
Unnao Rape Victim Statement : उन्नाव रेप केस में दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के बाद पीड़िता का दर्द शब्दों में बयां करना मुश्किल है। वर्षों से न्याय की लड़ाई लड़ रही पीड़िता ने पहली बार खुलकर बताया कि अदालत के उस फैसले ने उन्हें अंदर तक तोड़ दिया, जिससे उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें राहत मिलेगी।
पीड़िता ने भर्राई आवाज़ में कहा, “मेरे शरीर पर आज भी 250 से ज़्यादा टांकों के निशान हैं। हाथ-पैर में रॉड लगी हुई है। मैं हर दिन उस दर्द के साथ जीती हूं। लेकिन कोर्ट में जो बहस हुई, वह पूरी की पूरी अंग्रेज़ी में थी। मैं बैठी रही, सब देखती-सुनती रही, लेकिन समझ कुछ भी नहीं पाई कि मेरे केस में क्या हो रहा है।”
उन्होंने कहा कि आरोपी को जमानत मिलने की खबर सुनते ही उनके पैरों तले ज़मीन खिसक गई। “जिस इंसान ने मेरी ज़िंदगी तबाह कर दी, आज वही बाहर घूमेगा — यह सोचकर ही मैं टूट गई,” पीड़िता ने कहा।
पीड़िता का आरोप है कि जमानत के बाद उनकी सुरक्षा भी हटा ली गई। उन्होंने बताया कि जिन पुलिसकर्मियों से उन्हें सहारे की उम्मीद थी, उन्हीं के व्यवहार ने उन्हें और डरा दिया। “अब मैं पहले से ज्यादा असुरक्षित महसूस करती हूं। डर के साए में जी रही हूं,” उन्होंने कहा।
पीड़िता ने न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह फैसला सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि उन तमाम बेटियों के लिए डर पैदा करने वाला है जो हिम्मत जुटाकर अदालत का दरवाज़ा खटखटाती हैं। “जब अदालत में मेरी भाषा में बात ही नहीं होगी, तो मैं अपना दर्द कैसे समझाऊंगी?” उन्होंने सवाल किया।
पीड़िता ने साफ किया कि वह हार मानने वालों में से नहीं हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट जाने का ऐलान करते हुए कहा, “मैं आखिरी सांस तक न्याय की लड़ाई लड़ूंगी। यह सिर्फ मेरी लड़ाई नहीं है, यह हर उस बेटी की लड़ाई है जो इंसाफ पर भरोसा करती है।”
यह मामला एक बार फिर सवाल खड़ा करता है कि क्या हमारी न्याय व्यवस्था पीड़ित की आवाज़ को सही मायने में सुन पा रही है या नहीं।



