
Tariffs on India and China: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में फिर से अपनी दावेदारी पेश कर रहे डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और चीन पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी देकर एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीति में हलचल मचा दी है। यह धमकी ऐसे समय में आई है जब ट्रंप कभी भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना ‘अच्छा दोस्त’ बताते रहे हैं। ट्रंप की इस धमकी से सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह सिर्फ चुनावी बयानबाजी है, या इसके पीछे कोई गहरी आर्थिक और रणनीतिक चाल है?
ट्रंप की धमकी का मकसद
ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का यह नया संस्करण माना जा रहा है। 100% टैरिफ का मतलब होगा कि भारत और चीन से आने वाले हर सामान पर उसकी कीमत के बराबर का अतिरिक्त शुल्क लगेगा। इस कदम का मकसद अमेरिकी उद्योगों को बढ़ावा देना और विदेशी सामानों की प्रतिस्पर्धा को कम करना है। हालांकि, यह भी एक तथ्य है कि अमेरिका ने खुद रूस से 25,000 करोड़ रुपये का व्यापार किया है, जबकि वह भारत पर रूस से तेल खरीदने को लेकर लगातार दबाव डालता रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का यह बयान सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट है ताकि वे अपने समर्थकों को यह दिखा सकें कि वह अमेरिकी हितों की रक्षा के लिए कितने प्रतिबद्ध हैं।
भारत पर क्या होगा असर?
अगर ट्रंप सत्ता में आते हैं और यह टैरिफ लागू करते हैं, तो भारत के निर्यातकों को इसका सबसे बड़ा झटका लगेगा। अमेरिका भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है। 2022-23 में भारत और यूरोपीय संघ के बीच 124 अरब यूरो का व्यापार हुआ था, जिससे भारत के लिए यूरोपीय बाजार का महत्व भी स्पष्ट होता है। ऐसे में, अमेरिकी टैरिफ से भारतीय निर्यात बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं, जिससे अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। हालांकि, भारत सरकार ने ‘हम झुकेंगे नहीं’ जैसी कूटनीतिक लाइन अपनाई है, जो उसकी बढ़ती वैश्विक शक्ति और आत्मविश्वास को दर्शाती है।
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भारत की ‘कूटनीतिक चालें’
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की असली ताकत उसके घरेलू बाजार, उसके निर्यातकों की क्षमता और उसकी स्वतंत्र कूटनीतिक नीति में है। भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भी अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को बनाए रखा और रूस से तेल खरीदना जारी रखा। यह दर्शाता है कि भारत किसी भी बाहरी दबाव में नहीं आने वाला है। भारत जानता है कि उसकी अर्थव्यवस्था और भू-राजनीतिक स्थिति उसे एक मजबूत स्थिति में रखती है, और वह किसी भी देश की धमकियों के आगे झुकने वाला नहीं है। ट्रंप की यह धमकी भले ही गंभीर लगे, लेकिन यह अंततः एक ‘व्यापार और रणनीति का खेल’ है जिसमें भारत अपनी स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए हर संभव कदम उठाएगा।