
Lucknow News. उत्तर प्रदेश में लागू SIR सिस्टम के दबाव और मानसिक उत्पीड़न के कारण लगातार सरकारी कर्मचारियों की मौतें सामने आ रही हैं। अब तक पांच मौतों से पूरे प्रदेश में आक्रोश व्याप्त है। फतेहपुर के SIR सुपरवाइज़र सुधीर कुमार की आत्महत्या ने इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय फतेहपुर पहुँचकर सुधीर कुमार को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके परिजनों से मिलकर गहरी शोक संवेदना प्रकट की। सुधीर कुमार की शादी 26 नवंबर को होनी थी। शादी की तैयारियों के लिए उन्होंने पहले ही अवकाश का आवेदन दिया था, लेकिन विभाग ने छुट्टी नहीं दी। जब वह विवाह संबंधी कार्यक्रम में व्यस्त रहे और SIR कार्य नहीं कर पाए, तो कानूनगो घर पहुँचकर उन्हें नौकरी से निकालने की धमकी देता हुआ चला गया। दबाव, उत्पीड़न और धमकियों से टूट चुके सुधीर ने अंततः फांसी लगाकर जान दे दी। शादी का मंडप मातम में बदल गया, परिवार बिखर गया, रिश्तेदार सदमे में हैं।
SIR सिस्टम से जुड़ी अन्य मौतें
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने बताया कि यह अकेला मामला नहीं है लखनऊ में BLO विजय कुमार वर्मा की ब्रेन हैमरेज से मौत। परिजनों के अनुसार अत्यधिक मानसिक तनाव कारण के कारण हुई। जौनपुर के मल्हनी में BLO विपिन यादव की आत्महत्या। पत्नी द्वारा जारी वीडियो में मृतक ने BDO, SDM, लेखपाल और कानूनगो पर उत्पीड़न का आरोप लगाया। बरेली में प्राथमिक विद्यालय में नियुक्त कर्मचारी सर्वेश गंगवार की मृत्यु। परिवार उजड़ गया, बच्चे अनाथ हो गए। देवरिया/रुद्रपुर में SIR ड्यूटी में लगी BLO रंजू दुबे की तबीयत बिगड़ने से मौत। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बाद अचानक स्वास्थ्य बिगड़ा और लखनऊ ले जाते समय उनकी मौत हो गई।
अजय राय ने कहा कि ये घटनाएँ साबित करती हैं कि SIR कोई ‘System for Revision’ नहीं, बल्कि ‘System Imposed Repression’—सरकार द्वारा थोपा गया एक ज़ुल्मी तंत्र है।
प्रदेश अध्यक्ष अजय राय का हमला
अजय राय ने कहा कि मोदी सरकार और ज्ञानेश कुमार SIR सिस्टम के नाम पर निर्दोष कर्मचारियों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। फतेहपुर, लखनऊ, जौनपुर, बरेली और देवरिया की मौतें सिस्टम के अत्याचार और मानसिक प्रताड़ना का परिणाम हैं। यह सरकार पर कलंक है। कर्मचारी मर रहे हैं और मोदी जी चुप हैं।
उन्होंने आगे कहा कि फतेहपुर में शादी के मंडप से उठी सुधीर की अर्थी, बरेली में सर्वेश गंगवार के अनाथ हुए बच्चे, लखनऊ–जौनपुर–देवरिया के उजड़ते घर… ये सब हादसे नहीं, बल्कि मोदी सरकार की नीतियों से हुई त्रासदी हैं। जब जनता का सेवक ही डरकर मरने लगे, समझिए सत्ता तानाशाही बन चुकी है।
कांग्रेस ने उठाई ये तत्काल मांगें
- पाँचों मामलों की उच्च स्तरीय जांच हो।
- जिम्मेदार अधिकारियों पर IPC 302 (हत्या) के तहत FIR दर्ज की जाए।
- सभी मृतक कर्मचारियों के परिवारों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवज़ा दिया जाए।
- परिवार के एक सदस्य को तत्काल सरकारी नौकरी दी जाए।
- SIR प्रक्रिया की समयसीमा तीन माह के लिए बढ़ाई जाए।
कांग्रेस की प्रतिबद्धता
अजय राय ने कहा कि यह लड़ाई कर्मचारियों की इज़्ज़त, हक़ और जीवन की रक्षा के लिए है। कांग्रेस पार्टी आख़िरी सांस तक यह लड़ाई लड़ेगी। सरकार को चेतावनी है – कितनी लाशों के बाद जागेगी यह सत्ता? अब अत्याचार बर्दाश्त नहीं होगा।



