिन अंततः विज्ञान के उन्हीं नियमों ने उसकी चाल उजागर कर दी।यह मामला न सिर्फ रिश्तों में अविश्वास और निजी डेटा के दुरुपयोग की चेतावनी देता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि अपराध कितना भी “परफेक्ट” क्यों न हो — सच्चाई हमेशा सबूतों के ज़रिए सामने आ ही जाती है।

 

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