
Lucknow News. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने जबलपुर में बैठक के समापन के बाद पत्रकारों से वार्ता के दौरान युवाओं में बढ़ रही नशे की प्रवृत्ति चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह केवल सामाजिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चिंता का विषय है। देश की युवा शक्ति को नशा खोखला कर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (यूएनओडीसी) की विश्व औषधि रिपोर्ट 2022 के पर नजर डालें तो दुनिया भर में लगभग 284 मिलियन लोग नशे का सेवन करते हैं। भारत की स्थिति और गंभीर है, क्योंकि यह भौगोलिक रूप से गोल्डन क्रिसेंट (ईरान- अफगानिस्तान- पाकिस्तान) और गोल्डन ट्रायंगल (थाईलैंड- लाओस- म्यांमार) जैसे दो प्रमुख नशा उत्पादक क्षेत्रों के बीच स्थित है। यही कारण है कि भारत अवैध मादक पदार्थों की तस्करी का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है।
15 व्यक्ति नशीली दवाओं का करते हैं सेवन
भारत सरकार के हालिया आंकड़े चौंकाने वाले हैं। देश में हर 1000 में से 15 व्यक्ति नशीली दवाओं का सेवन करते हैं, जबकि 25 व्यक्ति स्थायी शराब सेवन के शिकार हैं। मानसिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से स्थिति और भी चिंताजनक है – देश की 10 फीसदी से अधिक आबादी अवसाद, न्यूरोसिस और मनोविकृति जैसे विकारों से ग्रसित है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि साल 2021 में नशे की लत के कारण 10 हजार से अधिक लोगों ने आत्महत्या की। इनमें महाराष्ट्र (2,818 मामले) और मध्य प्रदेश (1,634 मामले) शीर्ष पर रहे।
मानसिक तनाव को बढ़ा रहा नशा
विशेषज्ञों का कहना है कि नशा मानसिक तनाव, पारिवारिक कलह और आर्थिक अस्थिरता को और बढ़ावा देता है, जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति आत्मविनाश की ओर बढ़ जाता है। सरकार ने इस दिशा में कई ठोस पहल की हैं। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा नशा मुक्त भारत अभियान को 272 जिलों में लागू किया गया है। इसके अतिरिक्त, नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 के तहत कड़े कानून बनाए गए हैं।
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो जैसी एजेंसियां और एनसीओआरडी पोर्टल जैसी डिजिटल प्रणाली भी इस खतरे से निपटने में सक्रिय हैं। बावजूद इसके, देश में नशा-मुक्ति केंद्रों की उपलब्धता मात्र 20 फीसदी है, जिसके चलते बड़ी संख्या में पीड़ितों को उपचार नहीं मिल पाता।
इस बढ़ती सामाजिक समस्या पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने गहरी चिंता व्यक्त की है। जबलपुर में आयोजित अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक के समापन के बाद संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि युवाओं में नशे की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है और यह स्थिति बेहद चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि यह केवल सामाजिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चिंता का विषय है। देश की युवा शक्ति को नशा खोखला कर रहा है।
ड्रग्स की बढ़ रही बिक्री
होसबाले ने बताया कि कई विश्वविद्यालयों और कॉलेज परिसरों में ड्रग्स का सेवन और उसकी बिक्री बढ़ रही है। सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति और भी गंभीर है। उन्होंने कहा कि संघ अब देशभर में नशा-मुक्ति जागरूकता अभियान चलाने जा रहा है। इसके तहत स्वयंसेवक गांव-गांव, स्कूलों और विश्वविद्यालयों में जाकर युवाओं को नशे के दुष्प्रभावों के बारे में बताएंगे। इस अभियान में सामाजिक संगठनों, शिक्षकों और अभिभावकों की भी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
सरकार्यवाह ने कहा कि नशे का फैलाव केवल व्यक्तिगत समस्या नहीं, बल्कि समाज की एक बड़ी चुनौती है। प्रशासन को इस दिशा में संवेदनशील और मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। केवल कानून से नहीं, बल्कि जन-जागरूकता से ही इस संकट से निपटा जा सकता है।
सामाजिक भागीदारी से ही समस्या पर लगाम संभव
संघ का मानना है कि नशा-मुक्त भारत के निर्माण के लिए सरकार, समाज और मीडिया – तीनों की संयुक्त भूमिका आवश्यक है। जब तक जन-जागरूकता और सामाजिक भागीदारी नहीं बढ़ेगी, तब तक यह समस्या समाप्त नहीं होगी।
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बैठक में नशे के साथ-साथ नक्सलवाद, जातिगत राजनीति और सामाजिक एकता जैसे विषयों पर भी चर्चा हुई। लेकिन संघ का प्रमुख फोकस युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति पर रहा। होसबाले ने अंत में कहा कि यदि देश की युवा शक्ति को सशक्त बनाना है, तो नशे की जड़ों को जड़ से उखाड़ फेंकना ही समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है।



