
Sonbhadra news: उत्तर प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिले सोनभद्र में राजस्व विभाग के कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। ओबरा तहसील के जुगैल ग्राम पंचायत के दर्जनों आदिवासी ग्रामीणों ने सोमवार को कलेक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन किया। उनका आरोप है कि लेखपाल धर्मेंद्र यादव ने खतौनी (भूमि का कानूनी दस्तावेज) देने के नाम पर उनसे हजारों रुपये की वसूली की है।
क्या है पूरा मामला?
ग्रामीणों के अनुसार, वर्ष 2006 में उन्हें वन अधिकार अधिनियम के तहत सरकार द्वारा जमीन के पट्टे दिए गए थे, जिस पर वे खेती करते आ रहे हैं। सरकार ने स्पष्ट आदेश दिया था कि इन पट्टाधारकों को खतौनी उपलब्ध कराई जाए, लेकिन आरोप है कि इस प्रक्रिया के लिए लेखपाल धर्मेंद्र यादव ने प्रत्येक व्यक्ति से 4,000 से 8,000 तक की मांग की। ग्रामीणों ने पैसे दिए, लेकिन उन्हें आज तक खतौनी नहीं मिली।
अधिकारियों पर उपेक्षा का आरोप
ग्रामीणों ने बताया कि वे कई बार तहसील कार्यालय के चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। थक-हार कर उन्होंने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा, लेकिन जब मीडिया ने जिलाधिकारी से इस बारे में सवाल किया तो उन्होंने कोई जवाब देने से इनकार कर दिया और वहां से चले गए। इस रवैये से ग्रामीणों का गुस्सा और भड़क गया है।
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ग्रामीणों का कहना है कि यह केवल धन उगाही का मामला नहीं है, बल्कि उनके हक और अधिकारों के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने मांग की है कि संबंधित लेखपाल के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच हो और उस पर कड़ी कार्रवाई की जाए। साथ ही, उनकी खतौनी जल्द से जल्द जारी की जाए। इस प्रदर्शन में राजाराम, दीना, मनिहार, सतेंद्र, बिहारी, जयप्रकाश, संत कुमार, हरि प्रसाद सहित कई ग्रामीण मौजूद थे।
रिपोर्ट :- रवि पाण्डेय
सोनभद्र