
Up News- अपराध होने के बाद भी जब पुलिस मुकदमा दर्ज करने से कतराए तो पुलिस की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होने लगते हैं। लेकिन जब हत्या जैसे बड़े अपराध की विवेचना को ठंडे बस्ते में डालने के प्रयास शुरू हो जाए तो पुलिस की कार्य प्रणाली पर ही प्रश्न चिन्ह लग जाता है। ऐसा ही एक मामला सोरांव के हरीडीह गांव का है। जहां पीड़ित अपने भाई को न्याय नहीं दिला पा रहा है, कारण पुलिस की निष्क्रियता है।
सोरांव थाना क्षेत्र के हरीडीह गांव निवासी सुनील शर्मा पुत्र फूलचंद्र शर्मा का शव संदिग्ध हालत ने घर से कुछ दूर जादोपुर स्थित रानी की बगिया में खेत के किनारे पड़ा हुआ था। मृतक के पीठ समेत कई जगह पर चोट के निशान थे। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे लेकर पीएम के लिए भेज दिया था। घटना 17 अप्रैल 2025 की है। मृतक के भाई अनिल ने उसकी हत्या की आशंका जताते हुए सोरांव थाने में तहरीर दी थी। पीड़ित परिवार का आरोप है कि घटना के दिन से ही पुलिस उन्हें टरकाने लगी। ग्रामीणों के दबाव में आखिरकार पुलिस ने 29 जून को अनिल की हत्या का मुकदमा दर्ज किया। लेकिन पुलिस घटना के अनावरण में जरा दिलचस्पी नहीं दिखा रही जबकि पीड़ित ने हत्या या साजिश में गांव के दो युवकों का नाम भी बताया था।
पीड़ित का कहना है कि घटना की पूर्व रात्रि में उसका भाई एक युवक के घर पर मौजूद था। जबकि जिस स्थान पर उसका शव मिला उससे चंद कदम की दूरी पर उसी रात एक व्यापारी आलू की तौल करा रहा था। पुलिस उनकी बात पर तवज्जो नहीं दे रही ऐसा उनका आरोप है। पीड़ित परिवार तो पुलिस की कार्य शैली पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं। पीड़ित परिवार ने पुलिस द्वारा केस को ठंडे बस्ते में डालने को लेकर कमिश्नर से शिकायत की है। आई जी आर एस की शिकायत में पुलिस ने मृतक को नशेड़ी बताया था। जिसे परिजन स्वीकार भी करते हैं। घटना के खुलासे में पुलिस क्यों दिलचस्पी नहीं ले रही यह सोचने का विषय है। इस बाबत इंस्पेक्टर सोरांव केशव वर्मा और एसीपी सोरांव अरुण कुमार से बात करने का प्रयास किया गया लेकिन दोनों का फोन नहीं उठा। घटना के खुलासे में पुलिस की निष्क्रियता प्रदेश सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति की धज्जियां उड़ाना प्रतीत होता है ।
रिपोर्ट संजीव गुप्ता सोरांव