
Sonbhadra News-जनपद के बिल्ली मारकुंडी पत्थर खनन क्षेत्र में 15 नवंबर को हुए खनन हादसे के बाद बंद की गई पत्थर खदानों को पुनः संचालित कराने की मांग को लेकर डाला उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल ने भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशक माला श्रीवास्तव को ज्ञापन सौंपा।
रविवार को बिल्ली मारकुंडी स्थित खनन क्षेत्र का निरीक्षण करने पहुंचीं भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशक माला श्रीवास्तव को व्यापार प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष मुकेश जैन के नेतृत्व में ज्ञापन दिया गया। इस अवसर पर संतोष शर्मा, रामू सिंह गोंड़, सुधीर सिंह एवं संजय मित्तल भी उपस्थित रहे।
ज्ञापन के माध्यम से व्यापार मंडल अध्यक्ष ने अवगत कराया कि बिल्ली मारकुंडी खनन क्षेत्र की एक खदान में 15 नवंबर को हुए हादसे के बाद बिना समुचित जांच-पड़ताल के डीजीएमएस द्वारा 37 पत्थर खदानों के खनन एवं परिवहन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया, जिससे खनन कार्य से जुड़े लगभग 10 हजार मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। इन मजदूरों पर आश्रित करीब 30 हजार परिवारों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है।
व्यापार मंडल ने बताया कि खनन क्षेत्र में पत्थर ढोने के कार्य में लगे दो हजार से अधिक टीपर, करीब 500 कंप्रेसर मशीनें तथा सैकड़ों पोकलेन मशीनों का संचालन पूरी तरह ठप हो गया है। साथ ही पत्थर खदानों पर निर्भर 250 से अधिक क्रशर प्लांट बंद हो गए हैं, जिससे डाला स्टोन क्रशर के नाम से प्रसिद्ध गिट्टी का उत्पादन पूरी तरह रुक गया है।
खनन उद्योग के ठप होने का असर डाला, ओबरा एवं चोपन क्षेत्र में संचालित चाय-पान, ठेला-खुमचा, पंचर, सैलून सहित अन्य छोटे व्यवसायों पर भी पड़ा है। बेरोजगार मजदूरों एवं उनके परिवारों के समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो रही है। यदि हालात ऐसे ही रहे तो मजदूरों को मजबूरन रोजी-रोटी की तलाश में अन्य प्रदेशों की ओर पलायन करना पड़ सकता है।
व्यापार मंडल ने ज्ञापन के माध्यम से यह भी कहा कि प्रदेश सरकार की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने की परिकल्पना में खनन उद्योग की महत्वपूर्ण भूमिका है। पिछले पांच दशकों से संचालित यह खनन उद्योग हर माह लगभग 13 करोड़ रुपये का राजस्व प्रदेश को प्रदान करता रहा है। ऐसे में खदानों को पुनः शुरू कर जनपद में रोजगार, उद्योग और खुशहाली बहाल किए जाने की मांग की गई।
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रिपोर्ट : रवि पाण्डेय



