UNSC News: भारत ने यूएन में कहा- ‘जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हमारा था, है और रहेगा…’

UNSC News: भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में पाकिस्तान के ‘विभाजनकारी एजेंडे’ की तीखी आलोचना की और पड़ोसी मुल्क द्वारा बेवजह बार-बार जम्मू-कश्मीर का मुद्दे उठाने पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। इसके अलावा भारत ने सिंधु जल समझौते और पाकिस्तान की ‘अजीबो-गरीब’ अंदरूनी राजनीतिक घटनाओं पर भी टिप्पणी की।

यूएनएससी में ‘शांति के लिए नेतृत्व’ पर आयोजित खुली बहस में यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पी. हरीश ने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए कहा मैं पाकिस्तान के प्रतिनिधि द्वारा दिए गए बयान का ज़िक्र करना चाहूंगा। भारत यह दोहराना चाहता है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा हैं। वे थे, हैं, और हमेशा रहेंगे। आज की खुली बहस में जम्मू और कश्मीर का पाकिस्तान द्वारा बेवजह ज़िक्र करना भारत और उसके लोगों को नुकसान पहुंचाने को लेकर उसके जुनूनी फोकस को दिखाता है। एक मौजूदा गैर-स्थायी सुरक्षा परिषद सदस्य, जो अपने विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र की सभी बैठकों और मंचों पर इस जुनून को बढ़ावा देता है, उससे यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह अपनी तय जिम्मेदारियों और दायित्वों को पूरा करेगा।

UNSC News; Also Read: 2027 चुनाव से पहले सरकार का बड़ा दांव, योगी कैबिनेट में नए चेहरे होंगे शामिल, कुछ की छुट्टी तय

यूएन में भारत के स्थायी मिशन द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, भारतीय राजदूत ने कहा कि भारत ने 65 साल पहले सिंधु जल संधि सद्भावना, अच्छे इरादे और दोस्ती की भावना से की थी। इस दौरान पाकिस्तान ने भारत पर तीन युद्ध थोपकर और हजारों आतंकी हमले करके संधि की भावना का उल्लंघन किया है। पिछले चार दशकों में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी हमलों में हजारों भारतीयों की जान गई है। इसी पृष्ठभूमि में भारत ने आखिरकार घोषणा की है कि जब तक आतंक का वैश्विक केंद्र पाकिस्तान सीमा पार और आतंकवाद के अन्य सभी रूपों के लिए अपने समर्थन को समाप्त नहीं करता, तब तक संधि को निलंबित रखा जाएगा।
हरीश ने कहा पाकिस्तान ऐसा देश है, जो अपने एक प्रधानमंत्री को जेल में डालता है और अपने सेना प्रमुख को आजीवन विशेषाधिकार (इम्यूनिटी) देता है। भारत ने इस्लामाबाद में बैठी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि पाकिस्तान के पास निश्चित रूप से अपने लोगों की इच्छा का सम्मान करने का यह एक ‘अनोखा’ तरीका है।
इससे पहले भारतीय राजदूत ने सुरक्षा परिषद में सुधार को एक तत्काल वैश्विक आवश्यकता बताते हुए काउंसिल की आठ दशक पुरानी संरचना को बदलने की अपनी मांग भी दोहराई।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)

Show More

Related Articles

Back to top button