Up News- हिंदी विभाग में यूनिवर्सिटी थियेटर ने किया प्रेमचंद की कहानियों का मंचन

Up News- सभ्यता हुनर के साथ ऐब छुपाने का नाम है। लालच पाखंड को उजागर कर ही देता है लेकिन न्याय के नाम पर हत्या को कत्ल कहेंगे या नहीं। ये सब बातें  हिंदी विभाग में आयोजित नाट्य पाठ में सामने आई।
प्रेमचंद जयंती के अवसर पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी एवं भारतीय भाषा विभाग की तरफ से यूनिवर्सिटी थियेटर के सहयोग से प्रेमचंद की कहानियों के नाट्य पाठ की प्रस्तुति की गई।
इसके अंतर्गत प्रेमचंद की तीन कहानियों ‘सभ्यता का रहस्य’, ‘सत्याग्रह’ और ‘क़ातिल’ की प्रस्तुति की गई।  प्रेमचन्द की इन कहानियों में समाज की सच्चाइयों की परतें छिपी है जिसे अभिनेताओं ने अपने नाट्य पाठ में साकार किया। ‘सभ्यता का रहस्य’ सभ्य समाज की चालाकियों से पर्दा उठाता है तो ‘सत्याग्रह’ पाखंड से इसी तरह कातिल क्रांति के लिए किया जाने वाली हिंसा पर एक बहस प्रस्तुत करता है।
इन कहानियों में क्रमशः साक्षी, शांभवी,
सभ्यता , अंकिता, प्राची, अनामिका, सुमन, आशीष, रीति, निशांत, श्रीह, सृष्टि, अंकित, प्रखर, अनन्त, हर्षित, स्वीटी, प्राची, सत्यवान, विवेक, नंदिनी, दीपशिखा, शानू,  दुर्गेश, शिवम और माधवी शामिल थे। संचालन श्रेया ने किया।
नाट्य पाठ में हिंदी विभाग की अध्यक्ष प्रो. लालसा यादव, प्रो. प्रणय कृष्ण, प्रो. योगेन्द्र प्रताप सिंह, प्रो. शिव प्रसाद शुक्ल,  प्रो. बृजेश पांडे, डॉ. सुर्यनारायण, डॉ. लक्ष्मण गुप्ता, डॉ. संतोष सिंह, डॉ. मीना कुमारी, डॉ. प्रचेतस, प्रवीण शेखर के साथ बड़ी संख्या में छात्र की मौजूदगी थी। इस नाट्य पाठ से प्रेमचंद के साहित्य का ऐसा रंग सामने आया जो अनदेखा था। यूनिवर्सिटी थियेटर की इस प्रस्तुति को दर्शकों ने बेहद सराहा।

रिपोर्ट: राजेश मिश्रा प्रयागराज

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