UP News . परंपरा और विकास का संगम, दीपोत्सव से छठ पूजा तक नई पहचान बना रहा प्रदेश

योगी आदित्यनाथ सरकार ने दीपोत्सव से लेकर छठ पूजा तक धार्मिक आयोजनों को भव्यता देकर उत्तर प्रदेश को सांस्कृतिक और विकास का नया मॉडल बनाया है।

रजनीश वर्मा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को नई पहचान देने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार लगातार प्रयासरत है। चाहें अयोध्या का भव्य दीपोत्सव हो या गोरखपुर, वाराणसी और लखनऊ में छठ पूजा जैसे लोक आस्था के पर्व – योगी सरकार ने इन आयोजनों को न केवल भव्यता दी है, बल्कि उन्हें राज्य की सांस्कृतिक पहचान के रूप में स्थापित करने में भी सफलता हासिल की है।

पिछले कुछ वर्षों में अयोध्या का दीपोत्सव विश्वस्तरीय कार्यक्रम बन चुका है। इस वर्ष भी सरयू तट पर लाखों दीपों की ज्योति से रामनगरी जगमगा उठी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं कार्यक्रम की निगरानी करते हैं, ताकि कोई भी प्रशासनिक चूक श्रद्धालुओं की आस्था को आहत न करे। सुरक्षा व्यवस्था से लेकर यातायात नियंत्रण, स्वच्छता अभियान से लेकर घाटों की सुंदरता तक, हर पहलू में सरकार की संवेदनशीलता झलकती है।

श्रद्धा और सुविधा का संतुलन 

इसी क्रम में छठ पूजा के लिए भी राज्य सरकार ने श्रद्धा और सुविधा का संतुलन साधा है। गंगा और गोमती नदी के घाटों पर साफ-सफाई, प्रकाश व्यवस्था, बैरिकेडिंग और चिकित्सा सुविधाओं के साथ विशेष निगरानी की व्यवस्था की गई है।

लखनऊ में मंडलायुक्त आईएएस विजय विश्वास पंथ और नगर आयुक्त आईएएस गौरव कुमार स्वयं घाटों का निरीक्षण कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर हर जिले में प्रशासन को यह जिम्मेदारी दी गई है कि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।

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योगी सरकार के प्रयासों से अब धार्मिक आयोजन केवल परंपरा तक सीमित नहीं रहे, बल्कि पर्यटन, रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था से भी जुड़ गए हैं। दीपोत्सव के दौरान अयोध्या में होटल, परिवहन, हस्तशिल्प और खाद्य उद्योगों में बड़ी गतिविधि देखी जाती है। इसी तरह, छठ पर्व के दौरान घाटों के आसपास अस्थायी बाजार, फूल-विक्रेता, प्रसाद सामग्री और ग्रामीण उत्पादों की बिक्री बढ़ जाती है।

अपने गौरव को पुनर्जीवित कर रहे सीएम योगी

सांस्कृतिक दृष्टि से देखें तो इन पर्वों के माध्यम से सरकार ने भारतीय परंपरा, सनातन संस्कृति और लोक जीवन को सम्मान देने का संदेश दिया है। योगी आदित्यनाथ ने कई बार कहा है कि “धार्मिक आयोजन हमारी आस्था ही नहीं, हमारी पहचान हैं – इन्हें भव्य बनाकर हम अपने गौरव को पुनर्जीवित कर रहे हैं।”

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इन आयोजनों की सफलता यह साबित करती है कि प्रशासनिक दक्षता और सांस्कृतिक समर्पण जब साथ आते हैं तो एक प्रदेश अपनी परंपराओं को आधुनिकता के साथ जोड़ सकता है। दीपोत्सव में जलते दीयों की रोशनी और छठ घाटों पर गूंजते गीत, इस बात के प्रतीक हैं कि उत्तर प्रदेश में विकास और संस्कृति दोनों साथ-साथ चल रहे हैं।

आस्था का सम्मान

आज उत्तर प्रदेश न केवल धार्मिक आयोजनों का केंद्र बन चुका है, बल्कि यह एक ऐसा मॉडल प्रस्तुत कर रहा है जहां आस्था और प्रशासनिक प्रबंधन का अद्भुत संतुलन देखने को मिलता है। योगी सरकार के इन प्रयासों ने यह साबित कर दिया है कि जब शासन आस्था का सम्मान करता है, तो परंपरा भी विकास का पथप्रदर्शन करती है।

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