
Shibu Soren Profile: झारखंड के सबसे बड़े आदिवासी नेता, तीन बार के मुख्यमंत्री और 11 बार के सांसद रहे शिबू सोरेन का 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे पिछले डेढ़ महीने से किडनी संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। गुरुजी और दिशोम गुरु के नाम से मशहूर शिबू सोरेन ने झारखंड राज्य के गठन के लिए 40 साल से अधिक समय तक संघर्ष किया। उनका जीवन एक सामान्य शिक्षक के बेटे से लेकर राज्य के सर्वोच्च नेता बनने तक का एक प्रेरणादायक सफर रहा।
पिता की हत्या ने बदली जीवन की दिशा
शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी, 1944 को रामगढ़ के पास नेमरा गांव में एक शिक्षक सोबरन मांझी के घर हुआ था। उनके दादा, चरण मांझी, अंग्रेजों के समय में टैक्स तहसीलदार थे। उनका परिवार आर्थिक रूप से संपन्न था। 1957 में, जब वे पढ़ाई कर रहे थे, उनके पिता सोबरन मांझी की हत्या कर दी गई। इस घटना ने उनके जीवन की दिशा बदल दी। पढ़ाई छोड़कर उन्होंने महाजनों के खिलाफ आवाज उठाई और आदिवासियों को एकजुट करना शुरू किया।
‘दिशोम गुरु’ की उपाधि और झारखंड आंदोलन
पिता की हत्या के बाद, शिबू सोरेन ने महाजनों के खिलाफ “धनकटनी आंदोलन” शुरू किया, जिसमें वे और उनके साथी जबरन महाजनों के खेतों से धान काटकर ले जाते थे। इसी आंदोलन के दौरान उन्हें आदिवासी समाज में “दिशोम गुरु” (देश का गुरु) की उपाधि मिली। बाद में, बिनोद बिहारी महतो और एके राय जैसे नेताओं के साथ मिलकर उन्होंने झारखंड राज्य के लिए संघर्ष किया।
Shibu Soren Profile: also read- Pratapgarh news: पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ़ ने की जनसुनवाई, अधिकारियों को दिए निर्देश
राजनीतिक सफर: 11 बार सांसद और 3 बार मुख्यमंत्री
शिबू सोरेन ने अपना पहला चुनाव बड़दंगा पंचायत से लड़ा, लेकिन हार गए। बाद में, जरीडीह विधानसभा सीट से भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 1980 में, उन्होंने दुमका से पहली बार लोकसभा चुनाव जीता। इसके बाद उन्होंने दुमका से 1989, 1991, 1996, 2002, 2004, 2009 और 2014 में कुल 8 बार जीत दर्ज की। वे केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे और तीन बार राज्यसभा के लिए चुने गए।
शिबू सोरेन ने झारखंड राज्य के गठन के बाद तीन बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली:
- पहली बार: 2 मार्च 2005 को, लेकिन शशिनाथ हत्याकांड में नाम आने के बाद 11 मार्च 2005 को इस्तीफा देना पड़ा।
- दूसरी बार: 27 अगस्त 2008 को, लेकिन तमाड़ विधानसभा उपचुनाव में हार के कारण 11 जनवरी 2009 को इस्तीफा दिया।
- तीसरी बार: 2009 में, लेकिन कुछ ही दिनों में उन्हें फिर से इस्तीफा देना पड़ा।
आज उनके पुत्र हेमंत सोरेन राज्य के मुख्यमंत्री हैं, जो उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। शिबू सोरेन का जीवन झारखंड के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसे हमेशा याद रखा जाएगा।