
Up Farmers Factory Training:नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट (एनएसआई), कानपुर के माध्यम से किसानों, फील्ड स्टाफ और चीनी मिलों में कार्यरत कर्मचारियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। इसके लिए एनएसआई, ब्लैक एग्रीकल्चरल कमोडिटीज़ फेडरेशन (बीएसीएफ), दक्षिण अफ्रीका तथा सीलोन शुगर इंडस्ट्रीज़ एंड होल्डिंग्स (प्रा.) लिमिटेड, श्रीलंका के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
यह समझौता दक्षिण अफ्रीका के ईस्ट लंदन इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में आयोजित “स्वीट सोरघम, शुगरकेन, बायो-एथेनॉल एवं बायो-फर्टिलाइज़र अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन एवं कार्यशाला–2025” के दौरान संपन्न हुआ। इसकी जानकारी रविवार को एसएसआई के मीडिया प्रभारी अखिलेश पांडेय ने दी।
एमओयू के तहत एनएसआई चीनी उद्योग तथा उससे जुड़े उप-उत्पाद आधारित क्षेत्रों के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगा। ये प्रशिक्षण कार्यक्रम बीएसीएफ द्वारा नामित प्रतिभागियों को प्रदान किए जाएंगे, जिनमें फैक्ट्री स्टाफ, फील्ड स्टाफ और किसान शामिल होंगे। प्रशिक्षण भारत, दक्षिण अफ्रीका अथवा हाइब्रिड मोड में आयोजित किए जा सकते हैं।
बीएसीएफ की स्थापना विभिन्न कृषि और पशुपालन से जुड़े कमोडिटी संगठनों द्वारा की गई है, जिनमें अफ्रीकन गेम रैंचर्स एसोसिएशन, अफ्रीकन पोल्ट्री प्रोड्यूसर्स, डिसिड्युअस फ्रूट डेवलपमेंट चैंबर, नेशनल इमर्जेंट रेड मीट प्रोड्यूसर्स ऑर्गनाइजेशन, साउथ अफ्रीकन फार्मर्स डेवलपमेंट एसोसिएशन, साउथ अफ्रीकन ग्रेन फार्मर्स एसोसिएशन और लाइवस्टॉक स्टॉक वेल्थ शामिल हैं।
बीएसीएफ का उद्देश्य संबद्ध संगठनों के माध्यम से किसानों और उत्पादकों को सहयोग, संरक्षण और विकास के अवसर उपलब्ध कराना है। उल्लेखनीय है कि बीएसीएफ दक्षिण अफ्रीका में 5000 टीसीडी क्षमता का एक चीनी संयंत्र भी स्थापित कर रहा है।
यह एमओयू दक्षिण अफ्रीका के किसानों, चीनी कारखानों तथा खेतों में कार्यरत कर्मचारियों के रणनीतिक ज्ञान विकास के उद्देश्य से किया गया है। प्रशिक्षण मॉड्यूल सीलोन शुगर इंडस्ट्रीज़ द्वारा एनएसआई और बीएसीएफ के परामर्श से, सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति के उपरांत तैयार किए जाएंगे।
बीएसीएफ के अनुरोध पर एनएसआई द्वारा गन्ना कृषि, जिसमें परिपक्वता का आकलन, कटाई एवं कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने के उपाय शामिल हैं, के साथ-साथ शुगर टेक्नोलॉजी, शुगर इंजीनियरिंग, औद्योगिक इंस्ट्रूमेंटेशन एवं प्रोसेस ऑटोमेशन, उप-उत्पादों का उपयोग, गुणवत्ता नियंत्रण, पर्यावरण विज्ञान, को-जनरेशन एवं पावर इंजीनियरिंग जैसे विषयों पर प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
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